CBSE Class 9 Hindi Chapter 6 Mere Bachpan Ke Din  (मेरे बचपन के दिन) Question Answers (Important) from Kshitij Book

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सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी कोर्स ए क्षितिज भाग 1 के पाठ 6 मेरे बचपन के दिन प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे मेरे बचपन के दिन प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

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Mere Bachpan Ke Din Chapter 6 NCERT Solutions

 

1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि –
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर-
(क) उस समय लड़कियों की दशा:
महादेवी वर्मा ने उस समय के समाज में लड़कियों की दशा पर प्रकाश डाला है। उनके अनुसार, लड़कियों को परिवार में बहुत कम महत्व दिया जाता था। लड़कियों के जन्म को अशुभ माना जाता था और उन्हें न ही शिक्षा दी जाती थी और न ही घूमने-फिरने का अधिकार था। उन्हें मुख्य रूप से घरेलू कार्यों तक सीमित रखा जाता था। उनका बचपन कठिनाईयों और भेदभाव से भरा होता था।

(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज की परिस्थितियाँ:
आज के समय में परिस्थितियों में सुधार हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाज में समान अधिकारों के लिए जागरूकता बढ़ी है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों ने लड़कियों के महत्व को समाज में स्थान दिया है। कुछ क्षेत्रों में आज भी भेदभाव मौजूद हैं। लोगों की सोच लड़कियों के प्रति सकारात्मक हुई है, और उन्हें पहले से ज़्यादा अवसर दिए जा रहे हैं।

2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?
उत्तर- महादेवी वर्मा के पिता चाहते थे कि वह उर्दू-फ़ारसी सीखें। लेखिका का उर्दू-फ़ारसी सीखने में मन नहीं लगा। उन्होंने कहा भी था कि यह मेरे वश की नहीं। उनका झुकाव संस्कृत और हिंदी जैसे विषयों की ओर अधिक था। लेखिका को गीता में विशेष रूचि थी। इस कारण से भी उन्हें हिंदी और संस्कृत अच्छी लगती थी। इसलिए वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख पाईं। 

3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर- महादेवी वर्मा ने अपने लेख “मेरे बचपन के दिन” में अपनी माँ के व्यक्तित्व की कई विशेषताओं का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि उनकी माँ धार्मिक स्वभाव की थीं और पूजा-पाठ में विशेष रुचि रखती थीं। वह संस्कृत में थोड़ा ज्ञान रखती थीं और गीतों के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। उनकी माँ ने उन्हें ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। उनकी माँ उन्हें गीता सुनाया करती थीं। लेखिका को अपनी माँ से प्रेरणा मिली थी। 

4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसे क्यों कहा है ?
उत्तर- लेखिका का कहना है कि उस समय पारिवारिक संबंधों में अपनापन और परस्पर सम्मान की जो भावना थी, वह आज दुर्लभ हो गयी है।
जवारा के नवाब और उनके परिवार के बीच अत्यधिक स्नेहपूर्ण और सम्मान का रिश्ता था। नवाब उनके पारिवारिक उत्सवों में शामिल होते थे। नवाब की बेगम भी लेखिका के परिवार को अपना परिवार मानती थीं। लेखिका का कहना है कि ऐसे संबंध किसी सपने की तरह लगते हैं क्योंकि आज की दुनिया में ऐसे नि:स्वार्थ और आत्मीय संबंधों की कमी है।

रचना-अभिव्यक्ति

5. ज़ेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं / होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती ?
उत्तर- यदि मैं ज़ेबुन्निसा की जगह होती, तो मेरी महादेवी वर्मा से अपेक्षाएँ इस प्रकार होतीं:

  1. मैं चाहती कि वे मेरे कार्यों की तारीफ करें और मुझे उनके जीवन और लेखन में महत्वपूर्ण मानें।
  2. मुझे उनकी सलाह और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती।
  3. मैं उनसे कहती कि मुझे भी कविताएँ लिखना सिखाएँ। 
  4. उनके लेखन में मुझे और मेरे योगदान का भी कभी-कभी जिक्र हो, ताकि मुझे यह एहसास हो कि मेरे काम की महत्ता को समझा जा रहा है।

