Paragraph Writing in Sanskrit

 

Anuched Lekhanam (अनुछेद लेखनम्) –  Tips, Examples, Practice Questions

 

Anuched Lekhanam (अनुछेद लेखनम्)इस लेख में हम संस्कृत के अनुछेद लेखन विषय को जानेंगे। संस्कृत में भी हिंदी व् अंग्रेज़ी की तरह अनुछेद लेखन का विषय होता है। अनुछेद को हम किसी निबंध का एक अंश कह सकते हैं। अनुछेद बहुत लंबा नहीं होता। इसमें किसी एक विषय के किसी एक अंश को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

 

Introduction

कक्षा 10 वीं की संस्कृत परीक्षा में अनुछेद लेखन का विषय भाग (रचनात्मकं कार्यं) में प्रश्न 3 में पूछा जाता है। प्रश्न 3 में आपको चित्रवर्णनं और अनुछेद लेखनं में विकल्प दिया जाता है। यह प्रश्न कुल 5 अंकों के लिए पूछा जाता है। सहायता के लिए इसमें शीर्षक और मञ्जूषा दी जाती है। जिनका सहारा लेकर आपको कम से कम पाँच वाक्य अवश्य लिखने होते हैं।

 

Tips

निम्नलिखित सुझाव की मदद से छात्र अनुच्छेद लेखन में पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं 

कक्षा 10 वीं की परीक्षा में अनुछेद लेखन के समय कुछ महत्वपूर्ण निर्देशों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे अनुछेद लेखन में कोई कठिनाई हो। ये महत्पूर्ण निर्देश निम्नलिखित हैं

  1. विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे संक्षिप्त वाक्य लिखें। केवल वाक्य शुद्ध होना चाहिए।

अत्र छात्रेभ्यः संक्षिप्तवाक्यरचना अपेक्षिता वर्तते। केवलं वाक्यं सम्यक् भवेत्।

  1. इस प्रश्न का मुख्य उद्देश्य केवल वाक्यों का निर्माण होता है। वाक्य छोटा या बड़ा यह मायने नहीं रखता।

अस्य प्रश्नस्य मुख्य उद्देश्यं केवलं वाक्यनिर्माणम् एव अस्ति। वाक्यं दीर्घं लघु वा इति महत्त्वं नास्ति।

  1. प्रत्येक वाक्य में आधा अंक भाव के लिए और आधा अंक वाक्य का व्याकरण की दृष्टि से शुद्धता के लिए होता है।

प्रत्येकं वाक्ये भावस्य कृते अर्धं चिह्नं, वाक्यस्य व्याकरणसमीचीनतायै अर्धं चिह्नं दत्तं भवति

 

  1. मञ्जूषा में सहायता के लिए शब्द दिए जाते हैं। छात्र उनका वाक्य में प्रयोग करें यह अनिवार्य नहीं है।

मञ्जुषायां प्रदत्ताः शब्दाः सहायतार्थं सन्ति। छात्रः तेषां वाक्येषु प्रयोगं कुर्यादेव इति अनिवार्यं नास्ति

 

  1. छात्र स्वयं से भी वाक्यों का निर्माण कर सकते हैं। मञ्जूषा में दिए गए शब्दों की विभक्ति में परिवर्तन करके भी वाक्यों का निर्माण कर सकते हैं।

छात्रः स्वमेधयाः अपि वाक्यानि निर्मातुं शक्नोति। मञ्जुषायां प्रदत्तानां शब्दानां विभक्तिं परिवर्तनं कृत्वा अपि वाक्यनिर्माणं कर्तुं शक्यते।

 

 

5 Solved Examples –

दिए गए उदाहरणों की मदद से विद्यार्थी अनुच्छेद लेखन के विषय को आसानी से समझ सकते हैं – 

1 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषयसमाचारपत्रं

मञ्जूषाअद्यतनसूचनाः, नित्यं, इण्डिया गजट, जनमतनिर्माणे, प्रादेशिकभाषासु, स्वस्थपत्रकारितायाः, समाचारपत्रपठनस्य, राजनैतिकक्षेत्रेषु, सामाजिकक्षेत्रेषु, व्यापारक्षेत्रेषु, अभ्यासः।

