प्रेमचंद का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Premchand from CBSE Class 9 Hindi Kshitij Book Chapter 5 प्रेमचंद के फटे जूते
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प्रेमचंद का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Premchand)
प्रस्तुत पाठ से प्रेमचंद के व्यक्तित्व बारे में निम्नलिखित बातों का पता चलता है –
- संघर्षात्मक जीवन – प्रेमचंद ने अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष किया। उन्होंने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का डट कर सामना किया। कठिनाइयों से बच निकलने का कभी प्रयास नहीं किया।
- कभी हार न मानने वाला – प्रेमचंद ने कष्ट सहे परन्तु कभी भी हार नहीं मानी। वे जो परिवर्तन लाना चाहते थे भले ही न ला पाएं हों परन्तु दुखी होने के स्थान पर वे अपनी कमजोरियों पर हँस देते थे। उन्होंने अपने जीवन में सदैव मुसकान बनाए रखी।
- जीवन का कष्टों से भरा होना – प्रेमचंद के फटे जुटे देखकर ज्ञात होता है कि वे जीवन-भर आर्थिक संकट झेलते रहे, परन्तु उनकी मुस्कान देखकर लगता है कि उन्होंने गरीबी को हँसते हुए स्वीकार किया। वे बहुत साधारण कपड़े पहनते थे। उनके पास फोटो खिंचवाने के लिए भी जूते नहीं थे। फिर भी वे प्रसन्न थे।
- सरलता – प्रेमचंद का स्वभाव बहुत सरल था। वे कोई दिखावा नहीं जानते थे। उनके पास फोटो खिंचवाने के लिए अच्छे कपड़े व् अच्छे जूते नहीं थे, फिर भी उन्होंने किसी से नहीं माँगे और जैसे वे थे वैसे ही फोटो खिंचवाई।
- सीमाबद्ध जीवन – प्रेमचंद ने अपने जीवन को सीमाबद्ध किया हुआ था। उन्होंने अपने नेम-धरम को, अर्थात् लेखकीय गरिमा को बनाए रखा। वे व्यक्ति के रूप में तथा लेखक के रूप में श्रेष्ठ आचरण करते रहे।
- सादा जीवन व् उच्च विचार – प्रेमचंद सादा जीवन जीते थे। वे फटे जूते में भी फोटो खिंचवाने में संकोच नहीं करते थे। प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे।
- स्वाभिमानी – प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्हें फटे कपड़ों व् फटे जूतों में फोटो खिंचवाना मंजूर था किन्तु वे किसी से जूते नहीं मांग सकते थे। प्रेमचंद को समझौता करना मंजूर न था। वे हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला करते थे। वे किसी भी परिस्थिति में पीठ नहीं दिखाते थे।
प्रेमचंद के चरित्र से सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the character of Premchand)-
1. प्रेमचंद के चरित्र के बारे में लिखिए।
2. प्रेमचंद के किरदार से क्या सीख मिलती है ?
Premchand ke Phate Joote Summary
‘प्रेमचंद के फटे जूते’ शीर्षक निबंध में परसाई जी ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व की सादगी का वर्णन किया है। इसके साथ ही लेखक ने वर्णन किया है कि एक रचनाकार समाज के अच्छे-बुरे के बारे में किस तरह की दृष्टि रखता है। लेखक ने वर्तमान के दिखावे के स्वभाव और मौके का फायदा उठाने के स्वभाव पर व्यंग्य (कटाक्ष) किया है।