6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/ करेंगी?
उत्तर- यदि मुझे किसी काव्य प्रतियोगिता या उपलब्धि के लिए पुरस्कार (चाँदी का कटोरा) मिलता और उसे देशहित या आपदा निवारण में देना पड़ता, तो मुझे गर्व और आत्मसंतोष का अनुभव होता। यह मेरे लिए समाज के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने का एक सार्थक अवसर होता। अपनी उपलब्धि को जनहित में समर्पित करना (देना) प्रेरणादायक और जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने वाला अनुभव होता।

7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर- लेखिका ने छात्रावास के बहुभाषी परिवेश का वर्णन करते हुए बताया है कि वहाँ विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते थे। छात्रावास में हिंदी, मराठी, उर्दू, अवधी, बुंदेलखंडी और अन्य भाषाएँ बोली जाती थीं, और ये  विविधता आपस में बातचीत और संस्कृति का आदान-प्रदान का माध्यम बनती थी। सभी अपनी-अपनी भाषा में बात करते थे और आपस में प्रेम भी बना रहता था, सभी अपनी-अपनी भाषा के साथ आपस में सहजता से घुल-मिल जाते थे।

8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर- बचपन का वह दौर आज भी मेरे मन को आनंदित कर देता है, जब जीवन सरल था और चिंताएँ अनजानी। हमारे घर का आँगन मेरी दुनिया का केंद्र था, जहाँ हर कोने में कहानियाँ बसती थीं। गर्मियों की छुट्टियों में दोस्तों के साथ खेलना, आम के पेड़ पर चढ़कर कच्चे आम तोड़ना और बारिश के दिनों में मिट्टी में लिपटना, यह सब अनमोल पल थे।
मेरी दादी की कहानियाँ और माँ की लोरी, आज भी मेरे कानों में गूंजती हैं। स्कूल जाते समय बैग में किताबों के साथ ढेर सारी उम्मीदें और छुट्टी के समय दोस्तों के साथ रास्ते में बातें करना, सब यादें बनकर मन को भिगो देती हैं।
वह समय जब गलतियों पर डाँट भी लगती थी और प्यार भरी फटकार में भी अपनापन झलकता था। हर छोटी उपलब्धि पर खुशियों के ढोल बजते थे। आज समझ आता है कि वह मासूमियत और अपनापन, जो बचपन में था, वही असली सुख था।

9. महादेवी ने कवि-सम्मेलनों में कविता-पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर-
दिनाँक: 05 फरवरी 2021
आज जब महादेवी जी के अनुभवों को पढ़ा, तो मुझे अपने विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की याद आ गई। वह घबराहट, वह बेचैनी, और दिल की तेज़ धड़कन जैसे आज भी महसूस हो रही है। जब मंच पर जाने की बारी आने वाली होती थी, तो हाथ ठंडे हो जाते थे और मन में हजारों सवाल दौड़ने लगते थे – क्या मैं भूल जाऊँगी? क्या सबको अच्छा लगेगा?
पर जैसे ही मेरा नाम पुकारा जाता, एक अजीब-सी ताकत मिलती। डर और उत्साह के बीच का वह क्षण मुझे हमेशा याद रहेगा। मंच पर पहुँचते ही सारी घबराहट मानो गायब हो जाती, और जोश के साथ अपनी प्रस्तुति देती थी। कार्यक्रम के बाद दोस्तों और शिक्षकों की सराहना सुनकर लगता था, मानो सारी बेचैनी रंग लाई हो। वह अनुभव हर बार मुझे आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दे जाता था।

 

Grammar Exercises (भाषा-अध्ययन )

10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए – विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर:

शब्द  विलोम शब्द 
विद्वान्  विदुषी
अनंत  अंत
निरपराधी  अपराधी 
दंड  पुरस्कार 
शांति  बेचैनी

11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी – निर्‌ + आहार + ई
सांप्रदायिकता –
अप्रसन्नता –
अपनापन –
किनारीदार –
स्वतंत्रता –

उत्तर-

शब्द उपसर्ग मूल शब्द प्रत्यय
निराहारी निर्‌ आहार
सांप्रदायिकता संप्रदाय इक, ता
अप्रसन्नता प्रसन्न ता
अपनापन अपना पन
किनारीदार किनारा   ई, दार 
स्वतंत्रता स्व तंत्र ता

12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग- अन् , अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय- दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर- 

उपसर्ग प्रत्यय
अन्  अनपढ़  अनमोल दार चमकदार  मज़ेदार,
अछूता  अटल  हार होनहार  शाकाहार 
सत् सत्कार्य  सत्कार  वाला दुकानवाला  हिम्मतवाला 
स्व स्वदेश  स्वनाम  अनीय पूजनीय  दयनीय 
दुर् दुर्गम,  दुर्दशा

13.पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए –
पूजा-पाठ    पूजा और पाठ
………..     ………..
………..     ………..
………..     ………..
………..     ………..

