CBSE Class 9 Hindi Chapter 2 Mere Sang ki Auraten (मेरे संग की औरतें ) Question Answers (Important) from Kritika Book
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- Mere Sang ki Auraten Multiple Choice Questions
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Mere Sang ki Auraten Chapter 2 NCERT Solutions
प्रश्न 1- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर – लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा था, किंतु उनके बारे में कहानियाँ जरूर सुनी थी। उसने सुना था कि उसकी नानी ने अपने पुरे जीवन में किसी पराए मर्द से बात नहीं की थी परन्तु अपने अंतिम दिनों में उन्होंने अपने पति के मित्र प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेट में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती हैं, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा में उनके अंदर दबी देश की स्वतंत्रता की पवित्र भावना उजागर होती है। वे बहुत साहसी थी। उनके साहसी व्यक्तित्व और मन में उमड़ती स्वतंत्रता की भावना जैसे गुणों के कारण लेखिका उनका सम्मान करती है। और उनसे प्रभावित भी होती हैं।
प्रश्न 2- लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर – लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में भले ही कोई प्रत्यक्ष भागीदारी न रही हो, परन्तु आज़ादी के आंदोलन में उनका अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य था। वे अनपढ़ परंपरागत और परदे में रहने वाली औरत थीं। उनके मन में आज़ादी के प्रति जुनून था। यद्यपि उनके पति अंग्रेजों के भक्त थे और साहबों के समान रहते थे परन्तु वे उनकी जीवन शैली से बिलकुल भी प्रभावित नहीं थी। अपनी मृत्यु को निकट देखकर उन्होंने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और उनके समक्ष इच्छा प्रकट की, कि उनकी बेटी का वर वे अपने समान ही ढूँढे अर्थात किसी देश भक्त से ही उनकी बेटी की शादी होनी चाहिए। इससे उनकी बेटी का विवाह आज़ादी के आंदोलन में भाग लेने वाले ऐसे लड़के से हो सका जिसे आई.सी.एस. परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था क्योंकि वह एक स्वतंत्रता सैनानी था। इस तरह लेखिका की नानी ने अप्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी निभाई।
प्रश्न 3- लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखिका ने अपनी माँ को एक भारतीय माँ की तरह नहीं देखा था। लेखिका को उनकी माँ ने कभी लाड़-प्यार नहीं किया, न कभी खाना बनाकर खिलाया और उनको न कभी अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी। लेखिका की माँ बीमार रहती थीं इसलिए वे घर का काम नहीं कर पाती थी। लेकिन उन्हें किताबें पढ़ने, साहित्य चर्चा और संगीत सुनना पंसद था। परिवार वाले उन्हें कुछ नहीं कहते थे क्योंकि वे साहबी परिवार से थी। वे कभी झूठ नहीं बोलती थी, किसी की गोपनीय बात दूसरों पर ज़ाहिर नहीं करती थी। उनके इसी स्वभाव के कारण उन्हें घर में आदर मिलता और बाहरवालों से दोस्ती मिलती थी।
(ख) लेखिका की दादी के घर में रहने वाले सभी व्यक्तियों के बीच विचित्र विरोधों का संगम था। परदादी लीक से परे हटकर चलती थीं। वे चाहती थीं कि उनकी पतोहू को होने वाली पहली संतान कन्या हो। उसने यह मन्नत माँगकर सभी को हैरान कर दिया था। परंतु लेखिका की दादी ने इस इच्छा को स्वीकार करके होने वाली पोती को खिलाने-दुलारने की कल्पनाएँ भी कर डालीं थी। लेखिका की माँ तो सभी से बिलकुल अलग थीं। वे घर का कोई काम नहीं करती थीं। वे आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय रहती थीं। उन्हें पुस्तकें पढ़ने, संगीत सुनने और साहित्य चर्चा करने से ही फुर्सत नहीं थी। उनके पति भी क्रांतिकारी थे। वे आर्थिक दृष्टि से अधिक समृद्ध नहीं थे। परन्तु इसके विपरीत लेखिका के दादा अंग्रेजों के बड़े प्रशंसक थे। घर में उन्हीं की चलती थी। यह भी एक कारण था कि लेखिका की माँ को कोई घर के काम करने को नहीं कहता था। किंतु घर की नारियाँ अपने-अपने तरीके से जीने के लिए स्वतंत्र थीं। कोई किसी के विकास में बाधा नहीं बनता था।
प्रश्न 4- आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर – परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी होगी क्योंकि लेखिका की परदादी पारंपरिक रीतिरिवाजों से हटकर जीवन जीने वालों में से थी। लोग जहाँ भगवान् से पुत्र प्राप्ति की मन्नत माँगते थे वहीँ लेखिका की परदादी ने पुत्री की मन्नत माँग कर सभी को चौंका दिया था। उनके इस पेचीदा काम की कोई उचित वजह ढूँढ़ कर भी नहीं मिल रही थी। यह भी नहीं कहा जा सकता था कि उनके खानदान में कई पीढ़ियों से कोई कन्या पैदा नहीं हुई थी, इसलिए माँ जी बेचारी कन्यादान के पुण्य के अभाव को पूरा करने के चक्कर में इस तरह की मन्नत माँग रही थीं। क्योंकि लेखिका के पिताजी की ही नहीं, बल्कि दादा जी की भी बहनें थीं। लेकिन यह अवश्य था कि हर बहू का पहला बच्चा बेटा ही होता रहा था। यह भी हो सकता है कि वे परंपरा से अलग चलने की जो बात करती थीं, उसे अपने कार्य-व्यवहार द्वारा सबको दर्शाने का प्रयास कर रही हों। इसके अलावा उनके मन में लड़का और लड़की में अंतर समझने जैसी कोई बात न रही होगी। क्योंकि उन्होंने कभी भी किसी लड़की को उनकी इच्छा अनुसार काम करने से नहीं रोका।
प्रश्न 5 – डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – इस पाठ के आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि मनुष्य के पास दृढ़ विश्वास और सहज व्यवहार ऐसे प्रभावी अस्त्र है जिसका उपयोग मनुष्य दूसरों को प्रभावित करने के लिए कर सकता है। यदि कोई अपना गलत राह पर हो तो उसे डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव देने की बजाय यदि सहजता से व्यवहार किया जाए तो अधिक प्रभावी सिद्ध होता है। लेखिका की नानी ने भी यही किया। उन्होंने अपने पति की अंग्रेज़ भक्ति का न तो विरोध किया, और न ही उनका समर्थन किया। वे जीवन भर अपने आदर्शों पर टिकी रहीं। इसके परिणामस्वरूप अवसर आने पर वह अपने मनवांछित कार्य कर सकीं।
