CBSE Class 9 Hindi Chapter 2 Lhasa Ki Or (ल्हासा की ओर) Question Answers (Important) from Kshitij Book
Class 9 Hindi Lhasa Ki Or Question Answers and NCERT Solutions– Looking for Lhasa Ki Or question answers for CBSE Class 9 Hindi A Kshitij Bhag 1 Book Chapter 2? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी कोर्स ए क्षितिज भाग 1 के पाठ 2 ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract-based questions, multiple choice questions, short answer and long answer questions.
Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.
- Lhasa Ki Or NCERT Solutions
- Lhasa Ki Or Extract Based Questions
- Lhasa Ki Or Multiple choice Questions
- Lhasa Ki Or Extra Question Answers
Related:
Lhasa Ki Or Chapter 2 NCERT Solutions
प्रश्न-अभ्यास
1. थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों ?
उत्तर- थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहली यात्रा के दौरान लेखक को भिखमंगे के वेश में ठहरने के लिए जगह मिली क्योंकि सुमति के जान-पहचान के लोग गाँव में थे और भिखमंगों को उस समय सहानुभूति मिलती थी। दूसरी यात्रा में, भद्र वेश में होने के बावजूद, लोगों की मनोवृत्ति बदल चुकी थी। शाम के समय छङ् पीने के कारण उनके होश-हवास दुरुस्त नहीं रहते थे, जिससे वे मेहमाननवाज़ी नहीं कर सके और लेखक को सबसे गरीब झोपड़ी में ठहरना पड़ा।
2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर- उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण लोग पिस्तौल, बंदूक लिए घूमते रहते थे, यात्रियों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले व्यक्ति को मार डालते थे और बाद में देखते थे कि उसके पास पैसा है या नहीं। उस समय लोग बिना झिझक हमला कर सकते थे, और डाकुओं के लिए निर्जन स्थानों में हत्या कर देना आसान था क्योंकि वहाँ कोई गवाह या सुरक्षा नहीं थी।
3. लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर- लेखक को जो घोड़ा मिला था वह बहुत सुस्त था और दो रास्ते दिखाई देने पर लेखन ने बाएँ रास्ते को चुन लिया। वहाँ से लगभग डेढ़ मील चलने पर पता चला कि लङ्कोर का रास्ता दाहिने वाला था। वे वापस लौटकर दाहिने रास्ते की तरफ चले। इस कारण से लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से पिछड़ गये।
4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर- लेखक ने दूसरी बार सुमति को रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे कन्जुर की हस्तलिखित पोथियाँ पढ़ने में लीन हो गए थे और वे उन पोथियों को पढ़ना चाहते थे। जब तक लेखक इन पोथियों को पढ़कर पूरा करते तब तक सुमति वापस आ जायेगा। ऐसा सोचकर सुमति को जाने की अनुमति दे दी।
5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठनाईयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर- रास्ता दुर्गम था और घोड़ा भी बहुत थका हुआ था। उन्हें एक ओर तो बहुत ठण्ड का सामना करना पड़ा और दूसरी ओर तेज धूप का। भिखारी का वेश धारण करते हुए उन्हें यात्रा करनी पड़ी। देर से पहुँचने पर सुमति के गुस्से का सामना भी करना पड़ा। पाँच साल बाद जब वे भद्र यात्री के वेश में लौट रहे थे तब उन्हें गाँव के सबसे गरीब झोपड़े में ठहरना पड़ा। उन्हें भरिया (भार उठाने वाला) भी नहीं मिला, जिसके कारण उन्हें अपना सामान खुद लादना पड़ा।
6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताईये कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर- उस समय के तिब्बती समाज में जाति-पाँति, छुआछूत नहीं था और न औरतें परदा किया करती थीं। जागीरदारी व्यवस्था में मठों का महत्वपूर्ण स्थान था और भिक्षुओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। हर एक स्थान सुनसान लगता था और रास्ते बहुत ही खतरनाक थे। बेगार (कभी-कभी मुफ्त में काम करने वाले) प्रथा थी। समाज को कठोर भौगोलिक परिस्थितयों का सामना करना पड़ता था।
7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर- (क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
रचना और अभिव्यक्ति
8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर- सुमति एक मंगोल भिक्षु थे। वह धार्मिक और आध्यात्मिक थे। वह जिस किसी भी स्थान पर जाते थे यजमानों से मिलते जाते थे। मिलनसार होने के साथ ही साथ वह हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। सुमति से मित्रता होने के कारण लेखक को भी ठहरने का स्थान मिल जाता था और वह सुरक्षित महसूस भी करते थे क्योंकि सुमति को तिब्बत के हर एक स्थान का अच्छा ज्ञान था।