उत्तर- 

सामासिक पद विग्रह
पंचतंत्र  पाँच तंत्रों का समूह
छात्रावास छात्रों का आवास
उर्दू-फ़ारसी  उर्दू और फ़ारसी 
महादेवी महान है जो देवी

 

Class 9 Hindi Mere Bachpan Ke Din – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. क्रास्थवेट में एक पेड़ की डाल नीची थी। उस डाल पर हम लोग बैठ जाते थे। जब और लड़कियाँ खेलती थीं तब हम लोग तुक मिलाते थे। उस समय एक पत्रिका निकलती थी-‘स्त्री दर्पण’-उसी में भेज देते थे। अपनी तुकबंदी छप भी जाती थी। फिर यहाँ कवि-सम्मेलन होने लगे तो हम लोग भी उनमे जाने लगे। हिंदी का उस समय प्रचार-प्रसार था। मैं सन् 1917 में यहाँ आई थी। उसके उपरांत गांधी जी का सत्याग्रह आरंभ हो गया और आनंद भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केंद्र हो गया। जहाँ-तहाँ हिंदी का भी प्रचार चलता था। कवि-सम्मेलन होते थे तो क्रास्थवेट से मैडम हमको साथ लेकर जाती थीं। हम कविता सुनाते थे। कभी हरिऔध जी अध्यक्ष होते थे, कभी श्रीधर पाठक होते थे, कभी रत्नाकर जी होते थे, कभी कोई होता था। कब हमारा नाम पुकारा जाए, बेचैनी से सुनते रहते थे। मुझको प्राय: प्रथम पुरस्कार मिलता था। सौ से कम पदक नहीं मिले होंगे उसमें।

प्रश्न 1: जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब लेखिका और उनकी मित्र सुभद्रा क्या करती थीं?
उत्तर: जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब लेखिका और उनकी मित्र सुभद्रा एक पेड़ की नीची डाल पर बैठकर तुक मिलाती थीं।

प्रश्न 2: ‘स्त्री दर्पण’ पत्रिका में क्या प्रकाशित होता था?
उत्तर: ‘स्त्री दर्पण’ पत्रिका में लेखिका की तुकबंदियाँ प्रकाशित होती थीं।

प्रश्न 3: सन् 1917 में गांधी जी ने कौन-सा आंदोलन शुरू किया?
उत्तर: सन् 1917 में गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।

प्रश्न 4: क्रास्थवेट में छात्राएँ तुकबंदी कहाँ भेजती थीं?
(क) आनंद भवन में
(ख) ‘स्त्री दर्पण’ पत्रिका में
(ग) कवि-सम्मेलन में
(घ) गांधी जी के पास
उत्तर: (ख) ‘स्त्री दर्पण’ पत्रिका में

प्रश्न 5: क्रास्थवेट से मैडम छात्राओं को कहाँ ले जाती थीं?
(क) पाठशाला
(ख) पूजा-पाठ
(ग) कवि-सम्मेलन
(घ) सभा
उत्तर: (ग) कवि-सम्मेलन

2. उसी बीच आनंद भवन में बापू आए। हम लोग तब अपने जेब-खर्च में से हमेशा एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाते थे और जब बापू आते थे तो वह पैसा उन्हें दे देते थे। उस दिन जब बापू के पास मैं गई तो अपना कटोरा भी लेती गई। मैंने निकालकर बापू को दिखाया। मैंने कहा, ‘कविता सुनाने पर मुझको यह कटोरा मिला है।’ कहने लगे, ‘अच्छा, दिखा तो मुझको।’ मैंने कटोरा उनकी ओर बढ़ा दिया तो उसे हाथ में लेकर बोले, ‘तू देती है इसे?’ अब मैं क्या कहती? मैंने दे दिया और लौट आई। दुख यह हुआ कि कटोरा लेकर कहते, कविता क्या है? पर कविता सुनाने को उन्होंने नहीं कहा। लौटकर अब मैंने सुभद्रा जी से कहा कि कटोरा तो चला गया। सुभद्रा जी ने कहा, ‘और जाओ दिखाने!’ फिर बोलीं, ‘देखो भाई, खीर तो तुमको बनानी होगी। अब तुम चाहे पीतल की कटोरी में खिलाओ, चाहे फूल के कटोरे में-फिर भी मुझे मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि पुरस्कार में मिला अपना कटोरा मैंने बापू को दे दिया।