 उत्तर –

भारतस्य प्रथमं समाचारपत्रंइण्डिया गजटइति नाम्ना प्रकाशितम्। अद्यत्वे आङ्ग्लहिन्दीभाषाभ्यां विहाय सर्वासु प्रादेशिकभाषासु समाचारपत्रप्रकाशनं पूर्णतया प्रचलति। एतानि समाचारपत्राणि राजनैतिकसामाजिकव्यापारक्षेत्रेषु अद्यतनसूचनाः दत्त्वा जनमतनिर्माणे महत्त्वपूर्णां भूमिकां निर्वहन्ति। स्वस्थपत्रकारितायाः माध्यमेन ते जनसमूहस्य सर्वकारस्य मध्ये सुदृढं कडिः इति भूमिकां कर्तुं शक्नुवन्ति। अस्माभिः नित्यं समाचारपत्रपठनस्य अभ्यासः करणीयः।

भारत का पहला समाचार पत्रइण्डिया गजटके रूप में प्रकाशित हुआ। आज समाचार पत्र अंग्रेज़ी एवं हिंदी भाषा के अतिरिक्त सभी क्षेत्रीय भाषाओं में पूर्ण रूप से प्रकाशित होते हैं। ये समाचारपत्र राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में नवीनतम जानकारी प्रदान करके जनमत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वस्थ पत्रकारिता के माध्यम से वे जनता और सरकार के बीच एक मज़बूत कड़ी की भूमिका निभा सकते हैं। हमें प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ने का अभ्यास करना चाहिए।

 

2 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषयपुस्तकालयः

मञ्जूषासंकलितं, विशेषरुचिनुसारं, संग्रहः, पुस्तकालयः, पठनार्थं, सुरक्षितं, उपयोगं, पुस्तकानां, व्यक्तिगतपुस्तकालयस्य, अनेकप्रकारस्य, ज्ञानं, शक्नोति।

 उत्तर –

पुस्तकालयः एकः स्थानः अस्ति यत्र अनेकप्रकारस्य पुस्तकानां संग्रहः भवति। शताब्दशः मनुष्यः यत् ज्ञानं प्राप्तवान् तत् पुस्तकेषु संकलितं भवति, तानि पुस्तकानि पुस्तकालयेषु सुरक्षितानि सन्ति। पुस्तकालयस्य त्रिधा विभक्तुं शक्यतेव्यक्तिगतः, विद्यालयीयः, सार्वजनिकश्च व्यक्तिगतपुस्तकालयस्य तानि पुस्तकसङ्ग्रहालयाः सन्ति येषु व्यक्तिः स्वस्य विशेषरुचिनुसारं आवश्यकतानुसारं पुस्तकानि संग्रहयति। विद्यालयपुस्तकालयाः तानि पुस्तकालयानि सन्ति ये छात्राणां शिक्षकाणां पठनार्थं पुस्तकानि संग्रहयन्ति। कोऽपि व्यक्तिः सदस्यत्वेन सार्वजनिकपुस्तकालयस्य उपयोगं कर्तुं शक्नोति।

पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ अनेक प्रकार की पुस्तकें संग्रहित की जाती है। सदियों से मनुष्य ने जो ज्ञान अर्जित किया है, वह पुस्तकों में संकलित है और वे पुस्तकें पुस्तकालयों में सुरक्षित है। पुस्तकालय को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैव्यक्तिगत, विद्यालयीय और सार्वजनिक। व्यक्तिगत पुस्तकालय पुस्तकों का वह संग्रह हैं जिनमें व्यक्ति अपनी विशेष रुचियों एवं आवश्यकतायों के अनुसार पुस्तकें एकत्र करते है। विद्यालीय पुस्तकालय वे पुस्तकालय होते हैं जो छात्रों और शिक्षकों के पढ़ने के लिए पुस्तकों का संग्रह करते है। सार्वजनिक पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति सदस्य बन कर इसका उपयोग कर सकता है।

 

