CBSE Class 9 Hindi Chapter 7 Sakhiyan, Sabad  (साखियाँ, सबद) Question Answers (Important) from Kshitij Book

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Sakhiyan, Sabad Chapter 7 NCERT Solutions

साखियाँ

प्रश्न 1 – ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर – कवि ने साखी में मानसरोवर के दो अर्थ लिए हैं – एक पवित्र सरोवर जिसमें हंस क्रीड़ा करते हैं। और दूसरा पवित्र मन रूपी सरोवर जिसके जल रूपी भक्तिभाव से भर कर मनुष्य जीवन यापन कर रहा है। वह मोती रूपी मुक्ति का आनंद उठा रहा है और इस मुक्ति रूपी आंनद को छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहता। 

प्रश्न 2 – कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
उत्तर – कवि के अनुसार सच्चे प्रेमी की कसौटी यह है कि सच्चा प्रेमी अथवा ईश्वर भक्त मिल जाने पर मन का विष यानी कष्ट, अमृत यानी सुख में बदल जाता है। कहने का अभिप्राय यह है कि जब दो सच्चे ईश्वर भक्त मिल जाते हैं तो सभी दुःख, सुख में बदल जाते हैं।

प्रश्न 3 – तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
उत्तर – कबीर जी ज्ञान की तुलना आँधी से करते हैं। जीवन में ज्ञानोदय होने पर मन के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं और माया का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ज्ञान की आँधी से चित्त की स्वार्थ और मोह नामक दोनों अवस्थाओं का नाश हो जाता है।  ज्ञान के प्रभाव से मन के सारे कुविचार नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान प्राप्ति के बाद कोई भी विकार मन को प्रभावित नहीं कर सकता। ज्ञान प्राप्ति के बाद छल-कपट मन से निकल जाता है। ज्ञान प्राप्ति से हरि के स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। जिस प्रकार आँधी के बाद वर्षा से सारी चीज़ें धुल जाती हैं उसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के बाद मन निर्मल हो जाता है। और भक्त ईश्वर के भजन में लीन हो जाता है। ज्ञान रूपी सूर्य के उदय होते ही अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो जाता है।

प्रश्न 4 – इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर – अपने धर्म के समर्थन और दूसरों की निंदा करने के कारण संसार ईश्वर की भक्ति को भूल गया है। इसके विपरीत जो व्यक्ति निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है अर्थात प्रभु को याद करता है, वही सही अर्थों में सच्चा संत है।

प्रश्न 5 – अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर – अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है –
पहला यह कि अपने-अपने धर्म को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता। जबकि धार्मिक संकीर्णता को महीन कर सद्बुद्धि और सद्भावना के जरिए ईश्वर भक्ति करके प्रभु के दर्शन किए जा सकते हैं।
दूसरा यह कि ऊँचे कुल में उत्पन्न होने के अहंकार में जीने की संकीर्णता। केवल उच्च कुल में जन्म लेने से कोई व्यक्ति महान नहीं कहलाता, उसके लिए अच्छे कर्म करने पड़ते हैं। 

प्रश्न 6 – किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित-उत्तर दीजिए।
उत्तर – केवल उच्च कुल में जन्म लेने से कोई व्यक्ति महान नहीं कहलाता, उसके लिए अच्छे कर्म करने पड़ते हैं। क्योंकि यदि कर्म अच्छे न हों तो उच्च कुल की भी निंदा उसी प्रकार की जाती है जिस तरह सोने के कलश में रखी शराब के कारण सज्जन लोग शराब के साथ -साथ सोने के घड़े की भी निंदा करते है। कहने का आशय यह है कि पवित्र होते हुए भी सोने के घड़े में यदि शराब रखी जाए तो वह सोने का घड़ा अपवित्र कहा जाता है ठीक उसी प्रकार बुरे कर्मों वाले व्यक्ति के कारण उसके उच्च कुल की भी निंदा की जाती है। 

प्रश्न 7 – काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।
उत्तर – प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है। यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। दोहा छंद का प्रयोग किया गया है। यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है। कहने का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को अपना ज्ञान बढ़ाते चले जाना चाहिए और हमेशा सहजता से काम लेने चाहिए क्योंकि संसार के लोग तो हमेशा आगे बढ़ते व्यक्ति को कुछ-न-कुछ बुरा बोलते जाते हैं। 

 

सबद

 