लेखिका की माता ने भी चोर के साथ सहजता पूर्वक व्यवहार किया। उसने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे अपनी सेवा करवाई और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उन्होंने न तो उसे उपदेश दिया, न ही चोरी छोड़ने के लिए दबाव डाला। उन्होंने इतना ही कहा-अब तुम्हारी मर्जी चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस सहज भावना से चोर का हृदय परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया।
प्रश्न 6 – ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका ने अथक प्रयास किए। उसने कर्नाटक के बागलकोट जैसे छोटे से कस्बे में रहते हुए इस दिशा में सोचना शुरू किया। उसने कैथोलिक विशप से प्रार्थना की कि उनका मिशन वहाँ के सीमेंट कारखाने से आर्थिक मदद लेकर वहाँ स्कूल खोल दे, पर वे इसके लिए तैयार न हुए। तब लेखिका ने अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने वाला स्कूल खोला और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता दिलवाई। इस स्कूल के बच्चे बाद में अच्छे स्कूलों में प्रवेश पा गए।
प्रश्न 7 – पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर – इस पाठ के आधार पर स्पष्ट है कि ऊँची भावना वाले दृढ़ संकल्पी लोगों को श्रद्धा से देखा जाता है। जो लोग सद्भावना से व्यवहार करते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर गलत रूढ़ियों के विरुद्ध खड़े रहने की हिम्मत दिखाते हैं, समाज में उनका खूब आदर-सम्मान होता है।
जैसे – लेखिका की नानी इसलिए श्रद्धेया बनी क्योंकि उसने पूरी जिन्दगी परदे में रहने के बावजूद, परिवार और समाज से विरोध लेकर भी अपनी पुत्री को किसी क्रांतिकारी से ब्याहने की बात कही। लेखिका की परदादी इसलिए श्रद्धेया बनी क्योंकि उसने दो धोतियों से अधिक संचय न करने का संकल्प किया था। उसने परंपरा के विरुद्ध पतोहू को लड़के की बजाय लड़की होने की मन्नत मानी। लेखिका की माता इसलिए श्रद्धेया बनी क्योंकि उसने देश की आज़ादी के लिए कार्य किया। कभी किसी से झूठ नहीं बोला। कभी किसी की गोपनीय बात को दूसरे को नहीं बताया। ये सभी व्यक्तित्व सच्चे थे, लीक से परे थे तथा दृढ़ निश्चयी थे। इस कारण इनका सम्मान हुआ।
प्रश्न 8 – ‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर – “सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट होता है कि लेखिका और उसकी बहन दोनों ही अपने दृढ़ निश्चय और जिद्दीपन के कारण इस कथन को सिद्ध करने के साथ-साथ उसका आनंद भी उठाती हैं। लेखिका की बहन रेणु तो लेखिका से भी दो कदम आगे थी। वह गरमी में भी स्कूल से घर गाड़ी में नहीं आती थी। वह पैदल ही पसीने में भीगती हुई घर पहुँचती थी। इसी तरह शहर में एक बार नौ इंच बारिश होने पर शहर में पानी भरने के कारण घरवालों के मना करते रहने पर भी वह लब-लब करते पानी में स्कूल गई और स्कूल बंद देखकर लौट आई। इसी तरह लेखिका ने भी बिहार के डालमिया शहर में रूढ़िवादी स्त्री-पुरुषों के बीच रहकर भी उनमे जागृति पैदा की और उनके साथ नाटक करते हुए सूखा राहत कोष के लिए धन एकत्र किया। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के छोटे से कस्बे में बच्चों के लिए स्कूल खोला और मान्यता दिलवाई, यह काम लेखिका ने अकेले ही शुरू किया था।
Class 9 Hindi Mere Sang ki Auraten – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
पाठ पर आधारित पठित गद्यांश (मेरे संग की औरतें ) –
1 –
मेरी एक नानी थीं। ज़ाहीर है। पर मैंने उन्हें कभी देखा नहीं। मेरी माँ की शादी होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी। शायद नानी से कहानी न सुन पाने के कारण बाद में, हम तीन बहिनों को खुद कहानियाँ कहनी पड़ीं। नानी से कहानी भले न सुनी हो, नानी की कहानी ज़रूर सुनी और बहुत बाद में जाकर उसका असली मर्म समझ में आया। पहले इतना ही जाना कि मेरी नानी, पारंपरिक, अनपढ़, परदानशीं औरत थीं, जिनके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर बैरिस्ट्री पढ़ने विलायत चले गए थे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर जब वे लौटे और विलायती रीति रिवाज के संग ज़िंदगी बसर करने लगे तो, नानी के अपने रहन-सहन पर, उसका कोई असर नहीं पड़ा, न उन्होंने अपनी किसी इच्छा-आकांक्षा या पसंद-नापंसद का इज़हार पति पर कभी किया।
पर जब कम-उम्र में नानी ने खुद को मौत के करीब पाया तो, पंद्रह वर्षीय इकलौती बेटी ‘मेरी माँ’ की शादी की फ़िक्र ने इतना डराया कि वे एकदम मुँहज़ोर हो उठीं। नाना से उन्होंने कहा कि वे परदे का लिहाज़ छोड़कर उनके दोस्त स्वतंत्रता-सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं। सब दंग-हैरान रह गए। जिस परदानशीं औरत ने पराए मर्द से क्या, खुद अपने मर्द से मुँह खोलकर बात नहीं की थी, आखिरी वक्त में अजनबी से क्या कहना चाह सकती है? पर नाना ने वक्त की कमी और मौके की नज़ाकत की लाज रखी! सवाल-जवाब में वक्त बरबाद करने के बजाए फ़ौरन जाकर दोस्त को लिवा लाए और बीबी के हुज़ूर में पेश कर दिया।
प्रश्न 1 – गद्यांश में किसकी मृत्यु के बारे में बताया गया है?
(क) लेखिका की माँ
(ख) लेखिका की दादी
(ग) लेखिका की नानी
(घ) लेखिका की परदादी
उत्तर – (ग) लेखिका की नानी
प्रश्न 2 – नानी की मृत्यु कब हो गई थी?
(क) लेखिका के जन्म से पहले
(ख) लेखिका की माँ की शादी से पहले
(ग) लेखिका की शादी से पहले
(घ) लेखिका के बचपन में
उत्तर – (ख) लेखिका की माँ की शादी से पहले
प्रश्न 3 – नानी कैसीऔरत थीं?
