Ramaniya Hi Srusti Aisha Manika Bhag 2 Sanskrit Class 10 Chapter 7 Question Answers – Sanskrit Class 10 NCERT Solutions
Class 10 – कक्षा 10वीं
Sanskrit Manika Bhag 2 – संस्कृत (मणिका भाग-2)
Ramaniya Hi Srusti Aisha Chapter 7 – पाठ 7
रमणीया हि सृष्टिः एषा

Ramaniya Hi Srusti Aisha Exercises of the Lesson
पाठ्यपुस्तकस्य अभ्यासः (अनुप्रयोगः)
प्रश्न 1 – एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि उदाहरणम् अनुसृत्य ‘आम् अथवा न’ साहाय्येन देयानि (मौखिक-अभ्यासार्थम्) –
| यथा – (क) |
किं ‘का का’ इति राजहंसस्य ध्वनिः? |
न |
|
(ख) |
किं काकः मेध्यम् अमेध्यं वा सर्वमेव भक्षयति? |
आम् |
|
(ग) |
किं कुक्कुटाः नगरेषु सर्वत्र सुलभाः एव? |
——– |
|
(घ) |
किं राजहंसी श्लोकद्वयं पठति? |
——– |
|
(ङ) |
किं बकः श्वेतः भवति? |
——– |
|
(च) |
किं वर्षाणाम् अभिनन्दनं बकः करोति? |
——– |
|
(छ) |
किं मयूरः एव अस्माकं राष्ट्रपक्षी? |
——– |
|
(ज) |
किं मयूरः क्रोधेन प्रविशति? |
——– |
|
(झ) |
किं कोकिलः एव मधुमासे आम्रवृक्षे स्थित्वा गायति? |
——– |
|
(ञ) |
किं राजहंसः एव निरक्षीरविवेकी मन्यते? |
——– |
|
(ट) |
किं केवलं मयूरेण एव सौन्दर्यमयी सृष्टिः एषा? |
——– |
|
(ठ) |
किं मिलित्वा एव जीवनं रसमयं कर्तव्यम्? |
——– |
|
(ड्) |
किं प्रकृतेः शोभा सर्वैः पक्षिभिः एव? |
——– |
उत्तराणि –
|
यथा – (क) |
किं ‘का का’ इति राजहंसस्य ध्वनिः? |
न |
|
(ख) |
किं काकः मेध्यम् अमेध्यं वा सर्वमेव भक्षयति? |
आम् |
|
(ग) |
किं कुक्कुटाः नगरेषु सर्वत्र सुलभाः एव? |
न |
|
(घ) |
किं राजहंसी श्लोकद्वयं पठति? |
न |
|
(ङ) |
किं बकः श्वेतः भवति? |
आम् |
|
(च) |
किं वर्षाणाम् अभिनन्दनं बकः करोति? |
आम् |
|
(छ) |
किं मयूरः एव अस्माकं राष्ट्रपक्षी? |
आम् |
|
(ज) |
किं मयूरः क्रोधेन प्रविशति? |
न |
|
(झ) |
किं कोकिलः एव मधुमासे आम्रवृक्षे स्थित्वा गायति? |
आम् |
|
(ञ) |
किं राजहंसः एव निरक्षीरविवेकी मन्यते? |
आम् |
|
(ट) |
किं केवलं मयूरेण एव सौन्दर्यमयी सृष्टिः एषा? |
न |
|
(ठ) |
किं मिलित्वा एव जीवनं रसमयं कर्तव्यम्? |
आम् |
|
(ड्) |
किं प्रकृतेः शोभा सर्वैः पक्षिभिः एव? |
आम् |
प्रश्न 2 – अत्र उदाहरणम् अनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत –
यथा – (क) राजहंसी राजहंसं कथयति यत् काकस्य कर्म अपि कृष्णम्।
(ख) काकः ———- कथयति यत् यदि सः (काकः) कृष्णवर्णः तर्हि श्रीरामस्य वर्णः कीदृशः?
