CBSE Class 9 Hindi Chapter 5 Premchand Ke Phate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते) Question Answers (Important) from Kshitij Book
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सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी कोर्स ए क्षितिज भाग 1 के पाठ 5 प्रेमचंद के फटे जूते याद प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
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- Premchand Ke Phate Joote NCERT Solutions
- Premchand Ke Phate Joote Extract Based Questions
- Premchand Ke Phate Joote Multiple choice Questions
- Premchand Ke Phate Joote Extra Question Answers
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Premchand Ke Phate Joote Chapter 5 NCERT Solutions
प्रश्न 1 – हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर – ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ नामक व्यंग्य में हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं-
- संघर्षी लेखक – प्रेमचंद ने अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष किया। उन्होंने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का डट कर सामना किया। कठिनाइयों से बच निकलने का कभी प्रयास नहीं किया। लेखक ने पाठ में भी कहा है कि “तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।”
- कभी हार न मानने वाला – प्रेमचंद ने कष्ट सहे परन्तु कभी भी हार नहीं मानी। वे जो परिवर्तन लाना चाहते थे भले ही न ला पाएं हों परन्तु दुखी होने के स्थान पर वे अपनी कमजोरियों पर हँस देते थे। उन्होंने अपने जीवन में सदैव मुसकान बनाए रखी।
- जीवन का कष्टों से भरा होना – प्रेमचंद के फटे जुटे देखकर ज्ञात होता है कि वे जीवन-भर आर्थिक संकट झेलते रहे, परन्तु उनकी मुस्कान देखकर लगता है कि उन्होंने गरीबी को हँसते हुए स्वीकार किया। वे बहुत साधारण कपड़े पहनते थे। उनके पास फोटो खिंचवाने के लिए भी जूते नहीं थे। फिर भी वे प्रसन्न थे।
- सरलता – प्रेमचंद का स्वभाव बहुत सरल था। वे कोई दिखावा नहीं जानते थे। उनके पास फोटो खिंचवाने के लिए अच्छे कपड़े व् अच्छे जूते नहीं थे, फिर भी उन्होंने किसी से नहीं माँगे और जैसे वे थे वैसे ही फोटो खिंचवाई।
- सीमाबद्ध जीवन – प्रेमचंद ने अपने जीवन को सीमाबद्ध किया हुआ था। उन्होंने अपने नेम-धरम को, अर्थात् लेखकीय गरिमा को बनाए रखा। वे व्यक्ति के रूप में तथा लेखक के रूप में श्रेष्ठ आचरण करते रहे।
प्रश्न 2 – सही कथन के सामने ( ✔ ) का निशान लगाइए-
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर – (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। ( ✔ )
प्रश्न 3 – नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए –
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर –
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि हमारे समाज में अक्सर देखा गया है कि जो धनवान है वह हमेशा सम्मान पाता है चाहे उसमें भरपूर बुराइयाँ हो। और जो निर्धन है उसे कम सम्मान मिलता रहा है, भले ही वह गुणवान ही क्यों न हो। आजकल तो जूतों का अर्थात् धनवानों का मान-सम्मान और भी अधिक बढ़ गया है। एक धनवान पर पच्चीसों गुणी लोग न्योछावर होते हैं। आज के समय में गुणी लोग, धनवानों की जी-हुजूरी करते नजर आते हैं।
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं। इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि प्रेमचंद ने कभी पर्दे को अर्थात् दिखावे को महत्त्व नहीं दिया। उन्होंने वास्तविकता को कभी ढकने का प्रयत्न नहीं किया। वे जैसे थे, वे वैसे ही प्रस्तुत रहते थे।
परन्तु आज के समाज में दिखावा करना एक बड़ा गुण मानते हैं। जो व्यक्ति अपने कष्टों को छिपाकर समाज के सामने सुखी होने का ढोंग करता है, हम उसी को महान व् श्रेष्ठ माना जाता हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो? इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि प्रेमचंद ने समाज में जिसे भी घृणा-योग्य समझा, उसकी ओर हाथ की अँगुली से नहीं, बल्कि अपने पाँव की अँगुली से इशारा किया। अर्थात् उन्होंने समाज की बुराइयों को अपने जूते की नोक पर रखा, उसके विरुद्ध हर हाल में संघर्ष जारी रखा। उन्हें जो भी पसंद नहीं आता वे उसकी बिना परिणाम सोचे आलोचना कर देते हैं।
