Rashtr Samrashaymeva Hi Manika Bhag 2 Sanskrit Class 10 Chapter 9 Question Answers – Sanskrit Class 10 NCERT Solutions
Class 10 – कक्षा 10वीं
Sanskrit Manika Bhag 2 – संस्कृत (मणिका भाग-2)
Rashtr Samrashaymeva Hi Chapter 9 – पाठ 9
राष्ट्रं संरक्ष्यमेव हि
Rashtr Samrashaymeva Hi Exercises of the Lesson
पाठ्यपुस्तकस्य अभ्यासः (अनुप्रयोगः)
प्रश्न 1 – अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन देयानि – (मौखिक-अभ्यासार्थम्) –
(क) द्रौपद्याः पुत्राः केन हताः?
(ख) वारणावते पाण्डवान् कः अरक्षत्?
(ग) नकुलः कस्य सारथिः अभवत्?
(घ) आपद्गतेन अपि ब्रह्मास्त्रं केषु न प्रयोक्तव्यम्?
(ङ) अश्वत्थामा श्रीकृष्णं किम् अयाचत?
(च) आकाशात् काः पतन्ति स्म?
(छ) कः न भासते स्म?
उत्तराणि –
(क) द्रौपद्याः पुत्राः केन हताः?
उत्तराणि – द्रोणपुत्रेण ।
(ख) वारणावते पाण्डवान् कः अरक्षत्?
उत्तराणि – भीमः ।
(ग) नकुलः कस्य सारथिः अभवत्?
उत्तराणि – भीमस्य ।
(घ) आपद्गतेन अपि ब्रह्मास्त्रं केषु न प्रयोक्तव्यम्?
उत्तराणि – मानुषेषु ।
(ङ) अश्वत्थामा श्रीकृष्णं किम् अयाचत?
उत्तराणि – चक्रम् ।
(च) आकाशात् काः पतन्ति स्म?
उत्तराणि – उल्काः ।
(छ) कः न भासते स्म?
उत्तराणि – सूर्यः ।
प्रश्न 2 – पूर्ववाक्येन उत्तरं दीयताम् –
(क) द्रोणाचार्यः प्रीतः भूत्वा कं ब्रह्मास्त्रं अशिक्षयत्?
(ख) अश्वत्थामा केषां विनाशाय ब्रह्मास्त्रं मोचयति?
(ग) भीमसेनः नकुलेन सह कम् अनुगच्छति?
(घ) द्रोणपुत्रः श्रीकृष्णात् किं वाञ्छति स्म?
(ङ) अस्त्रं सन्हरतम्-इति कौ वदतः?
(च) ब्रह्मास्त्रस्य निषेधेन के के संरक्ष्याः सन्ति?
उत्तराणि –
(क) द्रोणाचार्यः प्रीतः भूत्वा कं ब्रह्मास्त्रं अशिक्षयत्?
उत्तराणि – द्रोणाचार्यः प्रीतः भूत्वा द्रौणिम् ब्रह्मास्त्रं अशिक्षयत् ।
(ख) अश्वत्थामा केषां विनाशाय ब्रह्मास्त्रं मोचयति?
उत्तराणि – अश्वत्थामा पाण्डवानां विनाशाय ब्रह्मास्त्रं मोचयति ।
(ग) भीमसेनः नकुलेन सह कम् अनुगच्छति?
उत्तराणि – भीमसेनः नकुलेन सह द्रोणपुत्रम् अनुगच्छति ।
(घ) द्रोणपुत्रः श्रीकृष्णात् किं वाञ्छति स्म?
उत्तराणि – द्रोणपुत्रः श्रीकृष्णात् चक्रम् वाञ्छति स्म ।
(ङ) अस्त्रं सन्हरतम्-इति कौ वदतः?
उत्तराणि – अस्त्रं सन्हरतम्-इति नारदव्यासौ वदतः ।
(च) ब्रह्मास्त्रस्य निषेधेन के के संरक्ष्याः सन्ति?
उत्तराणि – ब्रह्मास्त्रस्य निषेधेन पाण्डवाः, द्रौणिः, राष्ट्रं च संरक्ष्याः सन्ति ।
प्रश्न 3 – कः कम् कथयति?