प्रश्न 8 – मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
उत्तर – मनुष्य ईश्वर को प्राप्त करने के लिए भटकता रहता है। परन्तु ईश्वर तो सदैव मनुष्य के पास में ही रहते हैं। वह ईश्वर को मंदिर में तथा मस्जिद में ढूँढ़ता फिरता है। वह काबा और कैलाश में भी ईश्वर को ढूँढ़ता फिरता है। वह ईश्वर को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र, योग-साधना आदि का सहारा लेता है। 

प्रश्न 9 – कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर – कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के निम्नलिखित प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मसजिद में। न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थों में। वह न पूजा-पाठ करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ईश्वर पलभर में मिल सकता है क्योंकि वह कण-कण में व्याप्त है। उसे पाने के लिए किसी भी प्रकार के बाह्य आडम्बर की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 10 – कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ क्यों कहा है?
उत्तर – कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’  कहा है क्योंकि उनके अनुसार, ईश्वर सबकी साँसों में, हृदय में, आत्मा में मौजूद है। कहने का आशय यह है कि ईश्वर पलभर में मिल सकता है क्योंकि वह कण-कण में व्याप्त है। उसे पाने के लिए किसी भी प्रकार के बाह्य आडम्बर की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 11 – कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
उत्तर – कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से की है क्योंकि सामान्य हवा में इतनी शक्ति नहीं होती कि वह परिवर्तन कर सके।  परन्तु हवा तीव्र गति से आँधी के रुप में जब चलती है तो स्थिति बदल जाती है। आँधी में वो शक्ति होती है कि वो सब कुछ उड़ा कर स्थान का नक्शा पलट कर सकती है। ज्ञान में भी प्रबल शाक्ति होती है जिससे वह मनुष्य के अंदर फैले अज्ञानता के अंधकार को दूर कर सकता है।

प्रश्न 12 – ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – जीवन में ज्ञानोदय होने पर मन के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं और माया का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ज्ञान की आँधी से चित्त की स्वार्थ और मोह नामक दोनों अवस्थाओं का नाश हो जाता है।  ज्ञान के प्रभाव से मन के सारे कुविचार नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान प्राप्ति के बाद कोई भी विकार मन को प्रभावित नहीं कर सकता। ज्ञान प्राप्ति के बाद छल-कपट मन से निकल जाता है। ज्ञान प्राप्ति से हरि के स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। जिस प्रकार आँधी के बाद वर्षा से सारी चीज़ें धुल जाती हैं उसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के बाद मन निर्मल हो जाता है। और भक्त ईश्वर के भजन में लीन हो जाता है। ज्ञान रूपी सूर्य के उदय होते ही अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो जाता है।

प्रश्न 13 – भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
उत्तर – ज्ञान की आँधी ने चित्त की स्वार्थ और मोह नामक दोनों अवस्थाओं रूपी स्तम्भों को गिरा दिया है और इन खम्भों पर टिकी हुई मोहरूपी बल्ली (छप्पर की मज़बूत मोटी लकड़ी) भी टूट गई है। आशय यह है कि ज्ञानोदय होने से मन का स्वार्थ और मोह भी नष्ट हो गया। मोह रूपी मजबूत लकड़ी के टूटते ही तृष्णारूपी छप्पर (छान) भी गिर पड़ी है। 

(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर – भाव यह है कि कबीर ने मन रूपी घर पर संतोषरूपी नया छप्पर बाँधा है। अब इसमें से एक बूंद भी वर्षा का पानी नहीं टपक सकता अर्थात् ज्ञान प्राप्ति के बाद अब कोई भी विकार उनके मन को प्रभावित नहीं कर सकता। ज्ञान प्राप्ति के बाद छल-कपट उनके मन से निकल गया है। ज्ञान प्राप्ति से उन्हें हरि के स्वरूप का ज्ञान हो गया है।

 

Class 9 Hindi Sakhiyan, Sabad – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

1 –
मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।।

प्रश्न 1 – प्रस्तुत पद्यांश में मानसरोवर किसका प्रतिक है?
(क) सुंदर झील का
(ख) सरोवर का
(ग) मनुष्य के मन का
(घ) मनुष्य के जीवन का
उत्तर – (ग) मनुष्य के मन का

प्रश्न 2 – पद्यांशानुसार मनुष्य यानी जीवात्मा का मन किसमें लीन है?
(क) ईश्वर की भक्ति
(ख) मुक्ति
(ग) मोती चुगने
(घ) ईश्वर की विरक्ति
उत्तर – (क) ईश्वर की भक्ति