9. ‘हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।’- उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर- हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होना एक सामाजिक सोच है, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। वेशभूषा किसी व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति, उसके व्यवसाय या व्यक्तिगत पसंद को बता सकता है, लेकिन यह उसके चरित्र, योग्यता, या नैतिकता को नहीं। वेशभूषा के आधार पर व्यवहार करने से भेदभाव और असमानता को बढ़ावा मिलता है। इसलिए, वेशभूषा के आधार पर आचार-व्यवहार तय करना सही नहीं है और इसे बदलने की आवश्यकता है। हमें ऐसी सोच अपनानी चाहिए जो समानता को बढ़ावा दे।
लेखक जब यात्रा पर थे तो भिखारी के भेष में थे, एक दिन वे शेकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नम्से) से मिले। लेखक के इस भिखारी वेश-भूषा में भी नम्से ने उनका स्वागत किया। इसलिए लेखक कहते हैं, “हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।”
10. यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति बहुत ही अलग है और चुनौतियाँ दिखाईं देती हैं। यह क्षेत्र ऊँचे पहाड़ों, विशाल मैदानों और दुर्गम डाँड़ों से घिरा हुआ है। तिब्बत के पहाड़ नंगे और बर्फ से ढके हुए हैं, जहाँ हरियाली और पेड़-पौधे लगभग न के बराबर हैं। वहाँ की धूप तेज और सर्दियाँ कठोर होती हैं, जिससे यात्रा करना मुश्किल हो जाता है। निर्जन क्षेत्रों में गाँव-घर की कमी और डाकुओं का खतरा इस भौगोलिक कठिनाई को और बढ़ा देता है। तिब्बत में पत्थरों, जानवरों की सींगों और रंगीन झंडियों से सजाए गए देवताओं के स्थल देखे जा सकते हैं।
मेरे राज्य/शहर की भौगोलिक स्थिति इससे भिन्न है। जहाँ तिब्बत की भौगोलिक स्थिति शुष्क, ठंडी और कठिन है, वहीं मेरे क्षेत्र में हरियाली, नदियाँ, और मैदानी या समतल भूभाग हैं। यहाँ की जलवायु अनुकूल है, और यात्रा के लिए बुनियादी सुविधाएँ भी आसानी से उपलब्ध होती हैं। तिब्बत की तुलना में मेरे क्षेत्र में जीवन सरल और चीज़ें उपलब्ध हैं।
11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर- पिछले वर्ष मैंने राजस्थान के जैसलमेर की यात्रा की, जो मेरे लिए एक न भूलने वाला अनुभव रहा। इस यात्रा के दौरान मुझे वहाँ की संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहरों और भौगोलिक बनावट को करीब से देखने का अवसर मिला।
किले के भीतर स्थित जैन मंदिरों की नक्काशी और सोनार किला बाजार की चहल-पहल ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरे दिन हमने थार रेगिस्तान का अनुभव लिया। वहाँ ऊँट की सवारी करते हुए रेत के विशाल टीले और सूर्यास्त का दृश्य देखने का सौभाग्य मिला।
यात्रा के दौरान मैंने वहाँ की लोक कला और अतिथि-सत्कार को महसूस किया। रेगिस्तानी इलाके में दिन के समय की तेज धूप और रात की ठंड कुछ कठिनाई भरी थी, लेकिन यह सब अनुभव यात्रा का ही हिस्सा था।
इस यात्रा ने मुझे न केवल एक नई जगह की सुंदरता से परिचित कराया, बल्कि वहाँ की संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को भी समझने का अवसर दिया।
12. यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर-
पाठ का नाम | विधा | भिन्नताएँ | रचयिता |
दो बैलों की कथा | कहानी | यह कहानी संदेश देती है कि स्वतंत्रता हर प्राणी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना आवश्यक है। साथ ही कृषक समाज और पशुओं के भावनात्मक सम्बन्ध को भी बताया है। | प्रेमचंद |
उपभोक्ताबाद की संस्कृति | निबंध | उपभोक्तावाद की संस्कृति निबंध बाजार की गिरफ्त में आ रहे समाज की वास्तविकता को प्रस्तुत करता है। लेखक का मानना है कि हम विज्ञापन की चमक-दमक के कारण वस्तुओं के पीछे भाग रहे हैं हमारी निगाह गुणवत्ता पर नहीं है। | श्यामाचरण दुबे |
साँवले सपनों की याद | संस्मरण | लेखक ने प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु के तुरंत बाद डायरी शैली में संस्मरण लिखा था, जिसमें सालिम अली की मृत्यु से हुए दुख को लेखक ने सांवले सपनों की याद के रूप में व्यक्त किया है। | जाबिर हुसैन |
प्रेमचंद के फटे जूते | निबंध | लेखक ने प्रेमचंद के फटे जूते नामक निबंध में उनके सादगी भरे जीवन को प्रस्तुत किया है। | हरिशंकर परसाई |
मेरे बचपन के दिन | संस्मरण | महादेवी वर्मा जी ने अपने बचपन के दिनों के बारे में बताया है जब वह विद्यालय में पढ़ रही थी। साथ ही स्वतंत्रता आंदोलनों के बारे में बताया है। | महादेवी वर्मा |
Grammar Exercises भाषा – अध्ययन
13. किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता हैं, जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए-
‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर-
- यह समझ में नहीं आ रहा था कि घोड़ा आगे बढ़ रहा है या पीछे हट रहा है।
- घोड़े की चाल से यह पहचानना मुश्किल था कि वह आगे बढ़ रहा है या पीछे जा रहा है।
