नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

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इंसान अपनी स्मृति की आधारशिला पर टिका होता है| उसकी स्मृतियाँ उसकी अस्मिता है और ये स्मृतियाँ ही उसके वर्तमान को अतीत से जोड़ती हैं| हम शायद कलम कहाँ रखी है यह सतियाँ जाएँ, पर यह नहीं भूलते कि उर्दू क्लास के मौलवी साहब पान कैसे चबाते थे| लेकिन स्मृतियाँ कई बार हमारे दिमाग़ पर बोझ भी बन जाती हैं, फिर उन्हें दिमाग़ के कवाड़ से दूँढना कठिन होता है| लेकिन कोई छोटी बात, कोई गंध, कोई स्पर्श झट से आपको पुरानी स्मृति से जोड़ देते हैं|

संस्मरण वर्तमान में अतीत के बारे में लिखे जाते हैं| अतीत और वर्तमान के बीच वाचक के साथ काफ़ी कुछ घटित हो चुका होता है| संवेदना, भाषा, परिप्रेक्ष्य, अभिव्यक्ति, जीवन की प्राथमिकता, संबंध, दृष्टि आदि ऐसे बदल चुके होते हैं कि अतीत बिल्कुल उल्टा भी दिख सकता है| इमली तोड़ने के लिए आप बचपन में पेड़ पर चढ़े, गिरे, हाथ तुड़वा बैठे| तकलीफ़ हुई ऊपर से पिता ने पीटा, माँ ने कोसा| आज उसी घटना को याद कर हँसी आ सकती है| इमली की डाल कमज़ोर होती है, यह बच्चे को कहाँ पता? बेवकृफ़ी और उत्साह के मारे हाथ तुड़वा बैठे| पर तब वह हरक़त बेवकृफ़ी कहाँ लगी थी|

आजकल हिंदी साहित्य में संस्मरणों की बहार है| संस्मरण की बहार यहीं नहीं है| अमरीका में लेखन-विधा के गुरु हैं विलियम जिंसर| वे लेखन का मैनुअल लिखते हैं- जीवनी कैसे लिखें, आत्मकथा कैसे लिखें आदि आदि| उन्होंने संस्मरणों के धुँआधार प्रकाशन पर टिप्पणी की, “यह संस्मरण का युग है| बीसवीं सदी के अंत के पहले कभी भी अमरीकी धरती पर व्यक्तिगत आख्यान की ऐसी जबर्दस्त फसल कभी नहीं हुई थी| हर किसी के पास कहने के लिए एक कथा है और हर कोई कथा कह रहा है| संस्मरणों की बाढ़ से अमरीकी इतने दुखी हुए कि संस्मरणों की पैरोडी तक लिखी जाने लगी| शुक्र मनाइये कि हिंदी में मामला यहाँ तक नहीं पहुँचा है|”

संस्मरण क्‍यों लिखे जाते हैं? क्या संस्मरण नहीं लिखे तो लेखक के पेट में मरोड़ होगा? या उबकाई आ जाएगी? वह कौन-सी दुर्निवार इच्छा है जो संस्मरण लिखवाती है? हिंदी में संस्मरण यदाकदा लिखे जाते थे| आलोचना भी उसे एक अमहत्त्वपूर्ण विधा मानकर चलती थी, लिहाज़ा संस्मरणों की अनदेखी होती थी| जहाँ तक मेरा अनुमान है कि विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा नामवर सिंह पर लिखे संस्मरण ‘हक जो अदा न हुआ’ ने ऐसा धूम मचाया कि एकदम से इस विधा की क्षमता का पुनर्प्रकटीकरण हुआ और संस्मरण की ओर कई रचनाकार मुड़े| काशीनाथ सिंह का इस तरफ़ सबसे पहले मुड़ना संगत ही माना जाना चाहिए|

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सबसे उचित विकल्पों का चयन कीजिए:-

1. हिंदी साहित्य में संस्मरणों की स्थिति कैसी है?
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2. “हम शायद कलम कहाँ रखी है यह भूल जाएँ, पर यह नहीं भूलते कि उर्दू क्लास के मौलवी साहब पान कैसे चबाते थे|" प्रस्तुत पंक्ति का क्या भाव है?
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3. संस्मरण लेखन का उद्देश्य हुआ करता है....?
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4. 'धूम मचाने'- का क्या तात्पर्य हो सकता है?
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5. बचपन में हाथ तुड़वाना बेवकृफ़ी क्‍यों नहीं लगती है?
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6. किसी चीज़ की पैरोडी कब लिखी जाती है ....?
a.
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7. मनुष्य की यादें उसके लिए क्यों आवश्यक हैं?
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8. प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक हो सकता है?
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9. संस्मरण क्‍यों लिखने चाहिए?
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10. जो कल सीधा तदखाई देा था वही आज उल्टा क्यों देख सकता है?
a.
b.
c.
d.


 

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