प्रश्न 3 – पद्यांश में मुकता किसका प्रतीक है?
(क) चुंगने
(ख) मुक्ति
(ग) हंस
(घ) आनंद
उत्तर – (ख) मुक्ति

प्रश्न 4 – ‘हंसा केलि कराहिं’ में कौन सा अलंकार है?
(क) मानवीकरण
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) रूपक
(घ) अनुप्रास
उत्तर – (घ) अनुप्रास

प्रश्न 5 – ‘मुकताफल मुकता चुगैं’ में कौन सा अलंकार है?
(क) अतिश्योक्ति
(ख) यमक
(ग) उपमा
(घ) पुनरुक्ति
उत्तर – (ख) यमक

2 –
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान।।

प्रश्न 1 – पद्यांश के अनुसार संसार किसे भूल गया है?
(क) पक्ष को
(ख) विपक्ष को
(ग) सज्जन लोगों को
(घ) ईश्वर की भक्ति
उत्तर – (घ) ईश्वर की भक्ति

प्रश्न 2 – सच्चा ज्ञानी कौन है?
(क) जो व्यक्ति निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है
(ख) जो व्यक्ति पक्ष में रहकर प्रभु भजन में लगा है
(ग) जो व्यक्ति विपक्ष में रहकर प्रभु भजन में लगा है
(घ) जो व्यक्ति संसार में व्यस्त हो कर भी प्रभु भजन में लगा है
उत्तर – (क) जो व्यक्ति निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है

प्रश्न 3 – निरपख का क्या अर्थ है?
(क) विपक्ष
(ख) पक्ष
(ग) निष्पक्ष
(घ) सत मार्ग
उत्तर – (ग) निष्पक्ष

प्रश्न 4 – पद्यांश में ज्ञानी का पर्यायवाची क्या है?
(क) सोई
(ख) सुजान
(ग) भुलान
(घ) संत
उत्तर – (ख) सुजान

प्रश्न 5 – ‘सोई संत सुजान’ में कौन सा अलंकार है?
(क) मानवीकरण
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) रूपक
(घ) अनुप्रास
उत्तर – (घ) अनुप्रास

3 –
मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में।।

प्रश्न 1 – उपरोक्त पंक्तियों में किसे ढूंढने की बात की गई है?
(क) बंदे
(ख) ईश्वर
(ग) कबीर
(घ) देवल
उत्तर – (ग) कबीर

प्रश्न 2 – ईश्वर कहाँ व्याप्त है?
(क) देवल – मसजिद
(ख) काबे-कैलास
(ग) क्रिया-कर्म
(घ) सब स्वाँसों की स्वाँस में
उत्तर – (घ) सब स्वाँसों की स्वाँस में

प्रश्न 3 – ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ से क्या आशय है?
(क) सभी जीवों में
(ख) सभी मनुष्यों में
(ग) कण-कण में
(घ) सभी पशुओं में
उत्तर – (ग) कण-कण में

प्रश्न 4 – ‘खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं’ में किसके मिलने की बात कही गई है?
(क) धन-सम्पति
(ख) ईश्वर
(ग) सामान
(घ) मन
उत्तर – (ख) ईश्वर

प्रश्न 5 – मनुष्य ईश्वर को कहाँ ढूंढता है?
(क) मंदिर और मस्जिद
(ख) काबा और कैलाश
(ग) योग – वैराग
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

4 –
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे।
भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी।।
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा।।
जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।।
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनाँ।।

प्रश्न 1 – कबीर जी किस आँधी की बात कर रहे हैं?
(क) माया रूपी आँधी
(ख) भ्रम रूपी आँधी
(ग) ज्ञान रूपी आँधी
(घ) अज्ञान रूपी आँधी
उत्तर – (ग) ज्ञान रूपी आँधी

प्रश्न 2 – कबीर जी ने ज्ञान की तुलना किससे की है?
(क) माया
(ख) भ्रम
(ग) तृष्णा
(घ) आँधी
उत्तर – (घ) आँधी

प्रश्न 3 – कुबधि का क्या आशय है?
(क) बिना बुद्धि के
(ख) कुविचार
(ग) बिना बाधा के
(घ) बाधा के विपरीत
उत्तर – (ख) कुविचार

प्रश्न 4 – ‘हरि की गति’ से क्या अभिप्राय है?
(क) हरि का स्वरूप
(ख) हरि की चाल
(ग) हरि का मन
(घ) हरि का भक्त
उत्तर – (क) हरि का स्वरूप