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कः |
कम् |
|
यथा – |
कथं मन्दभाग्या अहं धैर्यं धारयामि? |
द्रौपदी |
युधिष्ठिरम् |
(क) |
वारणावते त्वम् एव पाण्डवान् रक्षितवान्। |
————— |
————— |
(ख) |
मह्यम् अनुमतिं ददातु भवान्। |
————— |
————— |
(ग) |
नकुलः तव सारथिः भवतु। |
————— |
————— |
(घ) |
सः तु एकाकी एव द्रोणपुत्राय अलम्। |
————— |
————— |
(ङ) |
न जानासि तस्य मनोवृत्तिम्। |
————— |
————— |
(च) |
जानीमः भवतः दिव्यां शक्तिम्। |
————— |
————— |
(छ) |
अये कथं श्रीकृष्णार्जुनौ युधिष्ठिरश्च? |
————— |
————— |
(ज) |
हे वीरौ! संहरतम् संहरतम् निजास्त्रे। |
————— |
————— |
उत्तराणि –
|
|
कः |
कम् |
यथा – |
कथं मन्दभाग्या अहं धैर्यं धारयामि? |
द्रौपदी |
युधिष्ठिरम् |
(क) |
वारणावते त्वम् एव पाण्डवान् रक्षितवान्। |
द्रौपदी |
भीमम् |
(ख) |
मह्यम् अनुमतिं ददातु भवान्। |
भीमः |
युधिष्ठिरम् |
(ग) |
नकुलः तव सारथिः भवतु। |
युधिष्ठिरः |
भीमम् |
(घ) |
सः तु एकाकी एव द्रोणपुत्राय अलम्। |
युधिष्ठिरः |
श्री कृष्णम् |
(ङ) |
न जानासि तस्य मनोवृत्तिम्। |
श्री कृष्णः |
युधिष्ठिरम् |
(च) |
जानीमः भवतः दिव्यां शक्तिम्। |
युधिष्ठिरः |
श्री कृष्णम् |
(छ) |
अये कथं श्रीकृष्णार्जुनौ युधिष्ठिरश्च? |
द्रोणपुत्रः |
आत्मानम् |
(ज) |
हे वीरौ! संहरतम् संहरतम् निजास्त्रे। |
नारदव्यासौ |
अर्जुनं द्रोणपुत्रं च |
प्रश्न 4 – श्लोकान् पठित्वा अधोलिखितवाक्यानि पूरयत –
परमापद्गतेनापि नैव तात त्वया रणे।
इदमस्त्रं प्रयोक्तव्यं मानुषेषु विशेषतः।।
यथा – तात! परमापद्गतेन अपि त्वया रणे इदम् अस्त्रम् विशेषतः मनुषेषु न एव प्रयोक्तव्यम्।
(क) प्रार्थितं ते मया चक्रं देवदानवपूजितम्।
अजेयः स्यामिति विभो! सत्यमेतद् ब्रवीमि ते।।
– विभो! अजेयः स्याम् इति मया देवदानवपूजितम् चक्रम् ते प्रार्थितम्।
—————————————————————–
(ख) नानाशस्त्रविदः पूर्वे येsप्यतिता महारथाः।
नैतदस्त्रं मनुष्येषु तैः प्रयुक्तं कथञ्चन।।
– नाना शस्त्रविदःये अपि पूर्वे महारथाः अतीताः
———————————————————–
(ग) पाण्डवास्त्वं च राष्ट्रं च सदा संरक्ष्यमेव हि।
तस्मात् संहर दिव्यं त्वमस्त्रमेतन्महाभुज।।
– पाण्डवाः त्वं च राष्ट्रं च सदा संरक्ष्यम्
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उत्तराणि –
(क) प्रार्थितं ते मया चक्रं देवदानवपूजितम्।
अजेयः स्यामिति विभो! सत्यमेतद् ब्रवीमि ते।।
– विभो! अजेयः स्याम् इति मया देवदानवपूजितम् चक्रम् ते प्रार्थितम्।
ते एतत् सत्यम् ब्रवीमि।
(ख) नानाशस्त्रविदः पूर्वे येsप्यतिता महारथाः।
नैतदस्त्रं मनुष्येषु तैः प्रयुक्तं कथञ्चन।।
– नाना शस्त्रविदःये अपि पूर्वे महारथाः अतीताः
तैः एतत् अस्त्रं मनुष्येषु कथञ्चन न प्रयुक्तम्।
(ग) पाण्डवास्त्वं च राष्ट्रं च सदा संरक्ष्यमेव हि।
तस्मात् संहर दिव्यं त्वमस्त्रमेतन्महाभुज।।
– पाण्डवाः त्वं च राष्ट्रं च सदा संरक्ष्यम्
महाभुज! तस्मात् त्वम् एतत् दिव्यम् अस्त्रम् संहर।
प्रश्न 5 – अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि।
|
उत्तरम् |
|
यथा – |
अग्निः इव दहति माम् अयं शोकः। |
द्रौपद्यै |
(क) |
कश्चित् अपि त्वया सदृशः पराक्रमी नास्ति। |
———————— |
(ख) |
ब्रह्माशिरो नाम अस्त्रं विद्यते तस्य पाशर्वे। |
———————— |
(ग) |
इदम् अपाण्डवाय। |
———————— |
(घ) |
नैतदस्त्रं मनुष्येषु तैः प्रयुक्तं कथञ्चन। |