3 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषयउद्यानं

मञ्जूषापुष्पाणि, भ्रमणाय, विविधाः, धावित्वा, सायंकाले, उद्यानं, सुखं, यथासमये, नूतनवायुना, सकारात्मकतां, प्रात:काले, पोषणं, व्यायामं।

 उत्तर –

प्रात:काले सायंकाले जनाः भ्रमणाय उद्यानं आगच्छन्ति। तत्र विविधाः वृक्षाः पादपाः लता: सन्ति। तत्र बहुविधाः पुष्पाणि सन्ति। माली वृक्षान् यथासमये जलादिकं दत्त्वा प्रेम्णा परिचर्या, रक्षणं, पोषणं करोति। उद्याने प्रातःकाले भ्रमणं कृत्वा, नूतनवायुना धावित्वा, व्यायामं कृत्वा जनाः सुखं अनुभवन्ति। उद्याने भ्रमणेन जनानां मध्ये सकारात्मकतां प्रवर्तते।

बगीचे में सुबहशाम लोग घूमने के लिए आते हैं। वहाँ तरहतरह के पेड़, झाड़ियां और लताएं होती हैं। वहाँ कई तरह के फूल होते हैं। माली पेड़ों को सही समय पर पानी और अन्य चीजें देकर प्यार से उनकी देखभाल, सुरक्षा और पोषण करता है। लोग सुबह बगीचे में सैर करना, ताज़ी हवा में दौड़ना और व्यायाम करने से सुख का अनुभव करते हैं। बगीचे में टहलने से व्यक्तियों में सकारात्मकता बढ़ती है। 

 

4 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषय –  महात्मा गांधी

मञ्जूषासत्यम्, मोहनदास कर्मचंद गांधी, अहिंसायाम्, सत्याग्रहांदोलनम्, उच्चशिक्षायैः, सरलः, संलग्नः, बाल्यकालादेव, स्वदेशमागत्य, आंग्लशासकानां, सर्वं त्यागं।

 उत्तर –

महात्मा गांधी एकः महापुरुषः आसीत्। अस्य पूर्णं नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी अस्ति। बाल्यकालादेव एकः सरलः बालकः आसीत्। सः सदा सत्यम् वदति स्म। उच्चशिक्षायैः सः आंग्लदेशमगच्छत। स्वदेशमागत्य सः देशस्य सेवायाम् संलग्नः अभवत्। सः आंग्लशासकानां विरोधे सत्याग्रहांदोलनम् प्रावर्तयत। तस्य श्रद्धा अहिंसायाम् आसीत्। सः देशस्य कृते सर्वं त्यागं कृतवान् आसीत्।

महात्मा गांधी एक महान व्यक्ति थे। उनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी है। वह बचपन से ही एक साधारण लड़का था। वह हमेशा सच बोलता था। उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गये। वतन वापसी पर वह देश की सेवा में लग गये। उन्होंने ब्रिटिश शासकों के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया। उनका विश्वास अहिंसा में था। उन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर दिया था।

 

5 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषयप्रदूषणस्य समस्या

मञ्जूषाऔद्योगिककचराणि, वर्धितम्, ध्वनिप्रदूषणं, कारखानात्, प्रदूषणस्य, जलप्रदूषणस्य, धूमः, विरुद्धं, जलस्रोताः, कारखानानां, विश्वसमुदायः, कर्करोगः, जनयन्ति।

उत्तर – 

अद्यतनयुगे प्रदूषणस्य समस्या महती आव्हानं वर्तते। उद्योगानां विस्तारेण प्रदूषणमपि वर्धितम् अस्ति अद्य स्थितिः तादृशी अभवत् यत् केवलं वायुः अपितु जलस्रोताः अपि दूषिताः अभवन् कारखानात् बहिः आगच्छन् औद्योगिककचराणि नद्यः समुद्रेषु समाप्ताः भवन्ति, जलप्रदूषणस्य कारणं भवन्ति मोटरवाहनानां, कारखानानां चिमनीभ्यः उत्पद्यमानः धूमः वायुप्रदूषणं जनयति विवाहपार्टिषु विमानस्य, कारखानानां, मोटरवाहनस्य, कारस्य हॉर्नस्य, डीजे इत्यस्य कोलाहलस्य कारणेन ध्वनिप्रदूषणं भवति सम्पूर्णः विश्वसमुदायः एकीकृत्य प्रदूषणस्य विरुद्धं युद्धं कुर्यात् यत् कर्करोगः, ब्रोंकाइटिसः, खतरनाकाः हृदयरोगाः जनयन्ति।