प्रश्न 5 – ‘भाँन’ किसका प्रतिक है?
(क) सूर्य
(ख) ज्ञान
(ग) भक्ति
(घ) भावना
उत्तर – (ख) ज्ञान

Class 9 Hindi A Kshitij Lesson 7 Sakhiyan, Sabad Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न 1 – कबीर की साखियों में किन चीजों को प्रमुखता दी गई है?
(क) ईश्वर और ज्ञान को
(ख) ईश्वर और भक्त प्रेम को
(ग) भक्ति और ज्ञान के मार्ग को
(घ) अंतर्मन और तृष्णा को
उत्तर – (ग) भक्ति और ज्ञान के मार्ग को

प्रश्न 2 – कबीर ने मानसरोवर किसके लिए प्रयुक्त किया है?
(क) स्वच्छता
(ख) हृदय
(ग) भक्ति भाव
(घ) गहराई
उत्तर – (ख) हृदय

प्रश्न 3 – सच्चे प्रेमी (ईश्वर) से मिलने पर क्या होता है?
(क) ईश्वर भक्ति बढ़ जाती है
(ख) ईश्वर प्रेम बढ़ जाता है
(ग) सभी दुःख, सुख में बदल जाते हैं
(घ) सभी जीव समान प्रतीत होते हैं
उत्तर – (ग) सभी दुःख, सुख में बदल जाते हैं

प्रश्न 4 – कबीर के अनुसार, ईश्वर का वास कहांँ है?
(क) कण-कण में
(ख) मंदिर – मस्जिद
(ग) पूजा-पाठ
(घ) प्रत्येक मनुष्य में
उत्तर – (क) कण-कण में

प्रश्न 5 – ‘हस्ती’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) हाथी
(ख) हाथ
(ग) साथी
(घ) अस्तित्व
उत्तर – (क) हाथी

प्रश्न 6 – कबीर ने संसार को किसके समान माना है?
(क) स्वान यानि भेड़िया
(ख) स्वान यानि साँस
(ग) स्वान यानि कुत्ता
(घ) हस्ती यानि हाथी
उत्तर – (ग) स्वान यानि कुत्ता

प्रश्न 7 – कबीर ने हाथी की तुलना किससे की है?
(क) संसार से
(ख) ज्ञान से
(ग) अहंकार से
(घ) बड़प्पन से
उत्तर – (ख) ज्ञान से

प्रश्न 8 – पक्ष और विपक्ष की लड़ाई में लोग किसे भूल जाते हैं?
(क) प्रेम को
(ख) ज्ञान को
(ग) भक्ति को
(घ) ईश्वर को
उत्तर – (घ) ईश्वर को

प्रश्न 9 – कबीर के अनुसार, असल में कौन सा मनुष्य जीवित कहलाता है?
(क) बाह्य आडंबरों द्वारा प्रभु भक्ति में लीन रहने वाला
(ख) बाह्य आडंबरों से दूर रह कर प्रभु भक्ति में लीन रहने वाला
(ग) सांप्रदायिक भेदभाव करने वाला
(घ) सांप्रदायिक भेदभाव व बाह्य आडंबरों में लीन रहने वाला
उत्तर – (ख) बाह्य आडंबरों से दूर रह कर प्रभु भक्ति में लीन रहने वाला

प्रश्न 10 – साधु लोग सोने के कलश की निंदा क्यों करते हैं?
(क) उसमें पानी भरा होने के कारण
(ख) बिलकुल खाली होने के कारण
(ग) उसमें शराब भरी होने के कारण
(घ) उसमें मिट्टी भरी होने के कारण
उत्तर – (ग) उसमें शराब भरी होने के कारण

प्रश्न 11 – कबीर ईश्वर को कहाँ ढूंढने को कहते हैं?
(क) मंदिर
(ख) कैलाश
(ग) तीर्थों में
(घ) अपने भीतर
उत्तर – (घ) अपने भीतर

प्रश्न 12 – “ज्ञान की आंधी” के आने से क्या समाप्त हो जाता है?
(क) भ्रम
(ख) तृष्णा
(ग) स्वार्थ और मोह
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 13 – अज्ञान रूपी अंधकार किससे नष्ट होता हैं?
(क) ज्ञान रूपी सूर्य से
(ख) ज्ञान रूपी भक्ति से
(ग) ज्ञान रूपी हाथी से
(घ) ज्ञान रूपी कर्म से
उत्तर – (क) ज्ञान रूपी सूर्य से