(क) पारंपरिक
(ख) परदानशीं
(ग) अनपढ़
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – किसके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर बैरिस्ट्री पढ़ने विलायत चले गए थे।
(क) लेखिका के
(ख) नानी के
(ग) लेखिका की माँ के
(घ) दादी के
उत्तर – (ख) नानी के
प्रश्न 5 – सब क्यों दंग-हैरान रह गए?
(क) लेखिका की शादी तय होने के कारण
(ख) लेखिका की माँ के बीमार होने के कारण
(ग) लेखिका की माँ के पहली बार किसी पराय मर्द से बात करने की इच्छा जानने के कारण
(घ) लेखिका की शादी एक स्वतंत्रता सैनानी से तय होने के कारण
उत्तर – (ग) लेखिका की माँ के पहली बार किसी पराय मर्द से बात करने की इच्छा जानने के कारण
2 –
अब जो नानी ने कहा, वह और भी हैरतअंगेज़ था। उन्होंने कहा, “वचन दीजिए कि मेरी लड़की के लिए वर आप तय करेंगे। मेरे पति तो साहब हैं और मैं नहीं चाहती मेरी बेटी की शादी, साहबों के फ़रमाबरदार से हो। आप अपनी तरह आज़ादी का सिपाही ढूँढ़कर उसकी शादी करवा दीजिएगा।” कौन कह सकता था कि अपनी आज़ादी से पूरी तरह बेखबर उस औरत के मन में देश की आज़ादी के लिए ऐसा जुनून होगा। बाद में मेरी समझ में आया कि दरअसल वे निजी जीवन में भी काफ़ी आज़ाद-ख़्याल रही होंगी। ठीक है, उन्होंने नाना की ज़िंदगी में कोई दखल नहीं दिया, न उसमें साझेदारी की, पर अपनी ज़िंदगी को अपने ढंग से जीती ज़रूर रहीं। पारंपरिक, घरेलू, उबाऊ और खामोश ज़िंदगी जीने में, आज के हिसाब से, क्रांतिकारी चाहे कुछ न रहा हो दूसरे की तरह जीने के लिए मजबूर होने में असली आज़ादी कुछ ज़्यादा ही थी।
खैर, इस तरह मेरी माँ की शादी ऐसे पढ़े-लिखे होनहार लड़के से हुई, जिसे आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के अपराध में आई.सी.एस. के इम्तिहान में बैठने से रोक दिया गया था और जिसकी जेब में पुश्तैनी पैसा-धेला एक नहीं था। माँ, बेचारी, अपनी माँ और गांधी जी के सिद्धांतों के चक्कर में सादा जीवन जीने और ऊँचे खयाल रखने पर मजबूर हुईं। हाल उनका यह था कि खादी की साड़ी उन्हें इतनी भारी लगती थी कि कमर चनका खा जाती। रात-रात भर जागकर वे उसे पहनने का अभ्यास करतीं, जिससे दिन में शर्मिंदगी न उठानी पड़े। वे कुछ ऐसी नाज़ुक थीं कि उन्हें देखकर उनकी सास यानी मेरी दादी ने कहा था, “हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई, पोंछी और छींके पर टाँग दी।” गनीमत यही थी कि किसी ने उन्हें छींके पर से उतारने की पेशकश नहीं की।
प्रश्न 1 – लेखिका की नानी लेखिका की माँ की शादी किससे करवाना चाहती थी?
(क) किसी साहब से
(ख) आज़ादी के सिपाही से
(ग) किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति से
(घ) किसी खानदानी रईस से
उत्तर – (ख) आज़ादी के सिपाही से
प्रश्न 2 – किसे आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के अपराध में आई.सी.एस. के इम्तिहान में बैठने से रोक दिया गया था?
(क) लिखिका को
(ख) लिखिका के नाना को
(ग) लेखिका के पिता को
(घ) लेखिका के पति को
उत्तर – (ग) लेखिका के पिता को
प्रश्न 3 – लेखिका की माँ किसके चक्कर में सादा जीवन जीने और ऊँचे खयाल रखने पर मजबूर हुईं?
(क) अपनी नानी और गांधी जी के सिद्धांतों के
(ख) अपनी दादी और गांधी जी के सिद्धांतों के
(ग) अपनी माँ और गांधी जी के सिद्धांतों के
(घ) अपने पति और नाना के सिद्धांतों के
उत्तर – (ग) अपनी माँ और गांधी जी के सिद्धांतों के
प्रश्न 4 – रात-रात भर जागकर लेखिका की माँ क्या पहनने का अभ्यास करतीं, जिससे दिन में शर्मिंदगी न उठानी पड़े?
(क) खादी साड़ी
(ख) सूती साड़ी
(ग) रेशमी साड़ी
(घ) नानी की साड़ी
उत्तर – (क) खादी साड़ी
प्रश्न 5 – “हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई, पोंछी और छींके पर टाँग दी।” या वाक्य किसने किसके बारे में कहा।
(क) लेखिका की नानी ने लेखिका के लिए
(ख) लेखिका की नानी ने लेखिका की माँ के लिए
(ग) लेखिका की दादी ने लेखिका की माँ के लिए
(घ) लेखिका की परदादी ने लेखिका की दादी के लिए
उत्तर – (ग) लेखिका की दादी ने लेखिका की माँ के लिए
3 –
हमने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं पाया। न उन्होंने कभी हमें लाड़ किया, न हमारे लिए खाना पकाया और न अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी। कुछ अपनी बीमारी के चलते भी, वे घरबार नहीं सँभाल पाती थीं पर उसमें ज़्यादा हाथ उनकी अरुचि का था। उनका ज्यादा वक्त किताबें पढ़ने में बीतता था, बाकी वक्त साहित्य-चर्चा में या संगीत सुनने में और वे ये सब बिस्तर पर लेटे-लेटे किया करती थीं। फिर भी, जैसा मैंने पहले कहा था, हमारे परंपरागत दादा-दादी या उनकी ससुराल के अन्य सदस्य उन्हें न नाम धरते थे, न उनसे आम औरत की तरह होने की अपेक्षा रखते थे। उनमें सबकी इतनी श्रद्धा क्यों थी, जबकि वह पत्नी, माँ और बहू के किसी प्रचारित कर्तव्य का पालन नहीं करती थीं? साहबी खानदान के रोब के अलावा मेरी समझ में दो कारण आए हैं-(1) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और (2) वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं।
पहले के कारण उन्हें घरवालों का आदर मिला हुआ था; दूसरे के कारण बाहरवालों की दोस्ती। दोस्त वे हमारी भी थीं, माँ की भूमिका हमारे पिता बखूबी निभा देते थे। मुझे याद है, बचपन में भी हमारे घर में किसी की चिट्ठी आने पर कोई उससे यह नहीं पूछता था कि उसमें क्या लिखा है। भले वह एक बहन की दूसरी के नाम क्यों न हो। और माँ यह जानने को बेहाल हों कि बीमारी से वह उबरी या नहीं। छोटे से घर में छह बच्चों के साथ, सास-ससुर आदि के रहते हुए भी, हर व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की छूट थी। इसी निजत्व बनाए रखने की छूट का फ़ायदा उठाकर, हम तीन बहनें और छोटा भाई लेखन के हवाले हो गए।
प्रश्न 1 – लेखिका ने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा क्यों नहीं पाया?