आज के युग में प्रदूषण की समस्या एक बड़ी चुनौती है। उद्योगों के विस्तार के साथ प्रदूषण भी बढ़ा है। आज स्थिति यह हो गई है कि केवल हवा, बल्कि जलस्रोत भी दूषित हो गए हैं। कलकारखानों से निकलने वाला औद्यौगिक कचरा नदियों और सागरों के हवाले होकर जल प्रदूषण का कारण बन जाता है। मोटरगाड़ियों तथा कारखानों की चिमनियों से उठने वाला धुंआ वायु प्रदूषण का कारण बनता है। वायुयान, कलकारखाने, मोटरगाड़ियां, गाड़ियों के हॉर्न तथा शादीपार्टियों में लगने वाले डी जे आदि के शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है। पुरे विश्व समुदाय को एकजुट होकर कैंसर, ब्रांकाइटिस तथा ह्रदय के खतरनाक रोगों का कारण बनने वाले प्रदूषण के खिलाफ लड़ना चाहिए।

 

Practice Questions

 

नीचे दिए गए अनुच्छेद लेखनम  के प्रश्नों को हल करके उत्तर देखिये और गलतियों को सुधर के पूरे अंक प्राप्त कीजिये –

1 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत – 

विषय –  भ्रष्टाचारः

मञ्जूषा – भारतमपि, लोभः, अधिकाधिकं, मुख्यकारणं, परिश्रमम्, तृप्तः, नियमं, भ्रष्टाचारः, उल्लङ्घनं, अग्रणी, निर्धनानाम्, धनिनां, प्रगतेः, घूसं, घूसविनिमयः, भ्रष्टाचारनिवारणाय

 

2 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

विषय –  मम् विद्यालयं

मञ्जूषा – आकर्षकम्‌ , विद्यालयः, वातावरणम्‌, पुस्तकालय, पञ्चाशत्त्, वाटिका, प्रयोगशाला, वार्षिकउत्सव, गौरवास्पदम्‌, छात्राः, वृक्षाणि, प्रतिसप्ताहे, बालसभा, कार्येषु 

 

3 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत – 

विषय –  व्यायामः

मञ्जूषा – नियमित, दीर्घायुषः, अत्यावश्यकः, निर्वाहयितुम्, व्यायामं, स्वस्थं, रक्तसञ्चारं, बलं वर्धयति, प्रदूषणरहितः, प्रातःकाले, स्वस्थशरीरस्य, आहारः, कुशलं, निवसति, स्वस्थः आत्मा, स्वस्थशरीरे

 

4

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

 विषय –  समयस्य महत्त्वम्

मञ्जूषा – कल्याणस्य, मानवसमाजस्य, बहुमूल्यं, शक्यन्ते, पुनः, अभ्यासेन, धनं, अर्जनेन, सत्कर्मणा, सहस्राणि, दुर्लभतरः, समयस्य, द्रव्यं,छात्राः, ध्यानं,दैवनिर्माताश्च

 

5 –

मञ्जुषाप्रदत्तशब्दानां साहाय्येन निम्नलिखितं विषयं अधिकृत्य पञ्चभिः संस्कृतवाक्यैः एकं अनुच्छेदं लिखत

 विषय –  परोपकारः

मञ्जूषा – द्विविधाः जनाः, एकः परहितकरः, नित्यं क्षतिं, स्वदुःखं, दूरीकर्तुं, परेषां छायां, परहिताय, सूर्यचन्द्रौ, परोपकाराय, नद्यः, वृक्षाः, गावः, स्वप्रीतये, दानस्य, निःस्वार्थाः, क्षुधार्तानां, दरिद्राणां, दानं विना, परोपकारं