———————— |
उत्तराणि –
|
|
उत्तरम् |
यथा – |
अग्निः इव दहति माम् अयं शोकः। |
द्रौपद्यै |
(क) |
कश्चित् अपि त्वया सदृशः पराक्रमी नास्ति। |
भीमाय |
(ख) |
ब्रह्माशिरो नाम अस्त्रं विद्यते तस्य पाशर्वे। |
द्रोणपुत्राय |
(ग) |
इदम् अपाण्डवाय। |
अस्त्राय |
(घ) |
नैतदस्त्रं मनुष्येषु तैः प्रयुक्तं कथञ्चन। |
पूर्व-महारथिभ्यः |
प्रश्न 6 – कर्मवाच्यात् कर्तृवाच्ये परिवर्तनं कुरुत –
कर्मवाच्यम् |
कर्तृवाच्यम् |
|
यथा – |
त्वया असौ पापी न दण्ड्यते। |
त्वम् अमुं पापिनं न दण्डयसि। |
(क) |
मया अस्त्रं तुभ्यं दीयते। |
————————————- |
(ख) |
त्वया तस्य मनोवृत्तिः न ज्ञायते। |
————————————- |
(ग) |
अस्माभिः भवतः शक्तिः ज्ञायते। |
————————————- |
(घ) |
मया इदम् अस्त्रम् उत्सृज्यते। |
————————————- |
(ङ) |
सहस्रान्शुना न भास्यते। |
————————————- |
(च) |
मया द्रोणपुत्रः अनुगम्यते। |
————————————- |
उत्तराणि –
|
कर्मवाच्यम् |
कर्तृवाच्यम् |
यथा – |
त्वया असौ पापी न दण्ड्यते। |
त्वम् अमुं पापिनं न दण्डयसि। |
(क) |
मया अस्त्रं तुभ्यं दीयते। |
अहम् अस्त्रं तुभ्यम् ददामि। |
(ख) |
त्वया तस्य मनोवृत्तिः न ज्ञायते। |
त्वं तस्य मनोवृत्तिं न जानासि। |
(ग) |
अस्माभिः भवतः शक्तिः ज्ञायते। |
वयम् भवतः शक्तिं जानीमः। |
(घ) |
मया इदम् अस्त्रम् उत्सृज्यते। |
अहम् इदम् अस्त्रम् उत्सृजामि। |
(ङ) |
सहस्रान्शुना न भास्यते। |
सहस्त्रान्शुः न भासते। |
(च) |
मया द्रोणपुत्रः अनुगम्यते। |
अहं द्रोणपुत्रम् अनुगच्छामि। |
प्रश्न 7 – विशेषणानां विशेष्यैः सह मेलनं क्रियताम् –
विशेषणानि |
विशेष्याणि |
|
(क) |
सव्येन |
चक्रम् |
(ख) |
पापकर्मणा |
समये |
(ग) |
देवदानव पूजितम् |
उल्काः |
(घ) |
सकला |
द्रौणिना |
(ङ) |
सहस्रशः |
पाणिना |
(च) |
विषमे |
मही |
उत्तराणि –
|
विशेषणानि |
विशेष्याणि |
(क) |
सव्येन |
पाणिना |
(ख) |
पापकर्मणा |
द्रौणिना |
(ग) |
देवदानव पूजितम् |
चक्रम् |
(घ) |
सकला |
मही |
(ङ) |
सहस्रशः |
उल्काः |
(च) |
विषमे |
समये |
प्रश्न 8 – अधोलिखितेषु पदेषु यत् पदम् अर्थदृष्ट्या भिन्नं तं रेखाङ्कितं कुरुत –
यथा – पर्जन्यः, पयोदः, वारिधरः, पयोधिः।
उत्तराणि – पयोधिः।
(क) सहस्रान्शुः, हिमान्शुः, दिनकरः, भानुः।
(ख) वृक्षाः, द्रुमाः, महीधराः, महीरुहाः।
(ग) पवनः, अनिलः, अनलः, वायुः।
(घ) शैलाः, भूधराः, खेचराः, पर्वताः।
(ङ) नरः, मनुष्यः, पन्नगः, मानवः।
उत्तराणि –
(क) सहस्रान्शुः, हिमान्शुः, दिनकरः, भानुः।
उत्तराणि – हिमान्शुः।
(ख) वृक्षाः, द्रुमाः, महीधराः, महीरुहाः।
उत्तराणि – महीधराः।
(ग) पवनः, अनिलः, अनलः, वायुः।
उत्तराणि – अनलः।
(घ) शैलाः, भूधराः, खेचराः, पर्वताः।
उत्तराणि – खेचराः।
(ङ) नरः, मनुष्यः, पन्नगः, मानवः।
उत्तराणि – पन्नगः।
प्रश्न 9 – अधोलिखितानिवाक्यानि पठित्वा स्थूलाक्षारपदम् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(i) |
अश्वत्थामा द्वारकां गत्वा श्रीकृष्णम् चक्रम् अयाचत। |
———- |
(ii) |
पूर्वे महारथाः ब्रह्मास्त्रं न प्रयुक्तवन्तः। |
———- |
(iii) |
द्रौपदी पुत्रशोकेन व्याकुला विलापम् अकरोत्। |
———- |
उत्तराणि –
(i) |
अश्वत्थामा द्वारकां गत्वा श्रीकृष्णम् चक्रम् अयाचत। |
कम्? |
(ii) |
पूर्वे महारथाः ब्रह्मास्त्रं न प्रयुक्तवन्तः। |
के? |
(iii) |
द्रौपदी पुत्रशोकेन व्याकुला विलापम् अकरोत्। |
का? |