- घोड़े की गति से यह साफ नहीं हो रहा था कि वह आगे बढ़ रहा है या पीछे।
14. ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ “ल्हासा की ओर” में से निम्नलिखित आंचलिक शब्द मिलते हैं:
चोङी, खोटी, लमयिक्, जोङ्पोन्, थोङ्ला, कुची-कुची, डाँड़ा, सत्तू, थुक्पा, भीटे, नम्से, कन्जुर, भरिया।
15. पाठ में काँगज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ में निम्नलिखित शब्द हैं, जो किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की विशेषता को प्रकट करते हैं:
मुख्य रास्ता, सैनिक रास्ता, परित्यक्त किला, अच्छी जगह,
खतरनाक डाँड़े, गरीब झोपड़ा, तेज़ धूप, कड़ी धूप, मोटे कपड़े, विशाल मैदान, छोटी-सी पहाड़ी, भद्र यात्री, गरमागरम थुक्पा, टोटीदार बरतन, भद्र पुरुष आदि।
पाठेतर सक्रियता
1. यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी। आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
उत्तर- राहुल जी ने 1930 में तिब्बत की यात्रा की थी, जो उस समय बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण थी। तब यात्रा पैदल, घोड़ों और कठिन पहाड़ी मार्गों के माध्यम से की जाती थी, जबकि आज हवाई जहाज, तिब्बत रेलवे और पक्की सड़कों के कारण यह अधिक सरल और तेज हो गई है। उस समय यातायात के साधन न होने के कारण आपात स्थिति में सहायता मिलना मुश्किल था, लेकिन आज मोबाइल फोन, इंटरनेट और जीपीएस ने यात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बना दिया है। तब यात्रियों को स्थानीय भोजन और गाँवों या मठों में ठहरने की व्यवस्था करनी पड़ती थी, जबकि आज आधुनिक होटल और विभिन्न प्रकार के भोजन आसानी से उपलब्ध हैं। तिब्बत का समाज तब पारंपरिक और प्राकृतिक रूप से संरक्षित था, परंतु वैश्वीकरण और पर्यटन के प्रभाव से इसमें आधुनिकता देखते को मिलती है। पर्यावरणीय दृष्टि से भी तब के मुकाबले आज जलवायु परिवर्तन के कारण तिब्बत का प्राकृतिक स्वरूप काफी बदल गया है। इसके अलावा, आज के समय में तिब्बत की यात्रा के लिए विशेष परमिट और नियमों का पालन करना आवश्यक है।
2. क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी/यायावरी का शौक है? उसके इस शौक का उसकी पढ़ाई/काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ता होगा, लिखें।
उत्तर- मेरे बड़े भाई को घुमक्कड़ी का बहुत शौक है। वह हर छुट्टी या अवसर पर नई जगहों की यात्रा करना पसंद करते हैं। उनका यह शौक उनकी पढ़ाई पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है। एक ओर, यात्रा के दौरान उन्हें विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और स्थानों को समझने का अवसर मिलता है। यह उनके ज्ञान, आत्मविश्वास और संवाद कौशल को भी निखारता है, जो उनके काम और पढ़ाई में मददगार साबित होता है।
दूसरी ओर, लगातार यात्रा करने से समय प्रबंधन पर प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी, घुमक्कड़ी के कारण उनकी पढ़ाई या का बोझ बढ़ जाता है, क्योंकि यात्रा से लौटने के बाद उन्हें बहुत सारा कार्य करना पड़ता है। इसके अलावा, यात्रा में समय और पैसों की आवश्यकता होती है, जो उनको प्रभावित करती है। हालांकि, उन्होंने अपनी रुचि और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना सीख लिया है, जिससे वे अपने शौक का मजा लेते हुए अपने जीवन के अन्य पहलुओं को भी संभालते हैं।
3. अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफ़ानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।
प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल हैं। हम उसके बदलते मिज़ाज को उसका कोप कह लें या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आनें वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।
दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति की निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से न देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज़्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुई।
जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूँढ़ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती।
(1) कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
उत्तर- समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफ़ानी लहरों के प्रकोप को सुनामी कहा जाता है।
(2) ‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस वाक्य का आशय है कि दुख और विपत्तियाँ जीवन में कठिन अनुभवों से गुजरने का अवसर देती हैं। ये हमें धैर्य और संघर्ष की शिक्षा देती हैं और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
(3) मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया?