(ग) राजहंसः ———- कथयति यत् एतत् कार्यं तु कुक्कुटोsपि करोति।
(घ) बकः ———- कथयति यत् तस्य किं महत्त्वम्?
(ङ) मयूरः ———- कथयति यत् तस्य ध्यानावस्थाम् को न जानाति?
(च) कोकिलः ———- कथयति यत् ‘अलम् अतिविकत्थनेन’।
(छ) काकः ———- कथयति यत् सः एव करुणापरः पक्षिसम्राट्।
उत्तराणि –
यथा – (क) राजहंसी राजहंसं कथयति यत् काकस्य कर्म अपि कृष्णम्।
(ख) काकः राजहंसीम् कथयति यत् यदि सः (काकः) कृष्णवर्णः तर्हि श्रीरामस्य वर्णः कीदृशः?
(ग) राजहंसः काकम् कथयति यत् एतत् कार्यं तु कुक्कुटोsपि करोति।
(घ) बकः हंसम् कथयति यत् तस्य किं महत्त्वम्?
(ङ) मयूरः बकम् कथयति यत् तस्य ध्यानावस्थाम् को न जानाति?
(च) कोकिलः मयूरम् कथयति यत् ‘अलम् अतिविकत्थनेन’।
(छ) काकः कोकिलम् कथयति यत् सः एव करुणापरः पक्षिसम्राट्।
प्रश्न 3 – अधोलिखितानां रिक्तस्थानेषु समुचितं पदं लिखत –
यथा – (क) राजहंसः काकस्य ध्वनिं श्रुत्वा व्याकुलः भवति।
(ख) काकः ———– कथनं श्रुत्वा तु क्रुद्धः भवति परं ———– वचनं श्रुत्वा विहसति।
(ग) राजहंसी ———– वचनं श्रुत्वा तं ‘वाचाल’ इति कथयति।
(घ) मयूरः ———– वचान्सि श्रुत्वा प्रविशति।
(ङ) कोकिलः ———– वचान्सि श्रुत्वा प्रविशति।
(च) अन्ते ———– प्रविशति।
उत्तराणि –
(क) राजहंसः काकस्य ध्वनिं श्रुत्वा व्याकुलः भवति।
(ख) काकः राजहंस्याः कथनं श्रुत्वा तु क्रुद्धः भवति परं राजहंसस्य वचनं श्रुत्वा विहसति।
(ग) राजहंसी काकस्य वचनं श्रुत्वा तं ‘वाचाल’ इति कथयति।
(घ) मयूरः बकस्य वचान्सि श्रुत्वा प्रविशति।
(ङ) कोकिलः मयूरस्य वचान्सि श्रुत्वा प्रविशति।
(च) अन्ते प्रकृतिमाता प्रविशति।
प्रश्न 4 – पाठगतश्लोकानां भावस्पष्टिकरणम् उचितपदैः कर्तव्यम् –
(क) यदि —————– चञ्चुदेशे माणिक्यरत्नम् अपि भवेत् तथापि सः —————– न मन्यते अपितु —————– एव। एवमेव यदि —————– पक्षाः मणिभिः ग्रथिताः भवेयुः तथापि सः —————– एव न —————–।
(ख) हंसः श्वेतवर्णः बकस्य अपि च वर्णः —————– एव। अतः बकहंसयोः वर्णद्रष्ट्या कोsपि न भेदः परं —————– एव विवेकशीलः मन्यते न तु —————–।
(ग) काकस्य वर्णः कृष्णः —————– अपि वर्णः —————–। एतयोः भेदः तु —————– एव ज्ञायते यत् काकः —————– पिकः च पिकः अस्ति।
उत्तराणि –
(क) यदि काकस्य चञ्चुदेशे माणिक्यरत्नम् अपि भवेत् तथापि सः राजहंसः न मन्यते अपितु काकः एव। एवमेव यदि काकस्य पक्षाः मणिभिः ग्रथिताः भवेयुः तथापि सः काकः एव न राजहंसः।
