CBSE Class 9 Hindi Chapter 3 Reedh ki Haddi (रीढ़ की हड्डी) Question Answers (Important) from Kritika Book

Class 9 Hindi Reedh ki Haddi Question Answers and NCERT Solutions– Looking for Reedh ki Haddi question answers for CBSE Class 9 Hindi Kritika Book Chapter 3? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी कृतिका के पाठ 3 रीढ़ की हड्डी प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे रीढ़ की हड्डी प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract-based questions, multiple choice questions, short answer and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

 

Related: 

Reedh ki Haddi Chapter 3 NCERT Solutions

 

1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर- रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद का बार-बार “एक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की वर्तमान समय से तुलना करना एक सामान्य वृद्ध मानसिकता को बताता है, जिसमें अतीत को आदर्श और वर्तमान को दोषपूर्ण माना जाता है। यह प्रवृत्ति तर्कसंगत तो कही जा सकती है जब इसका आधार अनुभव और मूल्यों की गहराई पर हो, परन्तु जब यह केवल आधुनिक परिवर्तनों को स्वीकार न कर पाने के कारण हो, तो यह पिछड़ेपन और रूढ़िवादिता को दर्शाता है। समाज निरंतर बदलता है, और हर पीढ़ी की अपनी चुनौतियाँ व दृष्टिकोण होते हैं। अतीत की अच्छाइयों को याद करना उचित है, पर वर्तमान की वास्तविकताओं को नकारना तर्कसंगत नहीं। 

2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर- रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और फिर उसी शिक्षा को विवाह के समय छिपाना एक गहरा सामाजिक विरोधाभास है, जो उसकी विवशता को उजागर करता है। यह विरोधाभास उस पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता का परिणाम है जहाँ बेटी की शिक्षा को तभी तक स्वीकारा जाता है जब तक वह विवाह में बाधा न बने। रामस्वरूप आधुनिकता की ओर बढ़ना तो चाहता है, पर समाज की पारंपरिक सोच और ‘कुंवारी कन्या अधिक पढ़-लिख जाए तो विवाह में अड़चन आती है’ जैसी धारणाएँ उसे विवश कर देती हैं। यह उसके भीतर चल रहे संघर्ष को दर्शाता है—एक ओर वह अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है, दूसरी ओर समाज की आलोचना और विवाह न हो पाने के डर से झूठ बोलने को मजबूर होता है। 

3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर- रामस्वरूप अपनी बेटी उमा से यह अपेक्षा करता है कि वह रिश्ता तय करते समय अधिक बोल-चाल न करे, शर्मीली बने, अधिक पढ़ी-लिखी न लगे, और केवल ‘हाँ’ या ‘ना’ में उत्तर दे। यह अपेक्षा पूरी तरह से अनुचित है, क्योंकि यह एक स्त्री की पहचान, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान को नकारने के समान है।

यह अपेक्षा न केवल उमा के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाती है, बल्कि समाज में स्त्रियों के अधिकारों और समानता की दिशा में चल रही प्रगति के विरुद्ध भी है। रामस्वरूप का दृष्टिकोण, भले ही सामाजिक दबावों से प्रेरित हो, उमा जैसे आधुनिक सोच रखने वाले युवाओं के व्यक्तित्व को बाधित करता है।

4. गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर- हाँ, यह कहा जा सकता है कि गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही अपने-अपने स्तर पर सामाजिक मूल्यों और नैतिकता के प्रति अपराधी हैं, जबकि उनके अपराध के स्वरूप अलग हैं।

गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं, जहाँ लेन-देन, प्रतिष्ठा और लाभ की बातें प्रमुख हैं। उनके लिए विवाह एक सौदेबाज़ी है, जिसमें दहेज, पारिवारिक रुतबा और स्त्री की भूमिका केवल एक वस्तु के रूप में देखी जाती है। 

दूसरी ओर, रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाकर एक प्रकार का आत्म-धोखा करते हैं। वे जानते हैं कि उमा की शिक्षा उसकी सबसे बड़ी ताक़त है, फिर भी वे उसे दबा देते हैं ताकि वह सही विवाह योग्य लड़की लगे। यह उनकी उस विवशता को दर्शाता है जो समाज की अपेक्षाओं और परंपराओं से बँधी हुई है। वे अपने ही मूल्यों और पुत्री के अधिकारों के साथ समझौता करते हैं।

इसलिए, जहाँ गोपाल प्रसाद का अपराध जानबूझकर और स्वार्थपूर्ण है, वहीं रामस्वरूप का अपराध विवशता से जन्मा है, लेकिन दोनों ही समाज में स्त्रियों के प्रति न्याय और समानता के मूल्यों को ठेस पहुँचाते हैं। 

5. “…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नही…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती हैं ?
उत्तर- उमा का यह तीखा और व्यंग्यपूर्ण कथन — “…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नही…” — शंकर के चरित्र की उन कमज़ोरियों की ओर संकेत करता है जो उसे एक निर्बल, आत्महीन और निर्णयहीन व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