उत्तर- मैगी ने समुद्र का भयंकर शोर सुनकर कठनाई को समझा, अपने परिवार और 41 लोगों को बेड़े पर बिठाकर सुरक्षित जगह पहुँचाया। मेघना और अरुण ने दो दिनों तक समुद्र में खारे पानी और जीव-जंतुओं का सामना करते हुए तैरकर किनारे पर पहुँचने का साहस दिखाया।
(4) प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़ निश्चय’ और ‘महत्व’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
उत्तर- ‘दृढ़ निश्चय’ के लिए “बुलंद इरादे” और ‘महत्व’ के लिए “प्रकाश की अहमियत” शब्दों का प्रयोग किया गया है।
(5) इस गद्यांश के लिए एक शीर्षक ‘नाराज़ समुद्र’ हो सकता है। आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर- इस गद्यांश के लिए एक अन्य उपयुक्त शीर्षक हो सकता है “प्रकृति की चुनौती और मानवता का साहस”।
Class 9 Hindi Lhasa Ki Or – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
प्रस्तुत गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1. वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङ्पोङ् का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बते जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फ़ौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी। आजकल बहुत से फ़ौजी मकान गिर चुके हैं। दुर्ग के किसी भाग में, जहाँ किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है, वहाँ घर कुछ आबाद दिखाई पड़ते हैं। ऐसा ही परित्यक्त एक चीनी किला था। हम वहाँ चाय पीने के लिए ठहरे। तिब्बत में यात्रियों के लिए बहुत सी तकलीफ़ें भी हैं और कुछ आराम की बातें भी। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं।
बहुत निम्नश्रेणी के भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने देते; नहीं तो आप बिलकुल घर के भीतर चले जा सकते हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसे पका देगी। मक्खन और सोडा-नमक दे दीजिए, वह चाय चोङी में कूटकर उसे दूधवाली चाय के रंग की बना के मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में रखके आपको दे देगी। यदि बैठक की जगह चूल्हे से दूर है और आपको डर है कि सारा मक्खन आपकी चाय में नहीं पड़ेगा, तो आप खुद जाकर चोङी में चाय मथकर ला सकते हैं। चाय का रंग तैयार हो जाने पर फिर नमक-मक्खन डालने की ज़रूरत होती है।
1. नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता किस प्रकार का था?
(क) व्यापारिक और सैनिक
(ख) धार्मिक और सांस्कृतिक
(ग) केवल व्यापारिक
(घ) केवल सैनिक
उत्तर: (क) व्यापारिक और सैनिक
2. चीनी किलों की वर्तमान स्थिति क्या है?
(क) सभी किले अच्छी स्थिति में हैं
(ख) अधिकतर किले गिर चुके हैं
(ग) किलों में सैनिक रहते हैं
(घ) किलों में तीर्थयात्री ठहरते हैं
उत्तर: (ख) अधिकतर किले गिर चुके हैं
3. तिब्बत में बहुत निम्न श्रेणी के भिखमंगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?
(क) उन्हें घर के भीतर बुलाया जाता है
(ख) चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने दिया जाता
(ग) उन्हें भोजन दिया जाता है
(घ) उन्हें चाय बनाकर दी जाती है
उत्तर: (ख) चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने दिया जाता
4. यदि मक्खन चाय में सही मात्रा में नहीं पड़ता तो यात्री क्या कर सकते हैं?
(क) चाय छोड़ सकते हैं
(ख) खुद जाकर चोङी में चाय मथ सकते हैं
(ग) मक्खन बढ़ा सकते हैं
(घ) चाय को दुबारा बना सकते हैं
उत्तर: (ख) खुद जाकर चोङी में चाय मथ सकते हैं
5. तिब्बत में चाय किस प्रकार के बर्तन में दी जाती है?
(क) प्लास्टिक के गिलास में
(ख) मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में
(ग) लोहे के बर्तन में
(घ) लकड़ी के प्याले में
उत्तर: (ख) मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में
2. परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी माँगने आया। हमने वह दोनों चिटें उसे दे दीं। शायद उसी दिन हम थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँच गए। यहाँ भी सुमति के जान-पहचान के आदमी थे और भिखमंगे रहते भी ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली। पाँच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं, एक भद्र यात्री के वेश में घोड़ों पर सवार होकर आए थे; किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी, और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोपड़े में ठहरे थे। बहुत कुछ लोगों की उस वक्त की मनोवृत्ति पर ही निर्भर है, खासकर शाम के वक्त, छङ् पीकर बहुत कम होश-हवास को दुरुस्त रखते हैं।
अब हमें सबसे विकट डाँड़ा थोङ्ला पार करना था। डाँड़े तिब्बत में सबसे खतरे की जगहें हैं। सोलह-सत्रह हज़ार फीट की ऊँचाई होने के कारण उनके दोनों तरफ़ मीलों तक कोई गाँव-गिराँव नहीं होते। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे अच्छी जगह है। तिब्बत में गाँव में आकर खून हो जाए, तब तो खूनी को सज़ा भी मिल सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता। सरकार खुफ़िया-विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत पहिले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं।
1. परित्यक्त चीनी किले से जब लेखक और सुमति चलने लगे, तो किसने राहदारी माँगी थी?
