लेखिका (महादेवी वर्मा) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Writer (Mahadevi Verma) from CBSE Class 9 Hindi Kshitij Book Chapter 6 मेरे बचपन के दिन
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लेखिका (महादेवी वर्मा) का चरित्र-चित्रण Character Sketch of the Writer (Mahadevi Verma)
1. सरल और भावुक स्वभाव: महादेवी वर्मा एक बहुत ही सरल और भावुक स्वभाव की महिला थीं। उनके अंदर दूसरों की भावनाओं को समझने और उनके साथ जुड़ने की गहरी भावना थी।
2. साहित्य में रुचि: महादेवी वर्मा में बचपन से ही साहित्य के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने कविताएँ लिखने की कला में निपुणता प्राप्त की। बचपन में वे कविताएँ लिखती थीं और कवि सम्मलेन में हिस्सा लेती थीं।
3. परिवार के प्रति लगाव: वे अपने परिवार के सदस्यों से बहुत प्रभावित थीं। बाबा से उन्होंने अनुशासन और ज्ञान सीखा, जबकि उनकी माँ ने उनमें धर्म और साहित्य के प्रति रुचि पैदा की।
4. अलग-अलग संस्कृति का प्रभाव: महादेवी वर्मा का जीवन विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से भरा था। छात्रावास के दौरान उनकी मित्रता कई छात्राओं से हुई, जो अलग-अलग जगह से आयी हुईं थीं। जिनसे उन्हें कई भाषाएँ सीखने को मिली। उनका व्यक्तित्व इन सभी संस्कृतियों के मेल-जोल का प्रतीक था।
5. स्नेही और सहयोगी स्वभाव: उनका स्वभाव स्नेही और सहयोगी था। उन्होंने छात्रावास में सहेलियों के साथ अच्छे संबंध बनाए और सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ उनकी गहरी दोस्ती इसका उदाहरण है।
6. समान भावना: महादेवी वर्मा जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को समान दृष्टि से देखती थीं। वे भेदभाव नहीं करती थीं।
7. प्रेरणादायक व्यक्तित्व: महादेवी वर्मा का जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा है। उनकी सोच, आदर्श और भावना ने उन्हें हिंदी साहित्य के महान लोगों में स्थान दिलाया।
लेखिका के चरित्र से सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the character of the writer)
1. लेखिका के चरित्र की विशेषतएं लिखिए।
2. महादेवी वर्मा जी के चरित्र से आपको क्या सीख मिलती है?
Mere Bachpan ke Din Summary
इस अध्याय में लेखिका ने अपने बचपन की स्मृतियों को सरल और भावपूर्ण ढंग से साझा किया है। उन्होंने अपने परिवार, शिक्षा, संस्कारों और समाज के माहौल का वर्णन किया है। लेखिका के बचपन में विशेष परिस्थितियाँ थीं, जैसे उनके परिवार में पीढ़ियों बाद एक लड़की का जन्म होना। उन्हें विशेष आदर और प्रेम मिला, जिससे उनका बचपन अन्य लड़कियों से अलग था।
इस पाठ में हमें उनके स्कूल के अनुभव, सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ उनकी मित्रता, कवि-सम्मेलनों में भागीदारी और सामाजिक ताल-मेल की झलक मिलती है। यह पाठ भारतीय समाज के उस दौर को दीखाता है, जहाँ विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं का सुंदर मेल था। इन यादों के माध्यम से लेखिका ने यह भी दिखाया है कि बचपन के संस्कार और रिश्ते जीवनभर साथ रहते हैं।