झूरी, हीरा और मोती (बैल) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Jhoori, Heera aur Moti from CBSE Class 9 Hindi Kshitij Book Chapter 1  दो बैलों की कथा

 

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झूरी का चरित्र-चित्रण ( Character Sketch of Jhoori)

प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में झूरी का चरित्र एक किसान का है, जो अपनी सरलता, दयालुता, और जिम्मेदारी के कारण कहानी का एक महत्वपूर्ण पात्र बनता है। झूरी के चरित्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

 

1. दयालु और संवेदनशील:

झूरी का स्वभाव अत्यंत दयालु है। वह अपने बैलों, हीरा और मोती, को केवल पशु नहीं मानता, बल्कि परिवार का हिस्सा समझता है। वह उनकी देखभाल करता है और उनकी तकलीफों को महसूस करता है।

2. कर्मठ और जिम्मेदार किसान:

झूरी एक मेहनती और जिम्मेदार किसान है। वह खेती के कामों में पूरी लगन से लगा रहता है और अपनी आजीविका के लिए बैलों का सहारा लेता है।

3. पशु-प्रेमी:

झूरी को अपने बैलों से अत्यधिक लगाव है। जब वह बैलों को अपने ससुराल भेजता है, तो वहाँ उन पर हो रहे अत्याचार को समझता है।

4. सहनशील और समझदार:

झूरी सहनशीलता और समझदारी का परिचय देता है। वह बैलों के साथ हुए अन्याय को समझता है और उनके प्रति सहानुभूति रखता है।

5. शोषण के विरुद्ध:

झूरी का चरित्र उस किसान का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने पशुओं और जमीन को अपनी संपत्ति मानता है और उन्हें शोषण से बचाने के लिए प्रतिबद्ध रहता है। अपने बैलों को बचाने के लिए वह दढ़ियल से लड़ जाता है। 

6. प्रेम और सम्मान का प्रतीक:

झूरी का बैलों के प्रति प्रेम और उनके संघर्ष का सम्मान दिखाता है कि वह जानवरों को केवल श्रम का साधन नहीं, बल्कि जीवित आत्मा के रूप में देखता है।

झूरी का चरित्र एक आदर्श किसान का है, जो अपने परिश्रम, दयालुता, और जिम्मेदारी से न केवल अपने परिवार और खेतों की देखभाल करता है, बल्कि अपने पशुओं से गहरा लगाव भी रखता है। प्रेमचंद ने झूरी को उस किसान के रूप में प्रस्तुत किया है, जो मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों का प्रतीक है।

 

हीरा और मोती (बैल) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Heera and Moti)

प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ के मुख्य पात्र हीरा और मोती दो बैल हैं, जिन्हें मानवीय गुणों और संवेदनाओं से भरपूर दिखाया गया है। इनके चरित्र की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

हीरा

  1. धैर्यवान और शांत स्वभाव: हीरा का स्वभाव शांत और संयमित है। वह परिस्थितियों को सहन करता है और कभी जल्दबाज़ी में गलत निर्णय नहीं लेता।
  2. समझदार और तर्कशील: जब मोती क्रोध में आकर प्रतिशोध की बात करता है, तो हीरा उसे समझाता है कि बैल का धर्म सहनशीलता है और हिंसा करना उचित नहीं।
  3. सच्चा मित्र: कठिन परिस्थितियों में भी हीरा अपने साथी मोती को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है और उसका साथ कभी नहीं छोड़ता। 

 

मोती

  1. उग्र और स्वाभिमानी: मोती का स्वभाव उग्र और जोशीला है। जब उसे अत्यधिक मार पड़ती है, तो वह विद्रोह करने के लिए तैयार हो जाता है।
  2. न्यायप्रिय: मोती अन्याय सहन नहीं कर सकता। उसे अपने स्वाभिमान की रक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण लगता है।
  3. भावुक और संवेदनशील: छोटी-सी लड़की द्वारा दी गई रोटी से मोती का मन प्रेम और कृतज्ञता से भर जाता है।
  4. सच्चा मित्र: हीरा और मोती में गहरी मित्रता है। मोती हमेशा कठिन परिस्थितियों में हीरा का साथ देता है, कांजीहौस में हीरा के बँधे होने के कारण वह अकेले उसे छोड़कर नहीं जाता है।

 

हीरा और मोती केवल बैल नहीं, बल्कि उन किसानों और मेहनतकश लोगों के प्रतीक हैं, जो अन्याय और शोषण के खिलाफ अपनी मर्यादा और अधिकारों के लिए खड़े होते हैं।

हीरा और मोती का चरित्र मानवीय गुणों से भरपूर है। वे सहनशीलता, संघर्ष, मित्रता, और स्वाभिमान का प्रतीक हैं। प्रेमचंद ने उनके माध्यम से न केवल जानवरों की संवेदनशीलता को उजागर किया है, बल्कि समाज को भी मानवीयता का संदेश दिया है।