यह कथन मूलतः शंकर की नैतिक दुर्बलता, स्वाभिमान की कमी, और अपने माता-पिता के अनुचित निर्णयों के प्रति आत्म-स्वतंत्रता के अभाव की ओर इशारा करता है। 

इसका संकेत यह भी है कि शंकर सिर्फ अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करने वाला एक ‘हँसमुख, लेकिन रीढ़विहीन’ युवक है, जो अपने जीवन के निर्णयों में स्वयं को व्यक्त नहीं करता। 

6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- समाज को आज शंकर जैसे नहीं, बल्कि उमा जैसी व्यक्तित्व की ज़रूरत है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उमा एक स्वाभिमानी, आत्मनिर्भर और स्पष्ट सोच वाली युवती है, जो अपने अधिकारों और आत्मसम्मान से समझौता नहीं करती, जबकि शंकर निर्णयहीन, दब्बू और सामाजिक दबावों में घुटा हुआ युवक है।

आज के समय में समाज को ऐसे ही साहसी, विवेकशील और आत्मनिर्भर व्यक्तित्वों की आवश्यकता है, जो न केवल अपने अधिकारों के लिए जागरूक हों, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी प्रेरणा बनें। उमा जैसे चरित्र ही नए समाज की नींव रख सकते हैं।

7. ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डी’ नाटक का शीर्षक बहुत ही सही और अर्थपूर्ण है। रीढ़ की हड्डी शरीर को सीधा खड़ा रखती है, वैसे ही इंसान का आत्म-सम्मान, हिम्मत और सच्चाई उसकी अंदरूनी रीढ़ की हड्डी होती है।

नाटक में रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद और शंकर जैसे लोग समाज के डर और दिखावे के आगे झुक जाते हैं। ये लोग सही बात के लिए खड़े नहीं हो पाते – इसलिए ये ‘रीढ़हीन’ कहे जा सकते हैं।

लेकिन उमा एक ऐसी लड़की है जो सही बात के लिए डटकर खड़ी रहती है, किसी से नहीं डरती, और अपने आत्म-सम्मान से समझौता नहीं करती।

इसलिए नाटक का यह शीर्षक दिखाता है कि समाज में ऐसे लोगों की ज़रूरत है जिनके अंदर हिम्मत, सच्चाई और आत्म-सम्मान हो। इन्ही सभी बातों से स्पष्ट होता है कि ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक उपयुक्त है। 

 

8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर- इस एकांकी का मुख्य पात्र हम उमा को मान सकते हैं। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  1. पूरी कहानी में उमा ही एकमात्र पात्र है जो सच और गलत में फर्क समझती है और सही के लिए आवाज़ उठाती है।
  2. वह अपने पिता रामस्वरूप को उनकी गलती का एहसास कराती है।
  3. वह गोपाल प्रसाद और शंकर जैसे लोगों की दोहरी सोच और स्वार्थ का विरोध करती है।
  4. वह दिखाती है कि लड़की होना कमजोरी नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान के साथ जीना ही असली ताकत है।

इसलिए, उमा की सोच, व्यवहार और साहस इस नाटक का मुख्य संदेश हैं, और इसी कारण वह इस एकांकी की मुख्य पात्र है।

9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
1.रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ:

  • परंपरावादी सोच- रामस्वरूप अपने पुराने जमाने की बातें करते रहते हैं और बदलाव को जल्दी स्वीकार नहीं करते।
  • विवश पिता- वह अपनी बेटी को पढ़ाना तो चाहता है, पर समाज और रिश्तेदारों के डर से उसकी पढ़ाई छिपाता है।
  • डरपोक स्वभाव- समाज की सोच के आगे झुक जाते हैं और अपनी बात पर अडिग नहीं रह पाते।
  • संकोची- अपने दिल की बात खुलकर नहीं कह पाते और दूसरों के दबाव में आ जाते हैं।

2. गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ:

  • लालची और स्वार्थी- वह शादी को एक व्यापार की तरह देखते हैं और लड़की के गुणों की जगह दहेज को ज्यादा अहमियत देते हैं।
  • दिखावटी- अपने बेटे शंकर को बहुत बड़ा समझते हैं, जबकि उसमें आत्मनिर्भरता की कमी है।
  • संकीर्ण सोच- लड़कियों की शिक्षा और उनके आत्म-सम्मान को महत्व नहीं देते।
  • अहंकारी- दूसरों की बात सुनने की बजाय अपनी सोच को ही सही मानते हैं।

इन दोनों पात्रों के व्यवहार से हमें यह समझ में आता है कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब ऐसी सोच को पीछे छोड़ा जाएगा।

10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर- इस एकांकी का उद्देश्य समाज में फैली पुरानी सोच और दहेज प्रथा जैसी बुराइयों पर सवाल उठाना है। यह नाटक दिखाता है कि कैसे कुछ लोग लड़की की शिक्षा और योग्यता को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ दहेज को महत्व देते हैं। साथ ही, यह भी दिखाया गया है कि समाज में नारी की आत्म-निर्भरता और आत्म-सम्मान की कितनी जरूरत है।