प्रश्न 1: बापू ने कटोरा देखकर क्या पूछा?
(क) इसे किसने दिया?
(ख) तू देती है इसे?
(ग) इसमें क्या रखा है?
(घ) कविता क्या है?
उत्तर: (ख) तू देती है इसे?

प्रश्न 2: कटोरा देने पर भी लेखिका खुश थीं क्योंकि-
(क) गाँधी जी कवी-सम्मलेन के अध्यक्ष थे
(ख) सुभद्रा ने कहा था
(ग) लेखिका का गाँधी जी से मिलना सौभाग्य की बात थी
(घ) वह कटोरा गाँधी जी को दिया था जोकि देश हित के लिए था
उत्तर: (घ) वह कटोरा गाँधी जी को दिया था जोकि देश हित के लिए था

प्रश्न 3: छात्राएँ अपनी जेब-खर्च में से पैसे किस उद्देश्य से बचाती थीं?
उत्तर: छात्राएँ अपनी जेब-खर्च में से एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाती थीं। बापू आनंद भवन आया करते थे तब ये पैसे उन्हें दे दिया करती थीं।

प्रश्न 4: लेखिका द्वारा गाँधी जी को कटोरा देने पर सुभद्रा जी ने क्या कहा?
उत्तर: सुभद्रा जी ने कहा, ‘और जाओ दिखाने!’ फिर बोलीं, ‘देखो भाई, खीर तो तुमको बनानी होगी। अब तुम चाहे पीतल की कटोरी में खिलाओ, चाहे फूल के कटोरे में।

प्रश्न 5: लेखिका को दुःख क्यों हुआ?
उत्तर: लेखिका ने सोचा था कि बापू उनसे कविता सुनाने को कहेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वे लेखिका से वह पुरस्कार में मिला कटोरा माँग लेते हैं।

3. बाबा कहते थे, इसको हम विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र’ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। ये अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़ारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उन्हें विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय मैं भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। उसके उपरांत उन्होंने मिशन स्कूल में रख दिया मुझको। मिशन स्कूल में वातावरण दूसरा था, प्रार्थना दूसरी थी। मेरा मन नहीं लगा। वहाँ जाना बंद कर दिया। जाने में रोने-धोने लगी। तब उन्होंने मुझको क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा, जहाँ मैं पाँचवें दर्जे में भर्ती हुई। यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था उस समय। हिंदू लड़कियाँ भी थीं, ईसाई लड़कियाँ भी थीं। हम लोगों का एक ही मेस था। उस मेस में प्याज़ तक नहीं बनता था।

प्रश्न 1: बाबा लेखिका को क्या बनाना चाहते थे?
उत्तर: बाबा लेखिका को विदुषी बनाना चाहते थे।

प्रश्न 2: लेखिका को मिशन स्कूल का वातावरण क्यों पसंद नहीं आया?
उत्तर: मिशन स्कूल का वातावरण और प्रार्थना लेखिका को पसंद नहीं आई, इसलिए उन्होंने वहाँ जाना बंद कर दिया।

प्रश्न 3: लेखिका ने मौलवी साहब को देखकर क्या किया?
(क) संस्कृत पढ़ी
(ख) चारपाई के नीचे छिप गईं
(ग) मिशन स्कूल चली गई
(घ) गीता का पाठ किया
उत्तर: (ख) चारपाई के नीचे छिप गईं

प्रश्न 4: क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में कौन-कौन सी लड़कियाँ थीं?
(क) केवल हिंदू लड़कियाँ
(ख) केवल ईसाई लड़कियाँ
(ग) हिंदू और ईसाई दोनों लड़कियाँ
(घ) केवल मुस्लिम लड़कियाँ
उत्तर: (ग) हिंदू और ईसाई दोनों लड़कियाँ