(क) क्योंकि उन्होंने कभी उन्हें लाड़ नहीं किया
(ख) क्योंकि उन्होंने कभी उनके लिए खाना नहीं पकाया
(ग) क्योंकि उन्होंने कभी उन्हें अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख नहीं दी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखिका की माँ का ज्यादा वक्त किसमें व्यतीत होता था ?
(क) किताबें पढ़ने में
(ख) साहित्य-चर्चा में या संगीत सुनने में
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 3 – लेखिका की माँ में सबकी इतनी श्रद्धा क्यों थी?
(क) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं
(ख) वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं
(ग) केवल (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 4 – अपने गुणों के कारण लेखिका की माँ सभी के साथ कैसा सम्बन्ध बना?
(क) उन्हें घरवालों का आदर मिला व् बाहरवालों की दोस्ती
(ख) उन्हें घरवालों का सम्मान मिला
(ग) उनकी घरवालों के साथ दोस्ती हुई
(घ) उन्हें कोई किसी काम को करने के लिए नहीं कहता था
उत्तर – (क) उन्हें घरवालों का आदर मिला व् बाहरवालों की दोस्ती
प्रश्न 5 – लेखिका व् तीन बहनें और छोटा भाई लेखन के हवाले कैसे हो गए?
(क) लेखन में सभी की रूचि होने के कारण
(ख) निजत्व बनाए रखने की छूट का फ़ायदा उठाकर
(ग) अपनी माँ को सदा पढ़ता देखकर
(घ) परिवार के माहौल के कारण
उत्तर – (ख) निजत्व बनाए रखने की छूट का फ़ायदा उठाकर
4 –
लीक से खिसके, अपने पूर्वजों में, माँ और नानी ही रही होतीं तो गनीमत रहती, पर अपनी एक परदादी भी थीं, जिन्हें कतार से बाहर चलने का शौंक था। उन्होंने व्रत ले रखा था कि अगर खुदा के फ़ज़ल से, उनके पास कभी दो से ज़्यादा धोतियाँ हो जाएँगी तो वे तीसरी दान कर देंगी। जैन समाज में अपरिग्रह की सनक बिरादरी बाहर हरकत नहीं मानी जाती, इसलिए वहाँ तक तो ठीक था। पर उनका असली जलवा तब देखने को मिला, जब मेरी माँ पहली बार गर्भवती हुईं। मेरी परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो। यह गैर-रवायती मन्नत माँगकर ही उन्हें चैन नहीं पड़ा। उसे भगवान और अपने बीच पोशीदा रखने के बजाए सरेआम उसका ऐलान कर दिया। लोगों के मुँह खुले-के-खुले रह गए। उनके फ़ितूर की कोई वाजिब वजह ढूँढ़े न मिली। यह भी नहीं कह सकते थे कि खानदान में पुश्तों से कन्या पैदा नहीं हुई थी, इसलिए माँ जी बेचारी कन्यादान के पुण्य के अभाव को पूरा करने के चक्कर में थीं। क्योंकि पिताजी की ही नहीं, दादा जी की भी बहनें मौजूद थीं। हाँ, पहला बच्चा हर बहू का बेटा होता रहा था। खैर, माँ जी ने अपनी तरफ़ से कोई सफ़ाई नहीं दी, बल्कि बदस्तूर मंदिर जाकर मन्नत दुहराती रहीं। पूरा नकुड़ गाँव जानता था कि माँ जी का भगवान के साथ सीधा-सीधा तार जुड़ा हुआ है। बेतार का तार। इधर वह तार खींचती, उधर टन से तथास्तु बजता। मेरी दादी तो पहली मर्तबा में ही तैयार हो गई थीं कि गोद में खेलेगी, तो पोती। पर माँ जी की आरज़ू किस कदर रंग लाएगी, उसका उन्हें भी गुमान न रहा होगा।
प्रश्न 1 – लीक से खिसककर चलने का शौंक किसे था?
(क) लेखिका की माँ को
(ख) लेखिका की नानी को
(ग) लेखिका की परदादी को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर क्या मन्नत माँगी?
(क) उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो
(ख) उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़का हो
(ग) उनकी पतोहू का दो बच्चे हो
(घ) उनकी पतोहू का एक बच्चा लड़की और दूसरा लड़का हो
उत्तर – (क) उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो
प्रश्न 3 – लोगों के मुँह खुले-के-खुले क्यों रह गए?
(क) क्योंकि परदादा ने लड़के की मन्नत माँगी थी
(ख) क्योंकि परदादा ने लड़की की मन्नत माँगी थी
(ग) क्योंकि परदादी ने लड़की की मन्नत माँगी थी
(घ) क्योंकि परदादी ने लड़के की मन्नत माँगी थी
उत्तर – (ग) क्योंकि परदादी ने लड़की की मन्नत माँगी थी
प्रश्न 4 – परदादी के फ़ितूर की कोई वाजिब वजह ढूँढ़ कर भी क्यों न मिली? यह भी नहीं कह सकते थे कि खानदान में पुश्तों से कन्या पैदा नहीं हुई थी, इसलिए माँ जी बेचारी कन्यादान के पुण्य के अभाव को पूरा करने के चक्कर में थीं।
(क) क्योंकि उनके खानदान में पहले भी लड़कियाँ पैदा हुई थी
(ख) न ही परदादी को कन्यादान के पुण्य का अभाव था
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 5 – इधर वह तार खींचती, उधर टन से तथास्तु बजता। पंक्ति का आशय क्या है ?