एकांकी यह संदेश देती है कि आज के समाज को उमा जैसे हिम्मती और सच बोलने वाले व्यक्तित्व की ज़रूरत है, जो गलत बातों का विरोध कर सके और सही के लिए आवाज़ उठा सके। इसका मकसद लोगों को सोचने और बदलने के लिए प्रेरित करना है।

11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर- समाज में महिलाओं को उचित सम्मान और गरिमा दिलाने के लिए हम कई छोटे-छोटे लेकिन ज़रूरी प्रयास कर सकते हैं:

  1. शिक्षा का प्रचार- लड़कियों को अच्छी शिक्षा दिलाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।
  2. सम्मानजनक व्यवहार- घर, स्कूल, दफ़्तर, हर जगह महिलाओं से सम्मानपूर्वक बात करनी चाहिए।
  3. बराबरी का मौका देना- नौकरी, खेल, राजनीति, हर क्षेत्र में महिलाओं को बराबरी का मौका मिलना चाहिए।
  4. गलत बात का विरोध करना- जब भी किसी महिला के साथ भेदभाव या अन्याय हो, तो चुप न रहकर उसका विरोध करना चाहिए।
  5. घर से बदलाव शुरू करना- अपने घर में लड़के और लड़की के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए।
  6. महिलाओं की सफलता को सराहना- जब कोई महिला अच्छा काम करे, तो उसकी सराहना करके उसका हौसला बढ़ाना चाहिए।

इन प्रयासों से समाज में महिलाओं को उनका सही स्थान और सम्मान मिल सकता है।

 

Class 9 Hindi Reedh ki Haddi – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

 

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1.
मामूली तरह से सजा हुआ एक कमरा। अंदर के दरवाजे से आते हुए जिन महाशय की पीठ नज़र आ रही है वे अधेड़ उम्र के मालूम होते हैं, एक तख्त को पकड़े हुए पीछे की ओर चलते-चलते कमरे में आते हैं। तख्त का दूसरा सिरा उनके नौकर ने पकड़ रखा है।
बाबू : अबे धीरे-धीरे चल… अब तख्त को उधर मोड़ दे…उधर…बस, बस!
नौकर : बिछा दूँ साहब?
बाबू : (ज़रा तेज़ आवाज़ में) और क्या करेगा? परमात्मा के यहाँ अक्ल बँट रही थी तो तू देर से पहुँचा था क्या?…बिछा दूँ साब!…और यह पसीना किसलिए बहाया है?
नौकर : (तख्त बिछाता है) ही-ही-ही।
प्रेमा : मैं कहती हूँ तुम्हें इस वक्त धोती की क्या ज़रूरत पड़ गई! एक तो वैसे ही जल्दी-जल्दी में…
रामस्वरूप : धोती?
प्रेमा : हाँ, अभी तो बदलकर आए हो, और फिर न जाने किसलिए…
रामस्वरूप : लेकिन तुमसे धोती माँगी किसने?
प्रेमा : यही तो कह रहा था रतन।
रामस्वरूप : क्यों बे रतन, तेरे कानों में डाट लगी है क्या? मैंने कहा था-धोबी के यहाँ से जो चद्दर आई है, उसे माँग ला…अब तेरे लिए दूसरा दिमाग कहाँ से लाऊँ। उल्लू कहीं का।
प्रेमा : अच्छा, जा पूजावाली कोठरी में लकड़ी के बक्स के ऊपर धुले हुए कपड़े रखे हैं न! उन्हीं में से एक चद्दर उठा ला।
रतन : और दरी?
प्रेमा : दरी यहीं तो रक्खी है, कोने में। वह पड़ी तो है।
रामस्वरूप : (दरी उठाते हुए) और बीबी जी के कमरे में से हरिमोनियम उठा ला, और सितार भी।…जल्दी जा। (रतन जाता है। पति-पत्नी तख्त पर दरी बिछाते हैं।)
प्रेमा : लेकिन वह तुम्हारी लाडली बेटी तो मुँह फुलाए पड़ी है।

1. रामस्वरूप ने रतन से वास्तव में क्या लाने को कहा था?
(क) धोती
(ख) चद्दर
(ग) दरी
(घ) हारमोनियम
उत्तर: (ख) चद्दर

2. रामस्वरूप और प्रेमा किस वस्तु को तख्त पर बिछाते हैं?
(क) धोती
(ख) रजाई
(ग) दरी
(घ) पर्दा
उत्तर: (ग) दरी

3. रामस्वरूप रतन पर क्यों गुस्सा होता है?
उत्तर: रामस्वरूप रतन पर इसलिए गुस्सा होता है क्योंकि रतन ने चद्दर की जगह धोती लाने की बात सुनी। दरअसल, रामस्वरूप ने उसे चद्दर लाने को कहा था, लेकिन रतन ने धोती समझ लिया। इस गलतफहमी पर रामस्वरूप उसे उल्लू कहकर डाँटता है।