प्रश्न 14 – मनुष्य किस लिए भटकता रहता है?
(क) मोह के कारण
(ख) ईश्वर को प्राप्त करने के लिए
(ग) तृष्णा के कारण
(घ) धन-संपत्ति इकट्ठी करने के लिए
उत्तर – (ख) ईश्वर को प्राप्त करने के लिए

प्रश्न 15 – ईश्वर को पाने के लिए किसकी आवश्यकता नहीं है?
(क) बाह्य आडम्बर की
(ख) भक्ति भाव की
(ग) भजन की
(घ) प्रार्थना की
उत्तर – (क) बाह्य आडम्बर की

प्रश्न 16 – जिस प्रकार आँधी के बाद वर्षा से सारी चीज़ें धुल जाती हैं उसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के बाद क्या होता है?
(क) तन निर्मल हो जाता है
(ख) भक्ति जागृत हो जाती है
(ग) संसार से नाता टूट जाता है
(घ) मन निर्मल हो जाता है
उत्तर – (घ) मन निर्मल हो जाता है

प्रश्न 17 – महान बनने के लिए क्या आवश्यक है?
(क) अच्छे कर्म
(ख) ज्ञान
(ग) संपत्ति
(घ) ईश्वर भक्ति
उत्तर – (क) अच्छे कर्म

प्रश्न 18 – कबीर की साखी में ‘विष’ किसका प्रतिक है?
(क) ज़हर
(ख) दुःख
(ग) त्याग
(घ) लोभ
उत्तर – (ख) दुःख

प्रश्न 19 – कबीर को किसके त्याग से मन रूपी दूसरा सच्चा ईश्वर भक्त मिला?
(क) संसार के
(ख) अहंकार के
(ग) ज्ञान के
(घ) भक्ति के
उत्तर – (ख) अहंकार के

प्रश्न 20 – कबीर कीसाखियों में किन भावों का वर्णन किया गया है?
(क) प्रेम का महत्व, संत के लक्षण
(ख) ज्ञान की महानता
(ग) बाहरी दिखावे का विरोध
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

Sakhiyan, Sabad Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर) 

 

प्रश्न 1 – कबीर जी ने मनुष्यों की तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर – कबीर ने मनुष्यों की तुलना हंस पक्षी से की है। कबीर कहते हैं कि जिस तरह हंस पक्षी स्वतंत्रता पूर्वक मानसरोवर में क्रीड़ा करते हैं। वे वहाँ मोती चुगते हैं और इस आनंद को छोड़ कर वे कहीं और उड़ना नहीं चाहते।  ठीक उसी तरह मनुष्य यानी जीवात्मा भी मन रूपी सरोवर के जल रूपी भक्तिभाव से भर कर जीवन यापन कर रहा है। वह मोती रूपी मुक्ति का आनंद उठा रहा है और इस मुक्ति रूपी आंनद को छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहता।

प्रश्न 2 – जब दो सच्चे ईश्वर भक्त मिल जाते हैं। तब क्या होता है?
उत्तर – कबीर जी को अहंकार के कारण कोई दूसरा ईश्वर भक्त नहीं मिला। परन्तु जब उन्होंने अहंकार का त्याग किया तब उन्हें मन रूपी दूसरा सच्चा ईश्वर भक्त मिला और मन रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनके मन का विष यानी कष्ट, अमृत यानी सुख में बदल गया। कहने का अभिप्राय यह है कि जब दो सच्चे ईश्वर भक्त मिल जाते हैं तो सभी दुःख, सुख में बदल जाते हैं।

प्रश्न 3 – कबीर जी के द्वारा हाथी को ज्ञान का और संसार को कुत्ते का प्रतिक किस प्रकार कहा गया है?
उत्तर – कबीर जी के अनुसार व्यक्ति को स्वभाविक सहजता रूपी कालीन बिछाकर ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए। क्योंकि यह संसार किसी कुत्ते के सामान है जो हाथी के पीछे भौंकते हुए अपना समय बरबाद करता है। कहने का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को अपना ज्ञान बढ़ाते चले जाना चाहिए और हमेशा सहजता से काम लेने चाहिए क्योंकि संसार के लोग तो हमेशा आगे बढ़ते व्यक्ति को कुछ-न-कुछ बुरा बोलते जाते हैं। उन्हें अनदेखा कर आगे बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन वे स्वयं ही चुप हो जायेंगे।