(क) परदादी हमेशा मंदिर जाती थी
(ख) परदादी भगवान् को बहुत मानती थी
(ग) भगवान् परदादी की सभी इच्छाओं को तुरंत पूरी करते थे
(घ) भगवान् और परदादी एक दूसरे से जुड़े हुए थे।
उत्तर – (ग) भगवान् परदादी की सभी इच्छाओं को तुरंत पूरी करते थे
5 –
15 अगस्त 1947 को, जब देश को आज़ादी मिली या कहना चाहिए, जब आज़ादी पाने का जश्न मनाया गया तो दुर्योग से मैं बीमार थी। उन दिनों, टाइफ़ाइड खासा जानलेवा रोग माना जाता था। इसलिए मेरे तमाम रोने-धोने के बावजूद डॉक्टर ने मुझे इंडिया गेट जाकर, जश्न में शिरकत करने की इजाज़त नहीं दी। चूँकि डॉक्टर अपने नाना के परम मित्र, उनसे ज़्यादा नाना थे इसलिए हमारे पिता जी, जो बात-बात पर सत्ताधारियों से लड़ते-भिड़ते फिरते थे, चुप्पी साध गए। मैं बदस्तूर रोती-कलपती रही, क्या कोई बच्चा इकलौती गुड़िया के टूट जाने पर रोया होगा! मेरी उम्र तब नौ बरस की थी। इतनी छोटी नहीं कि गुड़िया से बहलती और इतनी बड़ी नहीं कि डॉक्टरी तर्क समझती। तंग आकर पिता जी मुझे ‘ब्रदर्स कारामजोव’ उपन्यास पकड़ा गए। किताबें पढ़ने का मुझे मिराक था। सो, जब कुछ देर बाद मैंने देखा कि पिता जी को छोड़कर, घर के बाकी सब प्राणी पलायन कर चुके थे और पिता जी दूसरे कमरे में बैठे अपनी किताब पढ़ रहे थे तो, रोना-धोना छोड़कर मैंने भी किताब खोल ली। एक बार शुरू कर लेने पर, उसने मुझे इतनी मोहलत नहीं दी कि दोबारा रोना शुरू करूँ या कोई और काम पकड़ूँ। उस वक्त ‘ब्रदर्स कारामजोव’ मुझे देने में क्या तुक थी, तब मेरी समझ में नहीं आया। किताब कितनी समझ में आई, वह अब तक नहीं जानती, क्योंकि उसके बाद इतनी बार पढ़ी कि सारे पाठ आपस में गड्ड-मड्ड हो गए। कितना पहली बार में पल्ले पड़ा, कितना बाद में, कहना मुश्किल है। पर इतना विश्वास के साथ कह सकती हूँ कि उसका एक अध्याय, जो बच्चों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर था, मुझे पहली बार में ही लगभग कंठस्थ हो गया था। उम्र के हर पड़ाव पर वह मेरे साथ रहा और मेरे लेखन के एक महत्वपूर्ण भाग को प्रभावित करता रहा। जैसे ‘जादू का कालीन’ मेरा नाटक, ‘नहीं’ व ‘तीन किलो की छोरी’, जैसी कहानियाँ व ‘कठगुलाब’ उपन्यास के कई अंश।
प्रश्न 1 – 15 अगस्त 1947 को, आज़ादी पाने का जश्न में लेखिका क्यों नहीं जा सकी?
(क) पिता द्वारा न भेजे जाने के कारण
(ख) टाइफ़ाइड हो जाने के कारण
(ग) नानी की मृत्यु होने के कारण
(घ) माँ के बीमार होने के कारण
उत्तर – (ख) टाइफ़ाइड हो जाने के कारण
प्रश्न 2 – लेखिका के तमाम रोने-धोने के बावजूद किसने जश्न में शिरकत करने की इजाज़त नहीं दी?
(क) डॉक्टर ने
(ख) पिता ने
(ग) माँ ने
(घ) नानी ने
उत्तर – (क) डॉक्टर ने
प्रश्न 3 – 15 अगस्त 1947 में लेखिका की उम्र क्या थी?
(क) पाँच बरस
(ख) सात बरस
(ग) नौ बरस
(घ) तीन बरस
उत्तर – (ग) नौ बरस
प्रश्न 4 – तंग आकर लेखिका के पिता जी ने लेखिका को कौन सा उपन्यास पकड़ा दिया ?
(क) ब्रदर्स कारामजोव
(ख) ब्रदर्स कामजोव
(ग) ब्रदर्स काराव
(घ) ब्रदर्स कारामजो
उत्तर – (क) ब्रदर्स कारामजोव
प्रश्न 5 – लेखिका के लेखन के एक महत्वपूर्ण भाग को कौन प्रभावित करता रहा?
(क) ब्रदर्स कारामजोव का एक अध्याय, जो लेखन की खूबियों पर था
(ख) ब्रदर्स कारामजोव का एक अध्याय, जो समाज में होने वाले अत्याचार पर था
(ग) ब्रदर्स कारामजोव का एक अध्याय, जो स्त्रियों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर था
(घ) ब्रदर्स कारामजोव का एक अध्याय, जो बच्चों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर था
उत्तर – (घ) ब्रदर्स कारामजोव का एक अध्याय, जो बच्चों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर था
Class 9 Hindi Kritika Lesson 2 Mere Sang ki Auraten Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – “मेरे संग की औरतें” , पाठ की लेखिका कौन हैं?
(क) मृदुल गर्ग
(ख) मृदुला गर्ग
(ग) मृदुला शर्मा
(घ) मृदुल शर्ग
उत्तर – (ख) मृदुला गर्ग
प्रश्न 2 – “मेरे संग की औरतें” , संस्मरण में लेखिका ने कितनी पीढ़ी की महिलाओं का वर्णन किया हैं?
(क) चार पीढ़ी की (परदादी , नानी , माँ और खुद लेखिका)
(ख) तीन पीढ़ी की (परदादी , नानी और माँ)
(ग) केवल खुद लेखिका
(घ) दो पीढ़ी की (परदादी और नानी)
उत्तर – (क) चार पीढ़ी की (परदादी , नानी , माँ और खुद लेखिका)
प्रश्न 3 – लेखिका का अपनी नानी से कहानियाँ न सुनने का क्या कारण रहा?