(ख) हंसः श्वेतवर्णः बकस्य अपि च वर्णः श्वेतः एव। अतः बकहंसयोः वर्णद्रष्ट्या कोsपि न भेदः परं हंसः एव विवेकशीलः मन्यते न तु बकः।
(ग) काकस्य वर्णः कृष्णः पिकस्य अपि वर्णः कृष्णः। एतयोः भेदः तु वसन्तसमये एव ज्ञायते यत् काकः काकः पिकः च पिकः अस्ति।
प्रश्न 5 – अ. एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि पाठम् आधृत्य एकस्मिन् पदे एव लिखत –
| यथा – |
राजहंसः राजहंसी च काकध्वनिं कस्यां वेलायां श्र्णुतः? |
प्रभातवेलायाम् |
|
(क) |
आत्मप्रशन्सायां श्लोकद्व्यं कः पठति? |
————— |
|
(ख) |
स्वप्रशन्सायां एकश्लोकं कः पठति? |
————— |
|
(ग) |
हंसस्य बकस्य च कः वर्णः? |
————— |
|
(घ) |
मयूरः केन पक्षिराजः कृतः? |
————— |
|
(ङ) |
कोकिलः कस्मिन् मासे पञ्चमस्वरेण गायति? |
————— |
|
(च) |
कोकिलः कुत्र स्थित्वा पञ्च्मस्वरेण गायति? |
————— |
|
(छ) |
‘का-का’ इति कस्य ध्वनिः? |
————— |
|
(ज) |
मातरः कान् कथयन्ति – ‘अनृतं वदसि चेत् काकः दशेत्’? |
————— |
|
(झ) |
केषाम् ऐक्यं जगत्प्रसिद्धम्? |
————— |
|
(ञ) |
कः पक्षिराजः? |
————— |
|
(ट) |
कस्य ध्यानं प्रसिद्धम्? |
————— |
|
(ठ) |
कः नीरक्षीरविवेकी मन्यते? |
————— |
|
(ड्) |
काकपिकयोः भेदः कदा ज्ञायते? |
————— |
|
(ढ) |
कीदृशी सृष्टिः एषा? |
————— |
|
(ण) |
पक्षिणां जननी का? |
————— |
|
(त) |
केन समयः वृथा न यापयितव्यः? |
————— |
|
(थ) |
रसमयं किं कर्तव्यम्? |
————— |
उत्तराणि –
| यथा – |
राजहंसः राजहंसी च काकध्वनिं कस्यां वेलायां श्र्णुतः? |
प्रभातवेलायाम् |
|
(क) |
आत्मप्रशन्सायां श्लोकद्व्यं कः पठति? |
राजहंसः |
|
(ख) |
स्वप्रशन्सायां एकश्लोकं कः पठति? |
कोकिलः |
|
(ग) |
हंसस्य बकस्य च कः वर्णः? |
श्वेतः |
|
(घ) |
मयूरः केन पक्षिराजः कृतः? |
विधात्रा |
|
(ङ) |
कोकिलः कस्मिन् मासे पञ्चमस्वरेण गायति? |
मधुमासे |
|
(च) |
कोकिलः कुत्र स्थित्वा पञ्च्मस्वरेण गायति? |
आम्रवृक्षे |
|
(छ) |
‘का-का’ इति कस्य ध्वनिः? |
काकस्य |
|
(ज) |
मातरः कान् कथयन्ति – ‘अनृतं वदसि चेत् काकः दशेत्’? |
शिशून् |
|
(झ) |
केषाम् ऐक्यं जगत्प्रसिद्धम्? |
काकानाम् |
|
(ञ) |
कः पक्षिराजः? |
मयूरः |
|
(ट) |
कस्य ध्यानं प्रसिद्धम्? |
बकस्य |
|
(ठ) |
कः नीरक्षीरविवेकी मन्यते? |
हंसः |
|