प्रश्न 5: क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज के मेस में कौन सी चीज़ नहीं बनती थी?
(क) प्याज़
(ख) चावल
(ग) रोटी
(घ) मिठाई
उत्तर: (क) प्याज़

4. सुभद्रा जी छात्रावास छोड़कर चली गई। तब उनकी जगह एक मराठी लड़की ज़ेबुन्निसा हमारे कमरे में आकर रही। वह कोल्हापुर से आई थी। ज़ेबुन मेरा बहुत-सा काम कर देती थी। वह मेरी डेस्क साफ़ कर देती थी, किताबें ठीक से रख देती थी और इस तरह मुझे कविता के लिए कुछ और अवकाश मिल जाता था। ज़ेबुन मराठी शब्दों से मिली-जुली हिंदी बोलती थी। मैं भी उससे कुछ-कुछ मराठी सीखने लगी थी। वहाँ एक उस्तानी जी थीं-ज़ीनत बेगम। ज़ेबुन जब ‘इकड़े-तिकड़े’ या ‘लोकर-लोकर’ जैसे मराठी शब्दों को मिलाकर कुछ कहती तो उस्तानी जी से टोके बिना न रहा जाता था-‘वाह! देसी कौवा, मराठी, बोली!’ ज़ेबुन कहती थी, ‘नहीं उस्तानी जी, यह मराठी कौवा मराठी बोलता है।’ ज़ेबुन मराठी महिलाओं की तरह किनारीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउज पहनती थी। कहती थी, ‘हम मराठी हूँ तो मराठी बोलेंगे!’
उस समय यह देखा मैंने कि सांप्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं; बुंदेलखंड की आती थीं, वे बुंदेली में बोलती थीं। कोई अंतर नहीं आता था और हम पढ़ते हिंदी थे। उर्दू भी हमको पढ़ाई जाती थी, परंतु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे; कोई विवाद नहीं होता था।

प्रश्न 1: ज़ेबुन्निसा ने लेखिका की क्या मदद की?
उत्तर: ज़ेबुन्निसा ने लेखिका की डेस्क साफ़ कर दी और किताबें ठीक से रख दीं, जिससे लेखिका को कविता लिखने के लिए समय मिल जाता था।

प्रश्न 2: उस समय के छात्रावास में किस तरह का माहौल था?
उत्तर: उस समय के छात्रावास में भेद-भाव नहीं था। लड़कियाँ अपनी क्षेत्रीय भाषाएँ बोलती थीं और वहाँ पढ़ाई हिंदी तथा उर्दू में होती थी।

प्रश्न 3: ज़ेबुन्निसा किस क्षेत्र से आई थी?
(क) पुणे
(ख) कोल्हापुर
(ग) मुंबई
(घ) नागपुर
उत्तर: (ख) कोल्हापुर

प्रश्न 4: ज़ेबुन्निसा का पहनावा कैसा था?
(क) मराठी महिलाओं की तरह किनारीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउज
(ख) साधारण सलवार-कुर्ता
(ग) पश्चिमी पोशाक
(घ) बुंदेलखंडी शैली की साड़ी
उत्तर: (क) मराठी महिलाओं की तरह किनारीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउज

प्रश्न 5: उस्तानी जी ज़ेबुन्निसा को क्या कहते हुए टोकती हैं?
(क) कविता लिखा करो
(ख) मराठी मत बोलो
(ग) वाह! देसी कौवा, मराठी, बोली
(घ) नाच आवे, आँगन टेढ़ा
उत्तर: (ग) वाह! देसी कौवा, मराठी, बोली

 

Class 9 Hindi A Kshitij Lesson 6 Mere Bachpan Ke Din Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. लेखिका के परिवार में कितने वर्षों तक लड़कियाँ पैदा नहीं हुईं?
(क) सौ साल
(ख) पचास साल
(ग) दो सौ साल
(घ) तीन सौ साल
उत्तर- (ग) दो सौ साल

2. महादेवी वर्मा के पिता की कौन सी भाषा पर अच्छी पकड़ थी?
(क) संस्कृत
(ख) अंग्रेज़ी
(ग) हिंदी
(घ) उर्दू
उत्तर- (ख) अंग्रेज़ी