(क) क्योंकि नानी की मृत्यु लेखिका की शादी से पहले हो गई थी
(ख) क्योंकि नानी की मृत्यु लेखिका के होश सँभालने से पहले हो गई थी
(ग) क्योंकि नानी की मृत्यु लेखिका की मां की शादी से पहले हो गई थी
(घ) क्योंकि लेखिका की नानी किसी से बात करना पसंद नहीं करती थी
उत्तर – (ग) क्योंकि नानी की मृत्यु लेखिका की मां की शादी से पहले हो गई थी
प्रश्न 4 – लेखिका की नानी कैसी महिला थी?
(क) पारंपरिक
(ख) पर्दा करने वाली महिला
(ग) अनपढ़
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – लेखिका के नानाजी को सभी क्या मानते थे?
(क) पक्के साहब
(ख) आधे अंग्रेज
(ग) रौबदार साहब
(घ) पक्के अंग्रेज
उत्तर – (क) पक्के साहब
प्रश्न 6 – लेखिका की नानी और नाना के बीच के अंतर का कारण क्या रहा होगा?
(क) नानी की कम उम्र
(ख) नानी का नाजुक होना
(ग) नानी का कम बोलना
(घ) अशिक्षा
उत्तर – (घ) अशिक्षा
प्रश्न 7 – प्यारेलाल शर्मा कौन थे?
(क) नानी के दोस्त व स्वतंत्रता सेनानी
(ख) नाना के दोस्त व स्वतंत्रता सेनानी
(ग) नाना के रिश्तेदार व स्वतंत्रता सेनानी
(घ) नानी के रिश्तेदार व स्वतंत्रता सेनानी
उत्तर – (ख) नाना के दोस्त व स्वतंत्रता सेनानी
प्रश्न 8 – नानीजी के मन में कौन सा सपना था?
(क) अपनी आजादी का
(ख) अपनी बेटी की आजादी का
(ग) देश की आजादी का
(घ) देश को शिक्षित करने का
उत्तर – (ग) देश की आजादी का
प्रश्न 9 – लेखिका के पिता को किस अपराध के कारण आईसीएस (ICS) की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया?
(क) आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के
(ख) लेखिका की माँ से कम उम्र में शादी कर लेने के
(ग) आजादी के लिए पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखने के
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के
प्रश्न 10 – लेखिका की मां कैसी साड़ी पहनती थी?
(क) सूती
(ख) रेशमी
(ग) खादी
(घ) ऊनी
उत्तर – (ग) खादी
प्रश्न 11 – लेखिका की माँ में कौन से गुण थे?
(क) झूठ न बोलना व लोगों को तंग न करना
(ख) सच न बोलना व लोगों की गोपनीय बातें अपने तक सीमित रखना
(ग) झूठ न बोलना व सभी की बातों का पालन करना
(घ) झूठ न बोलना व लोगों की गोपनीय बातें अपने तक सीमित रखना
उत्तर – (घ) झूठ न बोलना व लोगों की गोपनीय बातें अपने तक सीमित रखना
प्रश्न 12 – लेखिका की माँ को किस चीज का शौक था?
(क) पुस्तकें पढ़ने का
(ख) संगीत सुनने का
(ग) पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का
(घ) केवल (क)
उत्तर – (ग) पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का
प्रश्न 13 – लेखिका की परदादी ने क्या मन्नत मांगी थी ?
(क) पतोहू के लिए कन्या रत्न की प्राप्ति
(ख) पतोहू के लिए पुत्र रत्न की प्राप्ति
(ग) पतोहू के लिए स्वास्थ्य की प्राप्ति
(घ) पतोहू के लिए धन – समृद्धि की प्राप्ति
उत्तर – (क) पतोहू के लिए कन्या रत्न की प्राप्ति
प्रश्न 14 – लेखिका की दादी ने किसे सही राह दिखलाई ?
(क) लेखिका के पिता को
(ख) लेखिका की माँ को
(ग) एक चोर को
(घ) एक किसान को
उत्तर – (ग) एक चोर को
प्रश्न 15 – परदादी की बात का चोर पर क्या असर हुआ?
(क) चोर ने चोरी करना छोड़ दिया
(ख) चोर ने खेती करनी शुरू कर दी
(ग) चोर ने और ज्यादा चोरी करना शुरू कर दिया
(घ) चोर ने चोरी करना छोड़ कर, खेती करनी शुरू कर दी
उत्तर – (घ) चोर ने चोरी करना छोड़ कर, खेती करनी शुरू कर दी
प्रश्न 16 – 15 अगस्त 1947 को लेखिका आजादी का जश्न देखने क्यों नही जा पाई?
(क) टाइफाइड होने के कारण
(ख) शादी होने के कारण
(ग) नानी के गुजर जाने के कारण
(घ) माँ के बीमार होने के कारण
उत्तर – (क) टाइफाइड होने के कारण
प्रश्न 17 – लेखिका के लिए उनके पिताजी किस कारण महत्वपूर्ण थे?
(क) क्योंकि वो लेखिका के सपने को साकार करने में मदद करते थे
(ख) क्योंकि वो नानी की कहानियाँ सुनाते थे
(ग) क्योंकि वो माता-पिता दोनों की भूमिका निभाते थे
(घ) क्योंकि वो लेखिका का अच्छा ध्यान रखते थे
उत्तर – (ग) क्योंकि वो माता-पिता दोनों की भूमिका निभाते थे
प्रश्न 18 – शादी के बाद , लेखिका अपने पति के साथ कहाँ रहने चली गई?
(क) बिहार के डालमिया नगर में
(ख) पंजाब के डालमिया नगर में
(ग) उड़ीसा के डालमिया नगर में
(घ) आसाम के डालमिया नगर में
उत्तर – (क) बिहार के डालमिया नगर में
प्रश्न 19 – लेखिका ने नाटकों के माध्यम से किसके लिए पैसा इकठ्ठा किया?
(क) बाढ़ राहत कोष के लिए
(ख) भूकंप राहत कोष के लिए
(ग) अकाल राहत कोष के लिए
(घ) स्वास्थ्य राहत कोष के लिए
उत्तर – (ग) अकाल राहत कोष के लिए
प्रश्न 20 – लेखिका के अपने जीवन में प्रसिद्धि किस क्षेत्र में मिली?
(क) लेखन
(ख) सामाजिक सेवा
(ग) निस्वार्थ प्रेम
(घ) काव्य
उत्तर – (क) लेखन
Mere Sang ki Auraten Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – लेखिका के अनुसार उनका और उनकी दो बहिनों का लेखन कार्य में आने के क्या कारण थे?