(ड्) |
काकपिकयोः भेदः कदा ज्ञायते? |
वसन्तसमये |
|
(ढ) |
कीदृशी सृष्टिः एषा? |
रमणीया |
|
(ण) |
पक्षिणां जननी का? |
प्रकृतिः |
|
(त) |
केन समयः वृथा न यापयितव्यः? |
कलहेन |
|
(थ) |
रसमयं किं कर्तव्यम्? |
जीवनम् |
आ. उदाहरणम् अनुसृत्य उपरिलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणां प्रयोगेन इमम् अनुच्छेदं पूर्यन्ताम् –
————— निर्मिता एषा सृष्टिः ————— एव। ————— तु सर्वत्र सौन्दर्यम् एव दृश्यते। सरस्तीरे —————, ————— च विहरतः, ————— नृत्यति, ————– शोभा चित्तं हरति, ————— अपि ध्वनिः यत्र-तत्र श्रूयते। माता ————— प्रबोधयति। ————— तु यदा ————— स्थित्वा गायति तदा ————— रसमयम् एव भवति। अद्भुता सौन्दर्यमयी ————— एषा। अतः आनन्देन यापनीयं जीवनं न तु —————।
उत्तराणि –
विधात्रा निर्मिता एषा सृष्टिः रमणीया एव। प्रभातवेलायां तु सर्वत्र सौन्दर्यम् एव दृश्यते। सरस्तीरे राजहंसः, राजहंसी च विहरतः, मयूरः नृत्यति, प्रकृते शोभा चित्तं हरति, काकानाम् अपि ध्वनिः यत्र-तत्र श्रूयते। माता शिशून् प्रबोधयति। कोकिलः तु यदा आम्रवृक्षे स्थित्वा गायति तदा जीवनम् रसमयम् एव भवति। अद्भुता सौन्दर्यमयी सृष्टिः एषा। अतः आनन्देन यापनीयं जीवनं न तु कलहेन।
प्रश्न 6 – निम्नलिखितकथनेषु स्थूलानि सर्वनामपदानि ‘कस्मै प्रयुक्तानि’ इति लिखत –
|
कथनानि |
कस्मै प्रयुक्तम् सर्वनामपदम् |
|
|
यथा – |
सर्वथा जागरूकः अहम् |
————- |
|
(क) |
सरस्तीरे विहरति मयि |
————- |
|
(ख) |
कथं माम् अधिक्षिपसि |
————- |
|
(ग) |
अहमेवात्र वृष्टेः अभिनन्दनं करोमि |
————- |
|
(घ) |
मम नृत्यं तु प्रकृतेः आराधना |
————- |
|
(ङ) |
अहं पञ्चमस्वरेण गायामि |
————- |
|
(च) |
अहमेव सर्वशिरोमणिः |
————- |
|
(छ) |
सर्वैः एव मे शोभा |
————- |
|
(ज) |
अहमेव नीरक्षीरविवेकी |
————- |
उत्तराणि –
|
|
कथनानि |
कस्मै प्रयुक्तम् सर्वनामपदम् |
|
यथा – |
सर्वथा जागरूकः अहम् |
काकाय |
|
(क) |
सरस्तीरे विहरति मयि |
राजहंसाय |
|
(ख) |
कथं माम् अधिक्षिपसि |
बकाय |
|
(ग) |
अहमेवात्र वृष्टेः अभिनन्दनं करोमि |
बकाय |
|
(घ) |
मम नृत्यं तु प्रकृतेः आराधना |
मयूराय |
|
(ङ) |
अहं पञ्चमस्वरेण गायामि |
कोकिलाय |
|
(च) |
अहमेव सर्वशिरोमणिः |
बकाय |
|
(छ) |
सर्वैः एव मे शोभा |
प्रकृतये |
|
(ज) |
अहमेव नीरक्षीरविवेकी |
राजहंसाय |