3. लेखिका की माता ने सबसे पहले कौन-सी पुस्तक उन्हें पढ़ना सिखाया?
(क) महाभारत
(ख) रामायण
(ग) गीता
(घ) पंचतंत्र
उत्तर- (घ) पंचतंत्र

4. लेखिका को सबसे पहले किस विद्यालय में भेजा गया?
(क) क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज
(ख) गुरुकुल
(ग) मिशन स्कूल
(घ) सरकारी स्कूल
उत्तर- (ग) मिशन स्कूल

5. ताई साहिबा ने लेखिका के भाई को क्या नाम दिया?
(क) मनमोहन
(ख) जगमोहन
(ग) कृष्णचंद
(घ) रामकुमार
उत्तर– (क़) मनमोहन

6. लेखिका को छात्रावास में रहते हुए पहली ही साथिन कौन मिली?
(क) ज़ेबुन्निसा
(ख) ज़ीनत बेगम
(ग) सुभद्रा कुमारी
(घ) रीता भंडारी
उत्तर- (ग) सुभद्रा कुमारी

7. महादेवी वर्मा बचपन में किस प्रतियोगिता में सबसे अधिक भाग लेती थीं?
(क) नाट्य प्रदर्शन
(ख) कविता प्रतियोगिता
(ग) धार्मिक आयोजन
(घ) खेलकूद
उत्तर- (ख) कविता प्रतियोगिता

8. लेखिका को कविता प्रतियोगिता में भाग लेने पर क्या पुरस्कार मिला था?
(क) स्वर्ण पदक
(ख) चाँदी का कटोरा
(ग) चाँदी की मूर्ति
(घ) मैडल
उत्तर– (ख) चाँदी का कटोरा

9. कोल्हापुर से आयी लड़की किस भाषा में बात करती थी?
(क) मराठी
(ख) अवधी
(ग) बुंदेलखंडी
(घ) उर्द-फ़ारसी
उत्तर- (क) मराठी

10. जवारा के नवाब के साथ लेखिका के परिवार के कैसे सम्बन्ध थे?
(क) एक-दूसरे के त्योहार में भाग नहीं लेते थे
(ख) भेद-भाव था
(ग) पारिवारिक सम्बन्ध थे
(घ) लड़ाई-झगड़ा करते थे
उत्तर– (ग) पारिवारिक सम्बन्ध थे

11. बेगम साहिबा ने लेखिका को उन्हें क्या पुकारने को कहा?
(क) चाची
(ख) मामी
(ग) फुप्पी
(घ) ताई
उत्तर- (घ) ताई

12. लेखिका के भाई ‘मनमोहन’ आगे चलकर किस यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर बने?
(क) इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
(ख) जम्मू यूनिवर्सिटी
(ग) राजस्थान यूनिवर्सिटी
(घ) दिल्ली यूनिवर्सिटी
उत्तर- (ख) जम्मू यूनिवर्सिटी

13. लेखिका शुरुआत में किस पत्रिका में अपनी कविताएँ भेजा करती थीं ?
(क) सशक्तिकरण
(ख) महिला दर्पण
(ग) स्त्री दर्पण
(घ) प्रतिबिम्ब
उत्तर-(ग) स्त्री दर्पण

14. पाठ के अनुसार उस समय कौन-सा आंदोलन आरम्भ हुआ?
(क) भूदान
(ख) खिलाफत
(ग) असहयोग
(घ) सत्याग्रह
उत्तर– (घ) सत्याग्रह

15. लेखिका के छात्रावास में सारी लड़कियाँ कैसे रहती थीं?
(क) मिलजुल कर
(ख) लड़-झगड़ कर
(ग) पढ़ाई नहीं करती थीं
(घ) भेद-भाव से
उत्तर-(क) मिलजुल कर

16. लेखिका को प्रायः कौन-सा पुरस्कार मिलता था?
(क) सांत्वना
(ख) तृतीय
(ग) प्रथम
(घ) द्वितीय
उत्तर– (ग) प्रथम

17. लेखिका के पास लगभग कितने पदक जुड़ चुके थे?
(क) दो सौ
(ख) सौ
(ग) पचास
(घ) इकहत्तर
उत्तर- (ख) सौ