(क) एक भद्र यात्री ने
(ख) एक भिखमंगे ने
(ग) एक आदमी ने
(घ) एक बच्चे ने
उत्तर: (ग) एक आदमी
2. लेखक और उनके साथी किस गाँव में पहुँच गए थे?
(क) थोङ्ला
(ख) थांग
(ग) सुमति
(घ) झोला
उत्तर: (क) थोङ्ला
3. पाँच साल बाद लौटने पर लेखक को कहाँ ठहरने के लिए जगह मिली?
(क) गाँव के एक गरीब झोपड़े में
(ख) गाँव के भद्र घर में
(ग) एक होटल में
(घ) एक अच्छे मकान में
उत्तर: (अ) गाँव के एक गरीब झोपड़े में
4. लेखक के अनुसार, तिब्बत में सबसे खतरे की जगहें कहाँ हैं?
(क) बर्फीली पहाड़ियाँ
(ख) डाँड़े
(ग) जंगल
(घ) गाँव के रास्ते
उत्तर: (ख) डाँड़े
5. डाँड़ों के बारे में लेखक क्या कहते हैं?
(क) यह क्षेत्र बहुत सुरक्षित है।
(ख) यहाँ केवल डाकू रहते हैं।
(ग) यह क्षेत्र बहुत दूर और निर्जन होता है।
(घ) यह क्षेत्र सुमति के घर के पास है।
उत्तर: (ग) यह क्षेत्र बहुत दूर और निर्जन होता है।
3. हथियार का कानून न रहने के कारण यहाँ लाठी की तरह लोग पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं। डाकू यदि जान से न मारे तो खुद उसे अपने प्राणों का ख़तरा है। गाँव में हमें मालूम हुआ कि पिछले ही साल थोङ्ला के पास खून हो गया। शायद खून की हम उतनी परवाह नहीं करते, क्योंकि हम भिखमंगे थे और जहाँ-कहीं वैसी सूरत देखते, टोपी उतार जीभ निकाल, “कुची-कुची (दया-दया) एक पैसा” कहते भीख माँगने लगते। लेकिन पहाड़ की ऊँची चढ़ाई थी, पीठ पर सामान लादकर केसे चलते? और अगला पड़ाव 16-17 मील से कम नहीं था। मैंने सुमति से कहा कि यहाँ से लङ्कोर तक के लिए दो घोड़े कर लो, सामान भी रख लेंगे और चढ़े चलेंगे।
दूसरे दिन हम घोड़ों पर सवार होकर ऊपर की ओर चले। डाँड़े से पहिले एक जगह चाय पी और दोपहर के वक्त डाँड़े के ऊपर जा पहुँचे। हम समुद्रतल से 17-18 हज़ार फीट ऊँचे खड़े थे। हमारी दक्खिन तरफ़ पूरब से पच्छिम की ओर हिमालय के हज़ारों श्वेत शिखर चले गए थे। भीटे की ओर दिखने वाले पहाड़ बिलकुल नंगे थे, न वहाँ बरफ़ की सफ़ेदी थी, न किसी तरह की हरियाली। उत्तर की तरफ़ बहुत कम बरफ़ वाली चोटियाँ दिखाई पड़ती थीं। सर्वोच्च स्थान पर डाँड़े के देवता का स्थान था, जो पत्थरों के ढेर, जानवरों की सींगों और रंग-बिरंगें कपड़े की झंडियों से सजाया गया था।
1. पिछले साल के बारे में गाँव में क्या जानकारी मिली थी?
उत्तर: पिछले साल थोङ्ला के पास खून हुआ था।
2. लेखक ने सुमति से किस बारे में बात की?
उत्तर: लेखक ने सुमति से लङ्कोर तक के लिए दो घोड़े करने के बारे में बात की।
3. दूसरे दिन लेखक और सुमति कहाँ गए थे?
उत्तर: दूसरे दिन वे घोड़ों पर सवार होकर डाँड़े की ओर गए थे।
4. लेखक और सुमति समुद्रतल से कितनी ऊँचाई पर खड़े थे?