 

उत्तर –

1 – 

विषय –  भ्रष्टाचारः

मञ्जूषा – भारतमपि, लोभः, अधिकाधिकं, मुख्यकारणं, परिश्रमम्, तृप्तः, नियमं, भ्रष्टाचारः, उल्लङ्घनं, अग्रणी, निर्धनानाम्, धनिनां, प्रगतेः, घूसं, घूसविनिमयः, भ्रष्टाचारनिवारणाय

 

भ्रष्टाचारस्य मुख्यकारणं लोभः एव । सम्प्रति कोऽपि तृप्तः नास्ति। सर्वे अधिकाधिकं धनं इच्छन्ति विना किमपि परिश्रमम्। एतदर्थं ते नियमं भङ्गयन्ति, यदा न्यायस्य नियमानाम् उल्लङ्घनं भवति तदा भ्रष्टाचारः जायते। अधुना भारतमपि भ्रष्टाचारविषये अग्रणी अस्ति। कोऽपि अधिकारी घूसं विना निर्धनानाम् धनिनां वा कृते किमपि कार्यं न करोति। भ्रष्टाचारः देशं प्रगतेः विकासस्य च प्रति न अपितु अवनतिं प्रति नेति। अतः भ्रष्टाचारनिवारणाय घूसविनिमयः न भवेत् ।

भ्रष्टाचार का मुख्य कारण लालच है। वर्तमान समय में कोई भी व्यक्ति संतुष्ट नहीं हैं। हर कोई ज्यादा से ज्यादा पैसा बिना मेहनत के चाहता है। इसके लिए वे कानून को तोड़ते हैं और जब कानून के नियमों का उल्लंघन होता है, तो भ्रष्टाचार का जन्म होता है। आजकल भारत भ्रष्टाचार के मामले में भी सबसे आगे है। कोई भी अधिकारी बिना रिश्वत लिए गरीबों या अमीरों के लिए कोई काम नहीं करता। भ्रष्टाचार देश को प्रगति और विकास की ओर नहीं बल्कि पतन की ओर ले जाता है। इसलिए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए रिश्वत का आदान-प्रदान नहीं होना चाहिए।

 

2 –

विषय –  मम् विद्यालयं

मञ्जूषा – आकर्षकम्‌ , विद्यालयः, वातावरणम्‌, पुस्तकालय, पञ्चाशत्त्, वाटिका, प्रयोगशाला, वार्षिकउत्सव, गौरवास्पदम्‌, छात्राः, वृक्षाणि, प्रतिसप्ताहे, बालसभा, कार्येषु 

 

मम विद्यालयस्य नाम सरस्वती विद्या मंदिर अस्ति। अस्य वातावरणम्‌ आकर्षकम्‌ अस्ति। मम विद्यालये एक पुस्तकालय अस्ति। मम् विद्यालये एकः वाटिका अस्ति। मम् विद्यालये पञ्चाशत्त् आचार्यः अस्ति। मम् विद्यालये एकः प्रयोगशाला अस्ति। मम् विद्यालये प्रतिवर्ष वार्षिकउत्सव भवति। मम् विद्यालये अनेकानि वृक्षाणि सन्ति। अयं विद्यालय: अस्मा्कं गौरवास्पदम्‌ अस्ति। विद्यालये प्रतिसप्ताहे बालसभा अपि आयोज्यते। मम विद्यालये छात्राः अध्ययनेन सह अन्येषु कार्येषु भागं गृह्णन्ति।

मेरे विद्यालय का नाम सरस्वती विद्या मंदिर है। इसका वातावरण आकर्षक है। मेरे विद्यालय में एक पुस्तकालय है। मेरे स्कूल में एक बगीचा है। मेरे विद्यालय में पचास शिक्षक हैं। मेरे पास स्कूल में एक प्रयोगशाला है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिक उत्सव होता है। मेरे स्कूल में बहुत सारे पेड़ हैं। यह विद्यालय हमारा गौरव है। स्कूल में हर सप्ताह बच्चों की बैठक भी होती है। मेरे स्कूल में छात्र पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लेते हैं। 