4. बाबू ने नौकर पर व्यंग्य करते हुए क्या कहा और क्यों?
उत्तर: बाबू ने नौकर से कहा, “परमात्मा के यहाँ अक्ल बँट रही थी तो तू देर से पहुँचा था क्या?” यह बात उन्होंने व्यंग्य में कही क्योंकि नौकर ने पूछ लिया था कि तख्त बिछा दूँ? बाबू को यह सवाल बेवकूफी भरा लगा, इसलिए उन्होंने उसे ताना मारा।

5. प्रेमा किस बात को लेकर चिंतित है?
उत्तर: प्रेमा इस बात को लेकर चिंतित है कि घर की तैयारियाँ अधूरी हैं और सब कुछ जल्दबाज़ी में हो रहा है। साथ ही, वह अपनी बेटी के मुँह फुलाकर पड़े रहने से भी परेशान है, जिससे लगता है कि घर का माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया है।

2
रामस्वरूप : मुँह फुलाए!…और तुम उसकी माँ, किस मर्ज की दवा हो? जैसे-तैसे करके तो वे लोग पकड़ में आए हैं। अब तुम्हारी बेवकूफ़ी से सारी मेहनत बेकार जाए तो मुझे दोष मत देना।
प्रेमा : तो मैं ही क्या करूँ? सारे जतन करके तो हार गई। तुम्हीं ने उसे पढ़ा-लिखाकर इतना सिर चढ़ा रखा है। मेरी समझ में तो ये पढ़ाई-लिखाई के जंजाल आते नहीं। अपना ज़माना अच्छा था। ‘आ ई’ पढ़ ली, गिनती सीख ली और बहुत हुआ तो ‘स्त्री-सुबोधिनी’ पढ़ ली। सच पूछो तो ‘स्त्री-सुबोधिनी’ में ऐसी-ऐसी बातें लिखी हैं-ऐसी बातें कि क्या तुम्हारी बी.ए., एम.ए. की पढ़ाई होगी। और आजकल के तो लच्छन ही अनोखे हैं…
रामस्वरूप : ग्रामोफ़ोन बाजा होता है न?.
प्रेमा : क्यों?
रामस्वरूप : दो तरह का होता है। एक तो आदमी का बताया हुआ। उसे एक बार चलाकर जब चाहे तब रोक लो। और दूसरा परमात्मा का बनाया हुआ। रिकार्ड एक बार चढ़ा तो रुकने का नाम नहीं।

1. रामस्वरूप ने प्रेमा को किस बात के लिए जिम्मेदार ठहराया?
(क) खाना न बनने के लिए
(ख) उमा के व्यवहार के लिए
(ग) मेहमानों के आने के लिए
(घ) कपड़े न धुलने के लिए
उत्तर: (ख) उमा के व्यवहार के लिए

2. प्रेमा किस किताब को आज की पढ़ाई से बेहतर मानती है?
(क) स्त्री-सुधा
(ख) गृहलक्ष्मी
(ग) स्त्री-सुबोधिनी
(घ) विद्या वर्धिनी
उत्तर: (ग) स्त्री-सुबोधिनी

3. रामस्वरूप ने प्रेमा की तुलना किससे की?
(क) ग्रामोफ़ोन से
(ख) टीवी से
(ग) रेडियो से
(घ) अखबार से
उत्तर: (क) ग्रामोफ़ोन से

4. रामस्वरूप उमा के मुँह फुलाने पर प्रेमा को क्यों डाँटते हैं?
उत्तर: रामस्वरूप को इस बात की चिंता है कि रिश्ते की बात बिगड़ न जाए। जब उमा मुँह फुलाकर बैठी है, तो वह प्रेमा को दोष देते हैं और कहते हैं कि जैसे-तैसे लोग आए हैं, अब अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो सारी मेहनत बेकार जाएगी।

5. प्रेमा आजकल की पढ़ाई के बारे में क्या सोचती है?
उत्तर: प्रेमा को आजकल की पढ़ाई व्यर्थ लगती है। वह कहती है कि उनके ज़माने में ‘आ ई’ और ‘गिनती’ सीखना ही काफ़ी था, और ‘स्त्री-सुबोधिनी’ जैसी किताबें अधिक ज्ञानवर्धक थीं। वह आधुनिक शिक्षा को फिजूल समझती हैं और उसे उमा के व्यवहार की वजह मानती हैं।