उत्तर: वे समुद्रतल से 17-18 हज़ार फीट की ऊँचाई पर खड़े थे।
5. डाँड़े के सर्वोच्च स्थान पर क्या था?
उत्तर: डाँड़े के सर्वोच्च स्थान पर देवता का स्थान था, जो पत्थरों, जानवरों की सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया था।
4. अब हमें बराबर उतराई पर चलना था। चढ़ाई तो कुछ दूर थोड़ी मुश्किल थी, लेकिन उतराई बिलकुल नहीं। शायद दो-एक और सवार साथी हमारे साथ चल रहे थे। मेरा घोड़ा कुछ धीमे चलने लगा। मैंने समझा कि चढ़ाई की थकावट के कारण ऐसा कर रहा है, और उसे मारना नहीं चाहता था। धीरे-धीरे वह बहुत पिछड़ गया और मैं दोन्क्विक्स्तो की तरह अपने घोड़े पर झूमता हुआ चला जा रहा था। जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे। जब मैं ज़ोर देने लगता, तो वह और सुस्त पड़ जाता। एक जगह दो रास्ते फूट रहे थे, मैं बाएँ का रास्ता ले मील-डेढ़ मील चला गया। आगे एक घर में पूछने से पता लगा कि लङ्कोर का रास्ता दाहिने वाला था। फिर लौटकर उसी को पकड़ा।
चार-पाँच बजे के करीब मैं गाँव से मील-भर पर था, तो सुमति इंतज़ार करते हुए मिले। मंगोलों का मुँह वेसे ही लाल होता है और अब तो वह पूरे गुस्से में थे। उन्होंने कहा-“मैंने दो टोकरी कंडे फूँ डाले, तीन-तीन बार चाय को गरम किया।” मैंने बहुत नरमी से जवाब दिया-“लेकिन मेरा कसूर नहीं है मित्र! देख नहीं रहे हो, कैसा घोड़ा मुझे मिला है! मैं तो रात तक पहुँचने की उम्मीद रखता था।” खेर, सुमति को जितनी जल्दी गुस्सा आता था, उतनी ही जल्दी वह ठंडा भी हो जाता था। लङ्कोर में वह एक अच्छी जगह पर ठहरे थे। यहाँ भी उनके अच्छे यजमान थे। पहिले चाय-सत्तू खाया गया, रात को गरमागरम थुक्पा मिला।
1. लेखक का घोड़ा किस स्थिति में चल रहा था?
उत्तर: लेखक का घोड़ा बहुत सुस्त पड़ गया था और वह पिछड़ने लगा था।
2. लेखक ने रास्ता बदलने के बाद कहाँ से पता लगाया कि सही रास्ता कौन सा था?
उत्तर: लेखक ने एक घर में पूछकर पता लगाया कि लङ्कोर का रास्ता दाहिने वाला था।
3. लेखक और सुमति कितने बजे मिलते हैं और सुमति गुस्से में क्यों होता है?
उत्तर: लेखक और सुमति चार-पाँच बजे के करीब मिलते हैं। सुमति को बहुत देर तक लेखक का इंतज़ार करना पड़ा था। इसलिए सुमति बहुत गुस्से में थे।
4. लङ्कोर में सुमति और लेखक ने क्या खाया?
उत्तर: लङ्कोर में सुमति और लेखक ने चाय-सत्तू खाया और रात को गरमागरम थुक्पा खाया।
5. लेखक ने देर से आने का क्या कारण बताया?
उत्तर: लेखक ने सुमति से कहा कि उसका घोड़ा बहुत सुस्त चल रहा था।
Class 9 Hindi A Kshitij Lesson 2 Lhasa Ki Or Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता क्या था?
(क) फरी-कलिङ्पोङ्
(ख) थोङ्ला
(ग) तिङ्री
(घ) शेकर विहार
उत्तर: (क) फरी-कलिङ्पोङ्
2. नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता क्या था?
(क) फरी-कलिङ्पोङ्
(ख) थोङ्ला
(ग) तिङ्री
(घ) शेकर विहार
उत्तर: (क) फरी-कलिङ्पोङ्
3. तिब्बत में लोग पिस्तौल और बंदूकें क्यों रखते थे?
(क) हथियार का कानून न होने के कारण
(ख) शौक के लिए
(ग) शिकार करने के लिए
(घ) युद्ध के लिए
उत्तर: (क) हथियार का कानून न होने के कारण
4. लेखक ने घोड़े के धीमे चलने के कारण क्या समझा?
(क) घोड़ा थक चुका था
(ख) घोड़ा बीमार था
(ग) घोड़ा डर रहा था
(घ) घोड़ा नशे में था
उत्तर: (क) घोड़ा थक चुका था
5. लेखक और सुमति ने लङ्कोर में क्या खाया था?