 

3 –

विषय –  व्यायामः

मञ्जूषा – नियमित, दीर्घायुषः, अत्यावश्यकः, निर्वाहयितुम्, व्यायामं, स्वस्थं, रक्तसञ्चारं, बलं वर्धयति, प्रदूषणरहितः, प्रातःकाले, स्वस्थशरीरस्य, आहारः, कुशलं, निवसति, स्वस्थः आत्मा, स्वस्थशरीरे

 

यदि कश्चन व्यक्तिः दीर्घायुषः जीवनं यापयितुम् इच्छति तर्हि सः नियमितरूपेण व्यायामं कुर्यात्। स्वास्थ्यं निर्वाहयितुम् व्यायामः अत्यावश्यकः अस्ति। नियमितव्यायामेन शरीरं स्वस्थं भवति । व्यायामस्य अनेके लाभाः सन्ति – बलं वर्धयति, शरीरस्य सर्वेषां अङ्गानाम् विकासं करोति, शरीरे रक्तसञ्चारं च सुदृढं करोति । प्रातःकाले वायुः प्रदूषणरहितः अस्ति। अतः प्रातःकाले व्यायामः श्रेष्ठः इति मन्यते । स्वस्थशरीरस्य कृते द्वौ प्रमुखौ साधनौ सन्ति समुचितव्यायामः उत्तमः आहारः च । स्वस्थं शरीरं व्यक्तिं कुशलं करोति। स्वस्थः आत्मा केवलं स्वस्थशरीरे एव निवसति इति विश्वासः अस्ति ।

अगर कोई मनुष्य लंबी उम्र जीना चाहता है तो उसे नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। नियमित व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है। व्यायाम के कई फायदे हैं – इससे ताकत बढ़ती है, शरीर के सभी अंगों का विकास होता है और शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। सुबह की हवा प्रदूषण मुक्त होती है। इसलिए सुबह व्यायाम करना सबसे अच्छा माना जाता है। स्वस्थ शरीर के लिए दो प्रमुख उपकरण हैं उचित व्यायाम और बेहतर भोजन। स्वस्थ शरीर मनुष्य को कुशल बनाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है।

 

4 –

विषय –  समयस्य महत्त्वम्

मञ्जूषा – कल्याणस्य, मानवसमाजस्य, बहुमूल्यं, शक्यन्ते, पुनः, अभ्यासेन, धनं, अर्जनेन, सत्कर्मणा, सहस्राणि, दुर्लभतरः, समयस्य, द्रव्यं,छात्राः, ध्यानं,दैवनिर्माताश्च

 

समयस्य सम्यक् उपयोगः मानवसमाजस्य कल्याणस्य साधनम् अस्ति । कालः जगति सर्वाधिकं बहुमूल्यं वस्तु अस्ति। यतः सर्वाणि वस्तूनि पुनः प्राप्तुं शक्यन्ते परन्तु अतीतं पुनः प्राप्तुं न शक्यते। नष्टं ज्ञानं अभ्यासेन पुनः प्राप्तुं शक्यते, नष्टं धनं अर्जनेन पुनः प्राप्तुं शक्यते, नष्टं यशः सत्कर्मणा पुनः प्राप्तुं शक्यते किन्तु नष्टः कालः सहस्राणि प्रयत्नात् दुर्लभतरः भवति। अत एव कालः बहुमूल्यं द्रव्यं मन्यते । छात्राः अस्मिन् विषये विशेषं ध्यानं दातव्यम्। यतो हि ते भारतस्य भावी नेतारः दैवनिर्माताश्च सन्ति।

समय का सदुपयोग मानव समाज के कल्याण का एक साधन है। दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तुओं में से समय सबसे मूल्यवान है। क्योंकि सभी वस्तुओं को पुनः प्राप्त क्या जा सकता है परन्तु बीते समय को दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। खोया हुआ ज्ञान अभ्यास से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोया हुआ धन कमाई से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोई हुई प्रसिद्धि अच्छे कर्मों से पुनः प्राप्त की जा सकती है लेकिन खोया हुआ समय हजारों प्रयासों से भी दुर्लभ है। इसीलिए समय को सबसे कीमती वस्तु माना जाता है। विद्यार्थियों को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि वे ही भारत के भावी नेता और भाग्य विधाता हैं।