प्रश्न 4 – पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलना है कि ‘नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर – हमारे अनुसार प्रेमचंद के बारे में लेखक का विचार इसलिए बदल गया होगा क्योंकि हमने अक्सर देखा है कि अच्छे अवसरों पर पहनने के लिए हर व्यक्ति कुछ कपड़े अलग रखता है, जिन्हें वह अच्छा समझता है। प्रेमचंद के कपड़े ऐसे नहीं थे जिसमें फ़ोटो खिंचवाई जा सके। ऐसा लग रहा था जैसे वे घर में पहने जाने वाले कपड़ों में ही आ गए थे। प्रेमचंद को देख कर जहाँ पहले लेखक को लगा था कि उन्हें पोशाक पहनने का ढंग नहीं है। वहीँ दूसरी और उन्हें लगा कि प्रेमचंद सादगी पसंद और दिखावे से दूर रहने वाले व्यक्ति हैं। उनका रहन-सहन दूसरों से अलग है, इसलिए उन्होंने अपने विचार बदल दिए।
प्रश्न 5 – आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर – हरिशंकर परसाई के इस प्रसिद्ध व्यंग्य में लेखक की बहुत सी बातें आकर्षित करती हैं। जैसे –
उनका व्यंग्य लेखन व्यंग्य के साथ-साथ समाज में बुराइयों के प्रति जागरूकता जगाता है।
लेखक ने जिस प्रकार प्रेमचंद के फटे जूतों पर अपना व्यंग्य प्रस्तुत किया है वह अत्यधिक प्रशंसनीय है।
लेखक ने जिस प्रकार प्रेमचंद की पोशाक के द्वारा दिखावा करने वाले लोगों पर कटाक्ष किया है वह अद्धभुत हैं।
लेखक ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व को दर्शाने के लिए जिन उदाहरणों का प्रयोग किया है, वे उनके साहित्य के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं।
समाज में फैली रूढ़ियाँ, कुरीतियाँ व्यक्ति की लक्ष्य राह में बाधा डालती हैं, इसका वर्णन लेखक ने रोमांचक ढंग से किया है।
लेखक ने कड़वी परन्तु सत्य बातों को बहुत ही सरलता से व्यक्त किया है। जिससे कोई भी व्यक्ति सरलता से समझ सकता है।
प्रश्न 6 – पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर – पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग व्यक्ति के लक्ष्य में मध्य आने वाली बाधा का प्रतीक है। जिस तरह रास्ते में टीला आ जाने पर व्यक्ति को उसे पार करने के लिए परिश्रम करते हुए सावधानी से आगे बढ़ना पड़ता है उसी प्रकार समाज में फैली कुरीतियों, विषमता, छुआछूत, गरीबी आदि भी मनुष्य की उन्नति में बाधा बनती है। समाज की इन्हीं बुराइयों को प्रदर्शित करने के लिए पाठ में ‘टीले’शब्द का प्रयोग हुआ है।
Class 9 Hindi Premchand Ke Phate Joote – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यान पूर्वक पढ़िए और उत्तर दीजिये-
1 – दाहिने पाँव का जूता ठीक है, मगर बाएँ जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
मेरी दृष्टि इस जूते पर अटक गई है। सोचता हूँ-फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी-इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।
मैं चेहरे की तरफ़ देखता हूँ क्या तुम्हें मालूम है, मेरे साहित्यिक पुरखे कि तुम्हारा जूता फट गया है और अँगुली बाहर दिख रही है? क्या तुम्हें इसका ज़रा भी अहसास नहीं है? ज़रा लज्जा, संकोच या झेंप नहीं है? क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि धोती को थोड़ा नीचे खींच लेने से अँगुली ढक सकती है? मगर फिर भी तुम्हारे चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास है! फोटोग्राफर ने जब ‘रेडी-प्लीज़’ कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुसकान लाने की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएँ के तल में कहीं पड़ी मुसकान को धीरे-धीरे खींचकर ऊपर निकाल रहे होंगे कि बीच में ही ‘क्लिक’ करके फोटोग्राफर ने ‘ थैंक यू’ कह दिया होगा। विचित्र है यह अधूरी मुसकान। यह मुसकान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!
प्रश्न 1 – प्रेमचंद के किस पैर का जूता फटा था?
(क) दाहिने पाँव का
(ख) बाएँ पाँव का
(ग) दोनों पाँव का
(घ) किसी भी पाँव का नहीं
उत्तर – (ख) बाएँ पाँव का
प्रश्न 2 – लेखक के अनुसार प्रेमचंद में कौन सा गुण नहीं है?