18. चाँदी का कटोरा पुरस्कार स्वरुप मिलने पर सुभद्रा ने क्या बनाकर खिलाने को लेखिका से कहा?
(क) खिचड़ी
(ख) पुलाव
(ग) खीर
(घ) हलवा
उत्तर- (ग) खीर

19. जब मौलवी साहब लेखिका को उर्दू-फ़ारसी पढ़ाने आते थे तो लेखिका कहाँ छुप जाती थीं?
(क) बाबा के पीछे
(ख) चारपाई के नीचे
(ग) किवाड़ के पीछे
(घ) अटारी पर
उत्तर- (ख) चारपाई के नीचे

20. लेखिका की माँ कौन-कौन सी भाषा जानती थीं?
(क) बुंदेलखंडी
(ख) अवधी
(ग) उर्दू-फ़ारसी
(घ) हिंदी और संस्कृत
उत्तर- (घ) हिंदी और संस्कृत

Mere Bachpan Ke Din Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

प्रश्न 1: लेखिका के परिवार में लड़कियों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर: लेखिका के परिवार में दो सौ वर्षों तक कोई लड़की नहीं हुई थी। सुना जाता है कि लड़कियों को पैदा होते ही स्वर्ग भेज दिया जाता था। लेकिन लेखिका के जन्म के बाद परिवार ने उन्हें बहुत सम्मान और प्यार दिया।

प्रश्न 2: मिशन स्कूल में लेखिका का अनुभव कैसा रहा?
उत्तर: मिशन स्कूल में लेखिका का मन नहीं लगा। वहाँ का वातावरण और प्रार्थना उन्हें अलग लगी, जिससे वह वहाँ जाने में रोने लगीं।

प्रश्न 3: सुभद्रा कुमारी चौहान से लेखिका का परिचय कैसे हुआ?
उत्तर: क्रास्थवेट कॉलेज में लेखिका की पहली साथिन सुभद्रा कुमारी चौहान बनीं। वे कविता लिखती थीं और लेखिका भी तुकबंदी करती थीं।

प्रश्न 4: लेखिका ने चाँदी का कटोरा किसे दिया और क्यों?
उत्तर: लेखिका ने चाँदी का कटोरा गांधी जी को दे दिया। गांधी जी ने कटोरा देखकर पूछा, ‘तू देती है इसे?’ तो लेखिका ने उन्हें दे दिया।

प्रश्न 5: लेखिका को अपने बचपन की यादें कैसी लगती हैं?
उत्तर: लेखिका को अपने बचपन की यादें सपने जैसी लगती हैं और उन्हें लगता है कि अगर वह समय वापस आता तो भारत की कहानी कुछ और होती।

प्रश्न 6: लेखिका के समय में सांप्रदायिकता का कैसा माहौल था?
उत्तर: लेखिका के समय में सभी धर्मों और भाषाओं के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते थे और कोई विवाद नहीं होता था।

प्रश्न 7: लेखिका ने कविता लिखने की शुरुआत कैसे की?
उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ से प्रेरित होकर ब्रजभाषा में कविताएँ लिखनी शुरू कीं और बाद में खड़ी बोली अपनाई।

प्रश्न 8: लेखिका को कवि-सम्मेलनों में कैसा अनुभव होता था?
उत्तर: कवि-सम्मेलनों में लेखिका को अक्सर प्रथम पुरस्कार मिलता था। जब उनका नाम पुकारा जाता था तब वह बेचैन हो उठती थीं।  

प्रश्न 9: ताई साहिबा का लेखिका के परिवार से कैसा रिश्ता था?
उत्तर: ताई साहिबा लेखिका के परिवार से बहुत घनिष्ठ थीं। वे राखी के दिन अपने बेटे की कलाई पर राखी बंधवाने के लिए लेखिका को बुलाती थीं। ताई साहिबा उनके यहाँ के जन्मदिन अपने यहाँ मनवाती थीं और त्योहार में शामिल होती थीं। 

प्रश्न 10: सुभद्रा जी ने लेखिका की कविताओं का पता कैसे लगाया?
उत्तर: सुभद्रा जी ने एक दिन लेखिका की किताबों की तलाशी ली और उनकी कविताएँ खोज निकालीं। सुभद्रा ने एक हाथ में कागज़ लिए और एक हाथ से लेखिका को पकड़ा और पूरे होस्टल में दिखा आईं कि ये कविता लिखती है।