(क) चाय और सत्तू, बाद में थुक्पा
(ख) मिठाई
(ग) चाय और हलवा
(घ) चाय और बिरयानी
उत्तर: (क) चाय और सत्तू, बाद में थुक्पा
6. तिङ्री की पहाड़ी को किस नाम से जाना जाता है?
(क) तिङ्री-समाधि-गिरि
(ख) तिब्बत-गिरि
(ग) तिङ्री-मठ
(घ) तिब्बत-समाधि
उत्तर: (क) तिङ्री-समाधि-गिरि
7. लेखक ने सुमति को ल्हासा पहुँचकर क्या देने का वादा किया था?
(क) किताबें
(ख) रुपये
(ग) घोड़ा
(घ) वस्त्र
उत्तर: (ख) रुपये
8. कन्जुर की कितनी पोथियाँ थी?
(क) 103
(ख) 150
(ग) 50
(घ) 200
उत्तर: (क) 103
9. कन्जुर की पोथियाँ किस तरह की थीं?
(क) हस्तलिखित
(ख) मुद्रित
(ग) चित्रित
(घ) कागज के बंडल
उत्तर: (क) हस्तलिखित
10. तिब्बत में यात्री किस प्रकार की चाय पीते थे?
(क) दूधवाली चाय
(ख) ताजे पत्तियों की चाय
(ग) नमक और मक्खन वाली चाय
(घ) हल्दी वाली चाय
उत्तर: (ग) नमक और मक्खन वाली चाय
11. लेखक और सुमति ने किस मार्ग पर यात्रा की थी?
(क) तिब्बत का मुख्य मार्ग
(ख) नेपाल से तिब्बत जाने वाला मार्ग
(ग) मंगोलिया से तिब्बत जाने वाला मार्ग
(घ) भारत से तिब्बत जाने वाला मार्ग
उत्तर: (ख) नेपाल से तिब्बत जाने वाला मार्ग
12. लेखक ने किस स्थान को तिब्बत में अपने यात्रा का मुख्य केंद्र बताया?
(क) ल्हासा
(ख) तिङ्री
(ग) नेपाल
(घ) काठमांडू
उत्तर: (क) ल्हासा
13. तिब्बत में घोड़े की सवारी का क्या महत्व था?
(क) यह यात्रा का प्रमुख साधन था
(ख) यह व्यापार के लिए था
(ग) यह आराम के लिए था
(घ) यह शिकार के लिए था
उत्तर: (क) यह यात्रा का प्रमुख साधन था
14. तिब्बत में किस प्रकार के बर्फीले मार्गों की स्थितियाँ थीं?
(क) बहुत चिकने और सुरक्षित
(ख) खतरनाक और मुश्किल
(ग) आसान और सीधा
(घ) साफ मार्ग दिखाने वाले
उत्तर: (ख) खतरनाक और मुश्किल
15. लेखक के अनुसार, तिब्बत के मार्गों की सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
(क) सुरक्षा की कमी
(ख) मौसम की कठनाईयाँ
(ग) अपर्याप्त मार्ग
(घ) अपर्याप्त भोजन
उत्तर: (ख) मौसम की कठनाईयाँ
16. तिब्बत की ज़मीन किस प्रकार में बँटी हुई है?
(क) किसानों और व्यापारी वर्ग के बीच
(ख) छोटे-बड़े जागीरदारों में
(ग) सरकारी विभागों में
(घ) गाँवों और शहरों में
उत्तर: (ख) छोटे-बड़े जागीरदारों में
17. तिब्बत में जागीरों का अधिकांश हिस्सा किसके पास होता है?
(क) व्यापारियों के पास
(ख) मठों (विहारों) के पास
(ग) सरकारी अधिकारियों के पास
(घ) किसानों के पास
उत्तर: (ख) मठों (विहारों) के पास
18. तिब्बत में खेती का इंतज़ाम कौन करता है?
(क) व्यापारी
(ख) भिक्षु
(ग) राजा
(घ) जागीरदार
उत्तर: (ख) भिक्षु
19. दूसरे दिन लेखक और उनके साथी क्या ढूँढने की कोशिश कर रहे थे?
(क) घोड़ा
(ख) भरिया
(ग) पानी
(घ) भोजन
उत्तर: (ख) भरिया
20. सुमति ने तिङ्री में अपने परिचितों से मिलने के बजाय किस कारण से शेकर विहार जाने का निर्णय लिया?
(क) उन्हें आराम चाहिए था
(ख) उन्हें एक और यजमान से मिलना था
(ग) वहाँ कोई और काम था
(घ) वहाँ उनके पुराने मित्र थे
उत्तर: (ख) उन्हें एक और यजमान से मिलना था
Lhasa Ki Or Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
नीचे दिया गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए –
1. नेपाल से तिब्बत जाने वाले मुख्य रास्ते का क्या महत्व था, और वहाँ क्या व्यवस्थाएँ थीं?