प्रश्न 7 – उदाहरणम् अनुसृत्य वाक्यपरिवर्तनं कुरुत –
|
यथा – |
अहं प्रभाते सुप्तान् प्रबोधयामि। |
काकः प्रभाते सुप्तान् प्रबोधयति। |
|
(क) |
अहमेव राष्ट्रपक्षी। |
मयूरः एव राष्ट्रपक्षी। |
|
(ख) |
अहमेव सुप्तान् कर्मसु विनियोजयामि। |
—————————————- |
|
(ग) |
अहं वृष्टेः अभिनन्दनं करोमि। |
—————————————- |
|
(घ) |
आम्रवृक्षे अहं पञ्चमस्वरेण गायामि। |
—————————————- |
|
(ङ) |
कोकिलस्य सन्ततिं तु अहमेव पालयामि। |
—————————————- |
|
(च) |
अहमेव सर्वेषां पक्षिणां जननी अस्मि। |
—————————————- |
|
(छ) |
विधात्रा एव अहं पक्षिराजः कृतः। |
—————————————- |
उत्तराणि –
|
यथा – |
अहं प्रभाते सुप्तान् प्रबोधयामि। |
काकः प्रभाते सुप्तान् प्रबोधयति। |
|
(क) |
अहमेव राष्ट्रपक्षी। |
मयूरः एव राष्ट्रपक्षी। |
|
(ख) |
अहमेव सुप्तान् कर्मसु विनियोजयामि। |
काकः एव सुप्तान् कर्मसु विनियोजयति। |
|
(ग) |
अहं वृष्टेः अभिनन्दनं करोमि। |
बकः वृष्टेः अभिनन्दनं करोति। |
|
(घ) |
आम्रवृक्षे अहं पञ्चमस्वरेण गायामि। |
आम्रवृक्षे कोकिलः पञ्चमस्वरेण गायति। |
|
(ङ) |
कोकिलस्य सन्ततिं तु अहमेव पालयामि। |
कोकिलस्य सन्ततिं तु काकः एव पालयति। |
|
(च) |
अहमेव सर्वेषां पक्षिणां जननी अस्मि। |
प्रकृति एव सर्वेषां पक्षिणां जननी अस्ति। |
|
(छ) |
विधात्रा एव अहं पक्षिराजः कृतः। |
विधात्रा एव मयूरः पक्षिराजः कृतः। |
प्रश्न 8 – केन कथितानि एतानि कथनानि?
|
|
कथनानि |
वक्ता |
|
(क) |
अहं तु अतीव कर्तव्यपरायणः। |
—————- |
|
(ख) |
नीरक्षीरविवेके तु हंसो हंसः बको बकः। |
—————- |
|
(ग) |
दुग्धधवलाः मे पक्षाः। |
—————- |
|
(घ) |
अहमेव सर्वशिरोमणिः। |
—————- |
|
(ङ) |
सर्वषामेव महत्वं विद्यते यथासमयम्। |
—————- |
|
(च) |
मम केकारवं श्रुत्वा कोकिलः अपि लज्जते। |
—————- |
|
(छ) |
अलम् अतिविकत्थनेन। |
—————- |
|
(ज) |
अस्य वर्णः अपि कृष्णः कर्म अपि कृष्णम्। |
—————- |
उत्तराणि –
|
|
कथनानि |
वक्ता |
|
(क) |
अहं तु अतीव कर्तव्यपरायणः। |
काकेन |
|
(ख) |
नीरक्षीरविवेके तु हंसो हंसः बको बकः। |
राजहंसेन |
|
(ग) |
दुग्धधवलाः मे पक्षाः। |
बकेन |
|
(घ) |
अहमेव सर्वशिरोमणिः। |
मयूरेण |
|
(ङ) |
सर्वषामेव महत्वं विद्यते यथासमयम्। |
प्रकृत्या |
|
(च) |
मम केकारवं श्रुत्वा कोकिलः अपि लज्जते। |
मयूरेण |
|
(छ) |