 

5 –

विषय –  परोपकारः

मञ्जूषा – द्विविधाः जनाः, एकः परहितकरः, नित्यं क्षतिं, स्वदुःखं, दूरीकर्तुं, परेषां छायां, परहिताय, सूर्यचन्द्रौ, परोपकाराय, नद्यः, वृक्षाः, गावः, स्वप्रीतये, दानस्य, निःस्वार्थाः, क्षुधार्तानां, दरिद्राणां, दानं विना, परोपकारं

 

अस्मिन् जगति द्विविधाः जनाः सन्ति – एकः परहितकरः अपरः परेषां नित्यं क्षतिं कुर्वन् । सज्जनः परशोकं स्वदुःखं मन्यते, तत् दूरीकर्तुं प्रयतते च । यथा वृक्षाः एव आतपे स्थित्वा परेषां छायां ददति, यथा नद्यः परहिताय प्रवहन्ति, गावः परहिताय दुग्धं कुर्वन्ति, सूर्यचन्द्रौ च परहिताय प्रकाशन्ते, तथैव सज्जनः व्यक्तिः ‘ जीवनं परोपकाराय एव भवति। दुष्टानां जीवनं केवलं स्वप्रीतये एव भवति। तेषां दानं स्वस्य प्रगतेः कृते अपि भवति। सज्जनाः दानस्य रहस्यं ज्ञात्वा निःस्वार्थाः सहायकाः च भवन्ति। अतः सर्वैः मानवैः यथाशक्ति धनेन, अन्नेन, वस्त्रेण च दरिद्राणां क्षुधार्तानां च साहाय्यं कर्तव्यम् । दानं विना मनुष्यस्य जीवनं निरर्थकं भवति। अतः मनुष्यः परोपकारं कुर्यात्।

इस संसार में दो तरह के मनुष्य होते हैं – एक वे जो दूसरों का भला करते हैं और दूसरे वे जो सदा दूसरों को कष्ट पहुँचते हैं। सज्जन व्यक्ति दूसरों के दुःख को अपना दुःख समझते हैं और उसे दूर करने का प्रयत्न करते हैं। जिस प्रकार वृक्ष स्वयं गर्मी में खड़े रहकर दूसरों को छाया प्रदान करते हैं, जिस प्रकार नदियाँ दूसरों के लाभ के लिए बहती हैं, गाय का दूध दूसरों के लाभ के लिए, और सूर्य और चंद्रमा दूसरों के लाभ के लिए चमकते हैं, उसी प्रकार सज्जन व्यक्तियों का जीवन दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए होता है। दुष्टों का जीवन केवल अपने सुख के लिये होता है। उनका दान भी उनकी अपनी उन्नति के लिए होता है। सज्जन  लोग परोपकार के रहस्य को जानकर निःस्वार्थ और मददगार होते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों को जितना हो सके धन, भोजन और वस्त्र से गरीबों और भूखों की मदद करनी चाहिए। परोपकार के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। इसलिए मनुष्य को दूसरों का भला करना चाहिए।

 

निष्कर्ष (Conclusion) 

अनुच्छेद लेखन के इस लेख से आपको परीक्षा में अनुच्छेद लेखन के प्रश्न को हल करने में मदद मिलेगी। आप दिए गए शब्दों का वाक्य प्रयोग किस तरह कर सकते हैं आप अभ्यास करके सीख सकते हैं। परीक्षा में अनुच्छेद को हल करने के नियमों का ध्यान रखते हुए आप सरलता से प्रश्न हल कर सकते हैं। प्रश्न अभ्यास आपकी परीक्षा तैयारियों के लिए आवश्यक होता है। अतः आप जितना अधिक अभ्यास करेंगे आपको प्रश्न हल करने में उतनी ही सरलता होगी। 

 

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