उत्तर: नेपाल से तिब्बत जाने वाला मुख्य रास्ता व्यापारिक और सैनिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था। इस रास्ते से न केवल नेपाल बल्कि हिंदुस्तान की चीजें भी तिब्बत जाया करती थीं। रास्ते में फ़ौजी चौकियाँ और किले बने थे, जहाँ कभी चीनी सेना तैनात रहती थी। वर्तमान में कई फ़ौजी मकान गिर चुके हैं, लेकिन कुछ जगहें आज भी आबाद हैं।
2. तिब्बत में चाय बनाने की प्रक्रिया में क्या खास बातें हैं?
उत्तर: तिब्बत में चाय बनाने की प्रक्रिया अनूठी है। चाय में मक्खन, सोडा-नमक डालकर चोङी में कूटा जाता है। फिर उसे दूधवाले चाय के रंग में बदला जाता है। तैयार चाय मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में रखी जाती है। चाय का रंग बन जाने के बाद फिर नमक और मक्खन डाला जाता है।
3. परित्यक्त चीनी किले से चलने के बाद यात्रियों को किस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा?
उत्तर: परित्यक्त चीनी किले से चलने पर यात्रियों से राहदारी माँगी गई, जिसके लिए उन्होंने चिटें दीं। थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में सुमति के परिचित व्यक्ति होने के कारण ठहरने की अच्छी जगह मिली। हालाँकि, पाँच साल बाद जब वे भद्र यात्री बनकर लौटे, तो उन्हें किसी ने ठहरने की जगह नहीं दी, और वे एक गरीब झोपड़ी में ठहरे।
4. थोङ्ला के डाँड़े को तिब्बत में सबसे खतरनाक जगह क्यों माना जाता है?
उत्तर: थोङ्ला का डाँड़ा 16-17 हज़ार फीट की ऊँचाई पर है, जहाँ दोनों तरफ़ मीलों तक कोई गाँव नहीं है। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कारण दूर तक देख पाना मुश्किल होता है, जो डाकुओं के लिए उपयुक्त जगह बनाता है। यहाँ डकैत पहले आदमी को मार डालते हैं और फिर देखते हैं कि पैसा है या नहीं।
5. तिब्बत में हथियारों से संबंधित कानून न होने के क्या परिणाम हैं?
उत्तर: तिब्बत में हथियारों का कानून न होने के कारण लोग पिस्तौल और बंदूक को लाठी की तरह अपने साथ रखते हैं। डाकू यदि किसी को मारता नहीं है, तो उसे खुद अपने प्राणों का खतरा रहता है। यह स्थिति असुरक्षा को बढ़ावा देती है और खून-खराबे की घटनाएँ आम हो जाती हैं, जैसा कि पिछले साल थोङ्ला के पास खून हो गया था।
6. डाँड़े के सर्वोच्च स्थान पर देवता के स्थान की सजावट कैसी थी?
उत्तर: डाँड़े के सर्वोच्च स्थान पर देवता का स्थान पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया था। यह स्थान यात्रियों के लिए धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम प्रस्तुत करता है।
7. लेखक को रास्ता भटकने का अनुभव कैसे हुआ, और उसने सही रास्ता कैसे पाया?
उत्तर: दो रास्तों पर पहुँचकर लेखक ने बाएँ रास्ते को चुना और मील-डेढ़ मील तक चला। बाद में एक घर में पूछने पर पता चला कि लङ्कोर का सही रास्ता दाहिने वाला था। फिर वह लौटकर सही रास्ते पर चला।
8. लङ्कोर पहुँचने पर सुमति और लेखक को क्या सुविधाएँ और भोजन मिला?
उत्तर: लङ्कोर पहुँचने पर सुमति और लेखक एक अच्छी जगह पर ठहरे, जहाँ उनके अच्छे यजमान थे। वहाँ उन्होंने पहले चाय और सत्तू खाया। रात के भोजन में उन्हें गरमागरम थुक्पा परोसा गया, जो यात्रा की थकान मिटाने में सहायक रहा।
9. तिब्बत की तेज़ धूप का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: तिब्बत की तेज़ धूप कड़ी और झुलसाने वाली थी। सूरज की ओर मुँह करने पर लेखक का माथा जलने लगा था, जबकि पीछे का कंधा बर्फ़ की तरह ठंडा हो गया था।
10. मंदिर में रखी कन्जुर पोथियाँ किस विशेषता के लिए जानी जाती थीं?
उत्तर: मंदिर में रखी कन्जुर पोथियाँ हस्तलिखित थीं और बड़े मोटे कागज पर सुंदर अक्षरों में लिखी गई थीं। हर पोथी का वजन लगभग 15-15 सेर था। इन पोथियों में बुद्धवचनों का अनुवाद किया गया था, जो उनके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को दर्शाता है।