प्रश्न 4 – सच्चा ज्ञानी कौन है?
उत्तर – अपने धर्म के समर्थन और दूसरों की निंदा करने के कारण संसार ईश्वर की भक्ति को भूल गया है। इसके विपरीत जो व्यक्ति निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है अर्थात प्रभु को याद करता है, वही सही अर्थों में सच्चा ज्ञानी है।

प्रश्न 5 – ईश्वर भक्ति करके प्रभु के दर्शन किए जा सकते हैं। कबीर के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कबीर मुसलमानों का पवित्र तीर्थ स्थल – काबा भी गए और हिंदुयों का पवित्र तीर्थ स्थल – काशी भी गए, उन्होंने राम का भजन भी किया और रहीम का गुणगान भी किया। उन्हें दोनों में समानता ही दिखाई दी। कहने का अभिप्राय यह है कि जिस दिन हम सभी हिन्दू-मुसलमान के भेद को भुला कर आगे बढ़ेंगे उस समय हमें काशी और काबा अथवा राम और रहीम में कोई अंतर नहीं दिखेगा। जिस प्रकार मोटा आटा पीसने पर बारीक मैदा हो जाता है और उसका भोजन बनाकर आराम से बैठकर खाया जा सकता है, उसी प्रकार धार्मिक संकीर्णता को महीन कर सद्बुद्धि और सद्भावना के जरिए ईश्वर भक्ति करके प्रभु के दर्शन किए जा सकते हैं।

प्रश्न 6 – उच्च कुल में उत्पन्न होने पर भी निंदा का पात्र कौन बनता है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर – केवल उच्च कुल में जन्म लेने से कोई व्यक्ति महान नहीं कहलाता, उसके लिए अच्छे कर्म करने पड़ते हैं। क्योंकि यदि कर्म अच्छे न हों तो उच्च कुल की भी निंदा उसी प्रकार की जाती है। जिस प्रकार जिस तरह सोने के कलश में रखी शराब के कारण सज्जन लोग शराब के साथ -साथ सोने के घड़े की भी निंदा करते है। कहने का आशय यह है कि पवित्र होते हुए भी सोने के घड़े में यदि शराब रखी जाए तो वह सोने का घड़ा अपवित्र कहा जाता है ठीक उसी प्रकार बुरे कर्मों वाले व्यक्ति के कारण उसके उच्च कुल की भी निंदा की जाती है।

प्रश्न 7 – मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूंढता है और ईश्वर को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
उत्तर – मनुष्य ईश्वर को प्राप्त करने के लिए भटकता रहता है। परन्तु ईश्वर तो सदैव मनुष्य के पास में ही रहते हैं। ईश्वर न तो किसी मंदिर में मिल सकते है और न ही कभी किसी मस्जिद में। न तो ईश्वर को काबा जा कर मिला जा सकता है और ही आप कैलाश जा कर ईश्वर  प्राप्ति कर सकते हो। न ईश्वर को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र काम आता है और न ही कोई योग-साधना। यदि ईश्वर को खोजना चाहो तो वे तुरंत ही मिल सकते हैं। वो भी बिना किसी तलाश के। क्योंकि ईश्वर सबकी साँसों में, हृदय में, आत्मा में मौजूद है। कहने का आशय यह है कि ईश्वर पलभर में मिल सकता है क्योंकि वह कण-कण में व्याप्त है। उसे पाने के लिए किसी भी प्रकार के बाह्य आडम्बर की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 8 – कबीर जी ने ज्ञान की महत्ता का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर – कबीर जी ने ज्ञान की महत्ता का वर्णन किया है। कबीर जी ज्ञान की तुलना आँधी से करते हैं। जीवन में ज्ञानोदय होने पर मन के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं और माया का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ज्ञान की आँधी से चित्त की स्वार्थ और मोह नामक दोनों अवस्थाओं का नाश हो जाता है।  ज्ञान के प्रभाव से मन के सारे कुविचार नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान प्राप्ति के बाद कोई भी विकार मन को प्रभावित नहीं कर सकता। ज्ञान प्राप्ति के बाद छल-कपट मन से निकल जाता है। ज्ञान प्राप्ति से हरि के स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। जिस प्रकार आँधी के बाद वर्षा से सारी चीज़ें धुल जाती हैं उसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के बाद मन निर्मल हो जाता है। और भक्त ईश्वर के भजन में लीन हो जाता है। ज्ञान रूपी सूर्य के उदय होते ही अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो जाता है।