उत्तर – लेखिका के अनुसार उनका और उनकी दो बहिनों का लेखन कार्य में आने का कारण उनकी नानी थी। लेखिका ने उन्हें कभी नहीं देखा था। क्योंकि लेखिका की माँ की शादी होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी। लेखिका को बचपन में नानी से कहानी सुन पाने का सौभाग्य नहीं मिल पाया जिसके कारण लेखिका मानती है कि शायद बाद में इसी वजह से लेखिका और उसकी बहिनों को खुद कहानियाँ कहनी पड़ीं अर्थात वे लेखिका बन गईं।
प्रश्न 2 – लेखिका ने पहले अपनी नानी के बारे क्या जाना?
उत्तर – पहले-पहले लेखिका ने अपनी नानी के बारे में इतना ही जाना कि वह पारंपरिक, अनपढ़ और परदा करने वाली औरत थीं, जिनके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर वकालत की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए थे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर जब वे लौटे और विलायती रीति रिवाज के संग ज़िंदगी व्यतीत करने लगे तो, नानी के अपने रहन-सहन पर, उसका कोई असर नहीं पड़ने दिया। और न ही उन्होंने अपनी किसी इच्छा-आकांक्षा या पसंद-नापंसद को अपने पति के समक्ष कभी व्यक्त किया। अर्थात उन्होंने कभी अपनी किसी जरूरत या इच्छा को अपने पति को नहीं बताया।
प्रश्न 3 – लेखिका की नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा से कौन-सी इच्छा प्रकट की और क्यों?
उत्तर – लेखिका की नानी ने कभी अपने पति के सामने कोई इच्छा व्यक्त नहीं की थी परन्तु जब कम-उम्र में ही नानी ने खुद को मौत के करीब पाया तो, अपनी पंद्रह वर्षीय इकलौती बेटी अर्थात लेखिका की माँ की शादी की फ़िक्र ने उन्हें डरा दिया था कि वे एकदम बहुत बोलने वाली हो गई थी। उस आखरी वक्त में उन्होंने अपने पति अर्थात लेखिका के नाना से कहा कि वे परदे का ख्याल छोड़कर उनके दोस्त स्वतंत्रता-सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं। यह सुनकर सभी दंग-हैरान रह गए थे। क्योंकि वे सब सोचने पर मज़बूर हो गए थे कि जिस परदा करने वाली औरत ने पराए मर्द से क्या, खुद अपने मर्द से मुँह खोलकर बात नहीं की थी, आखिरी वक्त में एक अजनबी मर्द से वह क्या कहना चाहती है? जब लेखिका के नाना अपने दोस्त को नानी के पास ले आए तो जो बात नानी ने उनसे कही वह और भी अचंभित कर देने वाली बात थी। नानी ने उनसे वचन माँगा कि उनकी लड़की अर्थात लेखिका की माँ के लिए वर वे ही तय करेंगे। क्योंकि नानी के अनुसार उनके पति तो साहब हैं और वे नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी की शादी, साहबों के आज्ञानुसार हो। वे जानती थी कि अंग्रेज़ों के भक्त उनके पति उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं करेंगे। इसलिए नानी चाहती थी कि प्यारे लाल शर्मा अपनी तरह आज़ादी का सिपाही ढूँढ़कर लेखिका की माँ की शादी करवा दें।
प्रश्न 4 – लेखिका की नानी कब और क्यों मुँहज़ोर हो उठीं?
उत्तर – लेखिका की नानी उस समय मुँहज़ोर हो उठी थी जब उन्होंने महसूस किया कि कम उम्र में ही वे मृत्यु के निकट है। और उनकी इकलौती पंद्रह वर्षीया बेटी अभी अविवाहित है। अपनी बेटी के विवाह के लिए उचित वर ढूँढने के लिए वे मुँहजोर हो उठी थी। इसका एक महत्वपूर्ण कारण उनके पति का आचार-विचार भी था। उनके उच्च शिक्षित पति अंग्रेजों के भक्त थे जबकि लेखिका की नानी स्वतंत्रताप्रिय नारी थीं। वे अपनी बेटी का विवाह किसी साहब से नहीं बल्कि आज़ादी के सिपाही से करने की पक्षधर थीं। इसी वजह से पूरी जिन्दगी में कभी पति से कोई इच्छा न रखने वाली औरत बहुत बोलने वाली हो गई थी।
प्रश्न 5- लेखिका ने अपनी माँ को परीजात-सी जादुई क्यों कहा है और ससुराल में उनकी स्थिति का वर्णन अपने शब्दों में करों?
उत्तर – लेखिका की माँ किसी परीजात से कम जादुई नहीं लगती थी क्योंकि उनमें खूबसूरती, नज़ाकत, गैर-दुनियादारी के साथ ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे गुण भरपूर थे। वे इतनी नाजुक प्रतीत होती थी कि उनसे ठोस काम करवाने की कोई सोच भी नहीं सकता था। भले ही वे कोई ठोस या कठिन काम नहीं करती थी परन्तु हर ठोस और कठिन काम के लिए उनकी ज़बानी राय ज़रूर माँगी जाती थी और पत्थर की लकीर की तरह उनकी दी गई राय को मान भी लिया जाता था। लेखिका ने कभी अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा नहीं देखा। उन्होंने कभी भी लेखिका और उनकी बहनों को प्यार नहीं किया, न उनके लिए कभी खाना पकाया और न भारतीय माँ की तरह अपनी बेटियों को अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी। अपनी बीमारी के चलते भी वे घरबार नहीं सँभाल पाती थीं परन्तु बिमारी से ज़्यादा अरुचि के कारण वे कोई काम नहीं करती थी। उनका ज्यादा वक्त किताबें पढ़ने में बीतता था, बाकी वक्त साहित्य-चर्चा में या संगीत सुनने में गुजर जाता था और वे ये सब काम बिस्तर पर लेटे-लेटे ही किया करती थीं। लेखिका के परंपरागत दादा-दादी या लेखिका की माँ के ससुराल के अन्य सदस्य उन्हें कुछ भी करने पर नहीं डाँटते थे, और न उनसे आम औरत की तरह होने की अपेक्षा रखते थे। लेखिका को यह समझ में नहीं आता था कि उनकी माँ, न तो पत्नी, न माँ और न बहू के किसी प्रचारित कर्तव्य का पालन करती थीं। फिर भी सबकी उनमें इतनी श्रद्धा क्यों थी। लेखिका की माँ के साहबी खानदान के रोब के अलावा लेखिका को इस बात के दो कारण समझ में आए – पहला – वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और दूसरा – वे एक की रहस्य वाली बात को दूसरे को पता नहीं चलने देती थीं। उसकी माँ के इन दो गुणों में से पहले के कारण उन्हें घरवालों का आदर मिला हुआ था और दूसरे के कारण बाहरवालों से उनकी दोस्ती बनी हुई थी।
प्रश्न 6 – लेखिका को अपनी माँ और अन्य परंपरागत भारतीय माताओं में क्या अंतर नज़र आया?