अलम् अतिविकत्थनेन। |
कोकिलेन |
|
(ज) |
अस्य वर्णः अपि कृष्णः कर्म अपि कृष्णम्। |
राजहंस्या |
प्रश्न 9 – अस्मिन् पाठे मञ्चे पक्षिणां प्रवेशक्रमनिर्धारणं क्रियताम् –
|
क्रमः |
पक्षिणः |
|
प्रथमः |
काकः |
|
द्वितीयः |
कोकिलः |
|
तृतीयः |
बकः |
|
चतुर्थः |
मयूरः |
|
पञ्चमः |
राजहंसः |
उत्तराणि –
|
क्रमः |
पक्षिणः |
|
प्रथमः |
राजहंसः |
|
द्वितीयः |
काकः |
|
तृतीयः |
बकः |
|
चतुर्थः |
मयूरः |
|
पञ्चमः |
कोकिलः |
प्रश्न 10 – अत्र लिखितशब्दानां साहाय्येन निर्दिष्टपक्षिणः वैशिष्ट्यं त्रिषु वाक्येषु लिखत –
|
कृष्णवर्णः, ऐक्यम्, करुणापरः |
|
(क) —————————————- (ख) —————————————- (ग) —————————————– |
|
राष्ट्रपक्षी, सौन्दर्यम्, राजमुकुटम् |
|
(क) —————————————- (ख) —————————————- (ग) —————————————– |
उत्तराणि –
|
(क) काकः कृष्णवर्णः भवति। (ख) काकानाम् ऐक्यम् जगत्प्रसिद्धम् अस्ति। (ग) करुणापरः काकः आत्मानम् पक्षिराजः कथयति। |
|
(क) मयूरः भारतस्य राष्ट्रपक्षी अस्ति। (ख) मयूरस्य सौन्दर्यम् अद्वितीयं भवति। (ग) मयूरस्य शिखा राजमुकुटम् इव शोभते। |
प्रश्न 11 –
(क) "अलम्’ इति निषेधात्मकम् अव्ययम्। अस्य प्रयोगे तृतीया विभक्तिः एव प्रयुज्यते।" इति एतस्य कथनस्य प्रमाणे अस्मात् पाठात् वाक्यद्वयं विचित्य अत्र लिखत –
(i) ————————————————————
(ii) ———————————————————–
(ख) ‘धिक्’ इति योगे द्वितीया भवति। पाठात् विचित्य वाक्यद्व्यम् अत्र लिखत।
(i) ————————————————————
(ii) ———————————————————–
(ग) यत्र ‘यदि’ इति प्रयुज्यते तत्र ‘तर्हि’ इति अपि प्रयुज्यते पाठात् विचित्य वाक्यद्वयम् अत्र लिखत।
(i) ————————————————————
(ii) ———————————————————–
उत्तराणि –
(क) "अलम्’ इति निषेधात्मकम् अव्ययम्। अस्य प्रयोगे तृतीया विभक्तिः एव प्रयुज्यते।" इति एतस्य कथनस्य प्रमाणे अस्मात् पाठात् वाक्यद्वयं विचित्य अत्र लिखत –
(i) अलमलं मिथः कलहेन।
(ii) अलम् अतिविकत्थनेन।
(ख) ‘धिक्’ इति योगे द्वितीया भवति। पाठात् विचित्य वाक्यद्व्यम् अत्र लिखत।
(i) धिक् युष्मान्।
(ii) धिक् त्वाम्।
(ग) यत्र ‘यदि’ इति प्रयुज्यते तत्र ‘तर्हि’ इति अपि प्रयुज्यते पाठात् विचित्य वाक्यद्वयम् अत्र लिखत।
(i) यदि अहं कृष्णवर्णः तर्हि श्री रामस्य वर्णः कीदृशी?
(ii) यदि अहम् तव सन्ततिं न पालयामि तर्हि कुत्र स्युः पिकाः?