3.
प्रेमा : हटो भी। तुम्हें ठठोली ही सूझती रहती है। यह तो होता नहीं कि उस अपनी उमा को राह पर लाते। अब देर ही कितनी रही है उन लोगों के आने में।
रामस्वरूप : तो हुआ क्या?
प्रेमा : तुम्हीं ने तो कहा था कि ज़रा ठीक-ठाक करके नीचे लाना। आजकल तो लड़की कितनी ही सुंदर हो, बिना टीमटाम के भला कौन पूछता है? इसी मारे मैंने तो पौडर-वौडर उसके सामने रखा था। पर उसे तो इन चीजों से न जाने किस जन्म की नफ़रत है। मेरा कहना था कि आँचल में मुँह लपेटकर लेट गई। भई, मैं बाज़ आई तुम्हारी इस लड़की से!
रामस्वरूप : न जाने कैसा इसका दिमाग है! वरना आजकल की लड़कियों के सहारे तो पौडर का कारबार चलता है।
प्रेमा : अरे मैंने तो पहले ही कहा था। एंट्रेंस ही पास करा देते-लड़की अपने हाथ रहती, और इतनी परेशानी न उठानी पड़ती। पर तुम तो…
रामस्वरूप : (बात काटकर) चुप चुप… (दरवाज़े में झाँकते हुए) तुम्हें कतई अपनी ज़बान पर काबू नहीं है। कल ही यह बता दिया था कि उन सब लोगों के सामने जिक्र और ढंग से होगा। मगर तुम तो अभी से सब-कुछ उगले देती हो। उनके आने तक तो न जाने क्या हाल करोगी!
प्रेमा : अच्छा बाबा, मैं न बोलूँगी। जैसी तुम्हारी मर्जी हो, करना। बस मुझे तो मेरा काम बता दो।
रामस्वरूप : तो उमा को जैसे हो तैयार कर लो। न सही पौडर। वैसे कौन बुरी है। पान लेकर भेज देना उसे। और, नाश्ता तो तैयार है न? (रतन का आना) आ गया रतन?… इधर ला, इधर! बाजा नीचे रख दे। चद्दर खोल…पकड़ तो ज़रा उधर से।
(चद्दर बिछाते हैं)
प्रेमा : नाश्ता तो तैयार हैं। मिठाई तो वे लोग ज़्यादा खाएँगे नहीं। कुछ नमकीन चीज़ें बना दी हैं। फल रखे हैं ही। चाय तैयार है, और टोस्ट भी। मगर हाँ, मक्खन? मक्खन तो आया ही नहीं।
रामस्वरूप : क्या कहा? मक्खन नहीं आया? तुम्हें भी किस वक्त याद आई है। जानती हो कि मक्खन वाले की दुकान दूर है, पर तुम्हें तो ठीक वक्त पर कोई बात सूझती ही नहीं। अब बताओ, रतन मक्खन लाए कि यहाँ का काम करे। दफ़्तर के चपरासी से कहा था आने के लिए, सो नखरों के मारे…

1. प्रेमा उमा को कौन-सी चीज़ लगाने के लिए कहती है?
(क) इत्र
(ख) बिंदी
(ग) पौडर
(घ) चूड़ी
उत्तर: (ग) पौडर

2. रामस्वरूप के अनुसार आजकल किसके सहारे पौडर का कारोबार चलता है?
(क) फिल्म अभिनेत्रियों के
(ख) बाजार की औरतों के
(ग) लड़कों के
(घ) लड़कियों के
उत्तर: (घ) लड़कियों के

3. नाश्ते में किस वस्तु की कमी की बात प्रेमा करती है?
(क) मिठाई
(ख) फल
(ग) टोस्ट
(घ) मक्खन
उत्तर: (घ) मक्खन

4. प्रेमा उमा के व्यवहार से क्यों परेशान है?
उत्तर: प्रेमा उमा के सीधे-सादे स्वभाव से परेशान है क्योंकि उमा न तो सजना-सँवरना पसंद करती है और न ही सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग। वह चाहती थी कि उमा मेहमानों के सामने सजधज कर जाए, पर उमा ने मुँह ढंककर लेट जाना पसंद किया।

5. मक्खन न आने की बात पर रामस्वरूप की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर: मक्खन न आने की बात सुनकर रामस्वरूप नाराज़ हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि प्रेमा ने ज़रूरी चीज़ याद रखने में लापरवाही की है। वह कहते हैं कि मक्खन वाला दूर है और अब रतन नाश्ता लाए या घर के बाकी काम देखे—यह उलझन खड़ी हो गई है।