उत्तर – लेखिका ने कभी अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा नहीं देखा। उन्होंने कभी भी लेखिका और उनकी बहनों को प्यार नहीं किया, न उनके लिए कभी खाना पकाया और न भारतीय माँ की तरह अपनी बेटियों को अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी। अपनी बीमारी के चलते भी वे घरबार नहीं सँभाल पाती थीं परन्तु बिमारी से ज़्यादा अरुचि के कारण वे कोई काम नहीं करती थी। उनका ज्यादा वक्त किताबें पढ़ने में बीतता था, बाकी वक्त साहित्य-चर्चा में या संगीत सुनने में गुजर जाता था और वे ये सब काम बिस्तर पर लेटे-लेटे ही किया करती थीं। लेखिका के जीवन में उनकी माँ उनकी भी दोस्त की ही तरह थीं, और उनके जीवन में माँ की भूमिका लेखिका के पिता अच्छे से निभा देते थे।
प्रश्न 7.- लेखिका को अपनी नानी, माँ और परदादी में क्या समानता लगी? परदादी के विषय में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मर्यादा से हटकर, लेखिका के पूर्वजों में, माँ और नानी ही होतीं तो संतोष किया जा सकता था, परन्तु इस सूची में लेखिका की एक परदादी भी थीं, जिन्हें कतार से बाहर चलने का शौंक था। अर्थात लेखिका की परदादी भी पारंपरिक रीतिरिवाजों से हटकर जीवन जीने वालों में से थी। उन्होंने व्रत ले रखा था कि अगर खुदा की रहमत या दया से, उनके पास कभी दो से ज़्यादा धोतियाँ हो जाएँगी तो वे तीसरी दान कर देंगी। इसके अलावा जब लेखिका की माँ के पहली बार गर्भवती होने पर लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी कि उनकी पतोहू अर्थात बहु का पहला बच्चा लड़की हो। यह गैर-रवायती मन्नत माँगकर भी उन्हें चैन नहीं पड़ा। और इस मन्नत को भगवान और अपने बीच राज रखने के बजाए सरेआम उसका ऐलान कर दिया। जिससे लोगों के मुँह खुले-के-खुले रह गए। कहने का तात्पर्य यह है कि लोग जहाँ भगवान् से पुत्र प्राप्ति की मन्नत माँगते थे वहीँ लेखिका की परदादी ने पुत्री की मन्नत माँग कर सभी को चौंका दिया था।
प्रश्न 8 – ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर बताइए कि सारा अनुमान लगाकर घुसने पर भी चोर क्यों पकड़ा गया?
उत्तर – किसी शादी के सिलसिले में नकुड़ की हवेली के सभी मर्द बारात में दूसरे गाँव गए हुए थे। औरतें सज-धज कर रात्रि-जागरण मना रही थीं। नाच-गाने और ढोलक की थाप के शोर में नामी चोर कब चोरी करने के उद्देश्य से दीवार में बड़ा छेद बनाकर हवेली में घुसा, किसी को खबर न हुई। परन्तु चोर की किस्मत खराब थी क्योंकि जिस कमरे में वह घुसा, उसमें माँ जी सोई हुई थीं। रात्रि-जागरण के शोर से बचने के लिए वे अपना कमरा छोड़ दूसरे में जाकर सोई थीं। चोर बेचारे ने तो सारी तैयारियाँ करके और सब पता करके ही उस कमरे में उतरा था, परन्तु उसे क्या पता था कि इतनी बड़ी-बूढ़ी पुरखिन अपनी जगह बदल लेगी। और इस पर भी दादी के बुढ़ापे की नींद चोर के दबे पाँवों की आहट से ही खुल गई।
प्रश्न 9 – ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखिका की परदादी के कार्य-व्यवहार से आपको किन जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है?
उत्तर- लेखिका की परदादी भी उसकी नानी और माँ के समान लीक से कार्य करने वाली थीं। वे अपने कार्यव्यवहार से पाठ में वर्णित स्त्रियों में एक अलग स्थान बनाती हैं। उनके कार्यव्यवहार से हमें निम्नलिखित जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है-
परदानशीं की अपरिग्रह की आदत से दूसरों की मदद की प्रेरणा।
उनके कार्य व्यवहार से दूसरों के प्रति सदय एवं संवेदनशील बनने की प्रेरणा।
गैर-रवायती मन्नत माँगने के कार्य से लड़कियों को समान अवसर देने की प्रेरणा।
राह से भटके लोगों के साथ उदारतापूर्वक एवं मानवीयता भरा व्यवहार करके उन्हें सुधरने का अवसर देने की प्रेरणा।
किसी को दंड देकर प्रभावित करने की कोशिश के स्थान पर स्नेहपूर्ण व्यवहार द्वारा अपना बना लेने की प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न 10 – लेखिका ने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल खोला। आप अपने आसपास ऐसे बच्चे देखते होंगे जो स्कुल नहीं जाते हैं। आप इन बच्चों के लिए क्या प्रयास करना चाहोगे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – लेखिका ने कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में स्कूल खोलने की प्रार्थना कैथोलिक विशप से की परंतु वहाँ क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम होने के बारण वे स्कूल खोलने को तैयार नहीं हुए। लेखिका ने वहाँ स्कूल खोलकर ऐसे बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवाई।
हमारे समाज में हमारे आसपास भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो विभिन्न परिस्थितियों के कारण स्कूल न जाने के कारण स्कूल से वंचित हैं। ऐसे बच्चे को शिक्षित करने के लिए मैं-
उनके माता-पिता और अभिभावकों को शिक्षा का महत्त्व बताऊँगा।
ऐसे बच्चों को मैं अपने खाली समय में पढ़ाने की व्यवस्था कराँगा।
अपने सहपाठियों से कहूँगा कि ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए वे भी आगे आएँ।
ऐसे बच्चों को अपने साथियों की मदद से पुस्तकें, कापियाँ एवं अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने का प्रयास करूंगा।
समाज के धनी वर्ग से अनुरोध करूँगा कि ऐसे बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने के लिए आगे आएँ और उनका भविष्य सँवारने का प्रयास करें।