नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए

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भारतीय मनीषी हमेशा ही इच्छा और अनिच्छा के बारे में सोचता रहा है। आज जो कुछ हम हैं उसे एक लालसा में सिमटाया जा सकता है। यानी जो कुछ भी हम है वह सब अपनी इच्छा के कारण से हैं। यदि हम दुखी हैं, यदि हम दास्ता में हैं, यदि हम अज्ञानी हैं, यदि हम अंधकार में डूबे हैं, यदि जीवन एक लंबी मृत्यु है तो केवल इच्छा के कारण से ही है।

क्यों है यह दुख? क्योंकि हमारी इच्छा पूरी नहीं हुई। इसलिए यदि आपको कोई इच्छा नहीं है तो आप निराश कैसे होंगे? यदि कहीं आप निराश होना चाहते हैं तो और अधिक इच्छा करें, यदि आप और दुखी होना चाहते हैं तो अधिक अपेक्षा करें, अधिक लालसा करें और अधिक आकांक्षा करें, इससे आप और अधिक दुखी हो ही जाएंगे। यदि आप सुखी होना चाहते हैं तो कोई इच्छा न करें। यही आंतरिक जगत में काम करने का गणित है। इच्छा ही दुख को उत्पन्न करती है।

1. लालसा शब्द के दो पर्यायवाची हैं
a.
b.
c.
d.

2. लेखक ने आंतरिक जगत में काम करने का गणित किसे कहा है
a.
b.
c.
d.

3. मानव के लिए जीवन एक लंबी मृत्यु कब बन जाता है
a.
b.
c.
d.

4. भारतीय मनीषी के चिंतन का विषय क्या है
a.
b.
c.
d.

5. इच्छा का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है
a.
b.
c.
d.


 

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