4.
प्रेमा : यहाँ का काम कौन ज़्यादा है? कमरा तो सब ठीक-ठाक है ही। बाजा-सितार आ ही गया। नाश्ता यहाँ बराबर वाले कमरे में ट्रे में रखा हुआ है, सो तुम्हें पकड़ा दूँगी। एकाध चीज़ खुद ले आना। इतनी देर में रतन मक्खन ले ही आएगा…दो आदमी ही तो हैं।
रामस्वरूप : हाँ एक तो बाबू गोपाल प्रसाद और दूसरा खुद लड़का है। देखो, उमा से कह देना कि ज़रा करीने से आए। ये लोग ज़रा ऐसे ही है…गुस्सा तो मुझे बहुत आता है इनके दकियानूसी खयालों पर। खुद पढ़े-लिखे हैं, वकील हैं, सभा-सोसाइटियों में जाते हैं, मगर लड़की चाहते हैं ऐसी कि ज़्यादा पढ़ी-लिखी न हो।
प्रेमा : और लड़का?
रामस्वरूप : बताया तो था तुम्हें। बाप सेर है तो लड़का सवा सेर। बी.एस.सी. के बाद लखनऊ में ही तो पढ़ता है, मेडिकल कालेज में। कहता है कि शादी का सवाल दूसरा है, तालीम का दूसरा। क्या करूँ मजबूरी है। मतलब अपना है वरना इन लड़कों और इनके बापों को ऐसी कोरी-कोरी सुनाता कि ये भी…
रतन : (जो अब तक दरवाज़े के पास चुपचाप खड़ा हुआ था, जल्दी-जल्दी) बाबू जी, बाबू जी!
रामस्वरूप : क्या है?
रतन : कोई आते हैं।
रामस्वरूप : (दरवाज़े से बाहर झाँककर जल्दी मुँह अंदर करते हुए) अरे, ए प्रेमा, वे आ भी गए। (नौकर पर नज़र पड़ते ही) अरे, तू यहीं खड़ा है, बेवकूफ़। गया नहीं मक्खन लाने?…सब चौपट कर दिया। अबे उधर से नहीं, अंदर के दरवाज़े से जा (नौकर अंदर आता हैं)… और तुम जल्दी करो प्रेमा। उमा को समझा देना थोड़ा-सा गा देगी। (प्रेमा जल्दी से अंदर की तरफ़ आती हैं। उसकी धोती ज़मीन पर रखे हुए बाजे से अटक जाती है।)
प्रेमा : उँह। यह बाजा वह नीचे ही रख गया है, कमबख्त।
रामस्वरूप : तुम जाओ, मैं रखे देता हूँ…जल्दी।
(प्रेमा जाती है, बाबू रामस्वरूप बाजा उठाकर रखते हैं। किवाड़ों पर दस्तक)
रामस्वरूप : हँ-हँ-हँ। आइए, आइए…हँ-हँ-हँ।
(बाबू गोपाल प्रसाद और उनके लड़के शंकर का आना। आँखों से लोक चतुराई टपकती है। आवाज़ से मालूम होता है कि काफ़ी अनुभवी और फितरती महाशय हैं। उनका लड़का कुछ खीस निपोरने वाले नौजवानों में से है। आवाज़ पतली हैं और खिसियाहट भरी। झुकी कमर इनकी खासियत है।)

1. रामस्वरूप के अनुसार लड़के के पिता की कैसी सोच है?
(क) आधुनिक
(ख) उदार
(ग) दकियानूसी
(घ) निष्पक्ष
उत्तर: (ग) दकियानूसी

2. शंकर कौन है?
(क) मक्खन लाने वाला नौकर
(ख) उमा का भाई
(ग) शादी का संभावित लड़का
(घ) प्रेमा का रिश्तेदार
उत्तर: (ग) शादी का संभावित लड़का

3. प्रेमा की धोती किससे अटकती है?
(क) दरवाज़े से
(ख) बाजे से
(ग) चद्दर से
(घ) तख्त से
उत्तर: (ख) बाजे से

4. रामस्वरूप उमा को क्या करने के लिए कहता है और क्यों?
उत्तर: रामस्वरूप चाहता है कि उमा करीने से तैयार होकर आए और थोड़ा-सा गा भी दे, जिससे मेहमानों पर अच्छा प्रभाव पड़े। वह जानता है कि लड़के और उसके पिता की सोच पारंपरिक है, इसलिए वह उमा को उनके अनुकूल ढालने की कोशिश कर रहा है।

5. शंकर और उसके पिता के बारे में दृश्य में क्या संकेत मिलते हैं?
उत्तर: शंकर के पिता गोपाल प्रसाद को अत्यंत अनुभवी, चतुर और फितरती दिखाया गया है। शंकर खुद एक खीस निपोरने वाला, पतली आवाज़ वाला, और कुछ दब्बू स्वभाव का नौजवान है। उनकी शारीरिक मुद्रा (झुकी कमर) और व्यवहार से उनकी पारंपरिक सोच झलकती है।

Class 9 Hindi Kritika Lesson 3 Reedh ki Haddi Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

 

1. रामस्वरूप और नौकर किस चीज़ को कमरे में रखते हुए प्रवेश करते हैं?
(क) कुर्सी
(ख) मेज़
(ग) तख्त
(घ) अलमारी
उत्तर – (ग) तख्त

2. रामस्वरूप की पत्नी का नाम क्या है?
(क) सरला
(ख) उमा
(ग) राधा
(घ) प्रेमा
उत्तर – (घ) प्रेमा

3. ‘स्त्री-सुबोधिनी’ का उल्लेख किसने किया?
(क) प्रेमा
(ख) रामस्वरूप
(ग) उमा
(घ) रतन
उत्तर – (क) प्रेमा

4. रामस्वरूप ‘ग्रामोफ़ोन’ से किसका तुलनात्मक उदाहरण देता है?
(क) उमा के व्यवहार का
(ख) प्रेमा की बातों का
(ग) नौकर की मूर्खता का
(घ) शिक्षा का
उत्तर – (ख) प्रेमा की बातों का

5. प्रेमा के अनुसार लड़की को किस स्तर तक पढ़ाना चाहिए था?
(क) एम.ए.
(ख) हाई स्कूल
(ग) एंट्रेंस
(घ) कोई पढ़ाई नहीं
उत्तर – (ग) एंट्रेंस

6. नाश्ते में कौन-सी चीज़ नहीं थी?
(क) मिठाई
(ख) नमकीन
(ग) फल
(घ) मक्खन
उत्तर – (घ) मक्खन

7. शंकर कौन है?
(क) रामस्वरूप का बेटा
(ख) उमा का भाई
(ग) लड़के वाले का बेटा
(घ) नौकर
उत्तर – (ग) लड़के वाले का बेटा

8. शंकर किस कॉलेज में पढ़ता है?
(क) लखनऊ मेडिकल कॉलेज
(ख) दिल्ली विश्वविद्यालय
(ग) काशी हिंदू विश्वविद्यालय
(घ) इलाहाबाद विश्वविद्यालय
उत्तर – (क) लखनऊ मेडिकल कॉलेज

9. गोपाल प्रसाद के अनुसार उस ज़माने का मैट्रिक कैसा था?
(क) बेहद कमजोर
(ख) एम.ए. से बेहतर
(ग) कुछ नहीं आता था
(घ) केवल हिन्दी जानता था
उत्तर – (ख) एम.ए. से बेहतर

10. शंकर और रामस्वरूप कैसी हँसी हँसते हैं?
(क) खुलकर
(ख) खीसें निपोरते हुए
(ग) जोर से
(घ) मुस्कुराते हुए
उत्तर – (ख) खीसें निपोरते हुए

11. लड़के वालों को कैसी लड़की चाहिए थी?
(क) आधुनिक
(ख) बहुत पढ़ी-लिखी
(ग) घरेलू
(घ) ज़्यादा पढ़ी-लिखी न हो
उत्तर – (घ) ज़्यादा पढ़ी-लिखी न हो

12. शंकर की पढ़ाई में बाधा किस कारण आई थी?
(क) शादी
(ख) अस्वस्थता
(ग) पढ़ाई का मन न लगना
(घ) नौकरी
उत्तर – (ख) अस्वस्थता

13. नाटक के इस दृश्य की सबसे महत्वपूर्ण घटना क्या है?
(क) मक्खन न आना
(ख) तख्त लगाना
(ग) लड़के वालों का आना
(घ) चाय बनाना
उत्तर – (ग) लड़के वालों का आना

14. रामस्वरूप किसे संगीत प्रस्तुत करने के लिए कहता है?
(क) प्रेमा को
(ख) उमा को
(ग) रतन को
(घ) खुद गाता है
उत्तर – (ख) उमा को

15. प्रेमा किस वस्तु के बारे में बात करती है जो पूजावाली कोठरी में है?
(क) दरी
(ख) हरमोनियम
(ग) चद्दर
(घ) धोती
उत्तर – (ग) चद्दर

16. रामस्वरूप की बेटी का नाम क्या है?
(क) कविता
(ख) उमा
(ग) राधा
(घ) शोभा
उत्तर – (ख) उमा

17. रामस्वरूप किस बात को लेकर परेशान हैं?
(क) तख्त की सफाई
(ख) मक्खन न आना
(ग) उमा का व्यवहार
(घ) चाय बनाना
उत्तर – (ग) उमा का व्यवहार

18. शंकर की छुट्टियाँ किस कारण हैं?
(क) त्योहार
(ख) गर्मी की छुट्टी
(ग) बीमारी के कारण
(घ) वीक-एण्ड
उत्तर – (घ) वीक-एण्ड

19. शंकर के अनुसार उसके कोर्स में कितने साल बाकी हैं?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) साल-दो साल
उत्तर – (घ) साल-दो साल

20. गोपाल प्रसाद ने कितनी कचौड़ियाँ खाई थीं?
(क) दर्जनों
(ख) दो
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर – (क) दर्जनों

Reedh ki Haddi Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

Q1. गोपाल प्रसाद को किस बात पर गुस्सा आता है और वह क्या निर्णय लेते हैं?
उत्तर- गोपाल प्रसाद को यह जानकर बहुत गुस्सा आता है कि रामस्वरूप ने उन्हें यह झूठ बताया कि उमा केवल मैट्रिक पास है, जबकि वह वास्तव में बी.ए. पास है। उन्हें लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है और वह इसे अपना अपमान मानते हैं। गुस्से में वह रिश्ता तोड़ने का निर्णय लेते हैं और अपनी छड़ी उठाकर बेटे के साथ घर लौटने की तैयारी करते हैं।

Q2. उमा गोपाल प्रसाद से ‘बैकबोन’ का ज़िक्र क्यों करती है?
उत्तर- उमा ने जब देखा कि गोपाल प्रसाद बिना तर्क या समझदारी के रिश्ता तोड़ रहे हैं, तो उसने उनके बेटे की कमजोरी पर व्यंग्य किया। उसने सवाल उठाया कि क्या उनके बेटे में निर्णय लेने की ताकत है या नहीं, जिसे वह ‘रीढ़ की हड्डी’ या ‘बैकबोन’ कहती है। यह व्यंग्य केवल बेटे पर नहीं बल्कि पिता की सोच पर भी है, जो लड़कियों की शिक्षा को समस्या मानते हैं।

Q3. अंत में रामस्वरूप की मन:स्थिति कैसी दिखाई गई है?
उत्तर- जब गोपाल प्रसाद रिश्ता तोड़कर चले जाते हैं, तो रामस्वरूप कुर्सी पर ‘धम’ से बैठ जाते हैं। वे शायद अपने ऊपर पछता रहे हैं कि उन्होंने सत्य क्यों नहीं बताया, या शायद सोच रहे हैं कि इतना पढ़ाना क्या ग़लत था।

Q4. उमा ने गोपाल प्रसाद और उनके बेटे पर कौन-कौन से आरोप लगाए?
उत्तर- उमा ने तीखे स्वर में कहा कि यदि उसकी पढ़ाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो उनके बेटे के चरित्र पर भी सवाल उठने चाहिए। उसने बताया कि गोपाल प्रसाद का बेटा लड़कियों के हॉस्टल के आसपास घूमता था और वहाँ से भगाया गया था। साथ ही, उसने यह भी आरोप लगाया कि वह नौकरानी के पैरों पड़कर माफी माँगते हुए भागा था। इन आरोपों से उमा ने उसकी कायरता और दोहरे मापदंड को उजागर किया।

Q5. अंत में शंकर और गोपाल प्रसाद की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर- शंकर शर्मिंदा होता है और बात बिगड़ती देख अपने पिता से चलने का आग्रह करता है। गोपाल प्रसाद को जब हॉस्टल वाली बात पता चलती है, तो वह हैरान रह जाते हैं। इससे पता चलता है कि उन्हें अपने बेटे की असलियत का अंदाज़ा नहीं था।

Q6. उमा के ‘मैंने कोई पाप नहीं किया’ कहने का क्या महत्व है?
उत्तर- उमा इस संवाद के माध्यम से यह स्पष्ट करती है कि उसका बी.ए. पास करना कोई अपराध नहीं है। वह शिक्षा को अपराध की तरह देखने वाली सोच का विरोध करती है।

Q7. गोपाल प्रसाद के इनाम से जुड़े सवाल पर उमा ने क्या प्रतिक्रिया दी और उसका क्या अर्थ है?
उत्तर- जब गोपाल प्रसाद ने उमा से पूछा कि क्या उसने कोई इनाम जीते हैं, तो उमा पहले चुप रही। बाद में, उसने बहुत गहरी बात कही—कि जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तो दुकानदार सिर्फ खरीदार को दिखाता है, चीज़ से राय नहीं ली जाती। इस उत्तर से उमा ने यह जताया कि एक लड़की को केवल वस्तु समझकर पेश किया जा रहा है, जिसकी भावनाओं और इच्छाओं का कोई महत्व नहीं।

Q8. गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप उमा की प्रतिभाओं पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं?
उत्तर- गोपाल प्रसाद उमा के गाने से प्रभावित होकर उसकी कला की सराहना करते हैं और पूछते हैं कि क्या वह पेंटिंग भी करती है। रामस्वरूप तुरंत उसकी उपलब्धियों की सूची गिनाने लगते हैं—जैसे कि उसने तसवीरें बनाई हैं, सिलाई करती है, यहाँ तक कि उनकी कमीज़ें भी वही सिलती है।

Q9. अपनी बेटी का चश्मा दिख जाने पर रामस्वरूप क्या प्रतिक्रिया देते हैं?
उत्तर- रामस्वरूप सकपका जाते हैं और जल्दी से सफाई देते हैं कि उमा की आँखें दुख रही थीं, इसलिए उसने अस्थायी रूप से चश्मा लगाया है। वह यह बताने से बचते हैं कि उनकी बेटी पढ़ी-लिखी है और चश्मा पढ़ाई की वजह से लगाना पड़ा है।

Q10. गोपाल प्रसाद का ‘चाल में तो कुछ खराबी नहीं…’ कहना स्त्री की सामाजिक स्थिति को कैसे दर्शाता है?
उत्तर– गोपाल प्रसाद का यह कथन महिला के मूल्यांकन की सतही सोच को दर्शाता है। वह उमा की चाल, रूप और कलाओं को देखकर उसकी योग्यता तय करना चाहते हैं। यह दृश्य स्त्री को एक वस्तु की तरह देखने की मानसिकता पर सवाल खड़ा करता है, जहाँ उसका व्यक्तित्व, सोच या आत्मनिर्भरता मायने नहीं रखती, सिर्फ़ उसकी बाह्य सुंदरता और घरेलू गुण देखे जाते हैं।