(क) पोशाकें बदलने का
(ख) जूते बदलने का
(ग) फोटो बदलने का
(घ) संघर्ष करने का
उत्तर – (क) पोशाकें बदलने का
प्रश्न 3 – लेखक ने प्रेमचंद को क्या कह कर पुकारा है?
(क) साहित्यिक रचनाकार
(ख) जनता के लेखक
(ग) साहित्यिक पुरखे
(घ) प्रसिद्ध लेखक
उत्तर – (ग) साहित्यिक पुरखे
प्रश्न 4 – गद्यांश में ‘शर्म’ के लिए कौन सा पर्यायवाची शब्द प्रयुक्त हुआ है?
(क) संकोच
(ख) लज्जा
(ग) झेंप
(घ) विचित्र
उत्तर – (ख) लज्जा
प्रश्न 5 – प्रेमचंद की अधूरी मुस्कान कैसी है?
(क) क्रूर
(ख) हास्यसपद
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) बेमेल
उत्तर – (ग) व्यंग्यात्मक
2 – तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते, तो किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते माँग लेते। लोग तो माँगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं। और माँगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने! तुम फोटो के महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है!
टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते उस ज़माने में भी पाँच रुपये से कम में क्या मिलते होंगे। जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे। यह विडंबना मुझे इतनी तीव्रता से पहले कभी नहीं चुभी, जितनी आज चुभ रही है, जब मैं तुम्हारा फटा जूता देख रहा हूँ। तुम महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक , जाने क्या-क्या कहलाते थे, मगर फोटो में भी तुम्हारा जूता फटा हुआ है!
प्रश्न 1 – लेखक के अनुसार फोटो का महत्व कौन नहीं समझता
(क) फोटोग्राफर
(ख) लेखक
(ग) प्रेमचदं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) प्रेमचदं
प्रश्न 2 – फोटो खिंचवाने के लिए लोग क्या कर सकते हैं
(क) माँगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं
(ख) माँगे की मोटर से बारात निकालते हैं
(ग) फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी माँग ली जाती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभ
प्रश्न 3 – पाठ में जूता किसका प्रतिक है?
(क) ज्ञानी लोग
(ख) गुणी लोग
(ग) धनवान लोग
(घ) गरीब लोग
उत्तर – (ग) धनवान लोग
प्रश्न 4 – पाठ में टोपी किसका प्रतिक है?
(क) संघर्षी लोग
(ख) ज्ञानी व् गुणी लोग
(ग) धनवान लोग
(घ) गरीब लोग
उत्तर – (ख) ज्ञानी व् गुणी लोग
प्रश्न 5 – लेखक ने प्रेमचंद को क्या कहा है?
(क) उपन्यास-सम्राट
(ख) युग-प्रवर्तक
(ग) महान कथाकार
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Class 9 Hindi A Kshitij Lesson 5 Premchand Ke Phate Joote Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – प्रेमचंद के फटे जूते पाठ में लेखक ने किसके सरल व सादगी पूर्ण व्यक्तित्व का वर्णन किया हैं?
क) प्रेमचंद जी के
(ख) संघर्षी व्यक्ति के
(ग) लेखक ने स्वयं के
(घ) किसी अन्य के
उत्तर – (क) प्रेमचंद जी के
प्रश्न 2 – लेखक ने प्रेमचंद जी को किस नाम का उल्लेख किया है?
(क) जनता के लेखक
(ख) कथा-सम्राट
(ग) युग प्रवर्तक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – लेखक की दृष्टि कहाँ जाकर अटक गई?
(क) प्रेमचंद जी की मुस्कराहट पर
(ख) प्रेमचंद जी के फटे जूते पर
(ग) प्रेमचंद जी की पत्नी पर
(घ) प्रेमचंद जी के कपड़ों पर
उत्तर – (ख) प्रेमचंद जी के फटे जूते पर
प्रश्न 4 – प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के अनुसार, फोटो के महत्व को कौन नहीं जानता हैं?
(क) परसाई जी
(ख) संघर्षी व्यक्ति
(ग) लेखक
(घ) प्रेमचंद जी
उत्तर – (घ) प्रेमचंद जी
प्रश्न 5 – प्रेमचंदजी का कौन सा जूता फटा था?
(क) बायाँ
(ख) दायाँ
(ग) कोई नहीं
(घ) दोनों
उत्तर – (क) बायाँ
प्रश्न 6 – प्रेमचंद में कौन सा गुण नहीं था?
(क) फोटो खिंचवाने का
(ख) मुस्कुराने का
(ग) पोशाकें बदलने का
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) पोशाकें बदलने का
प्रश्न 7 – प्रेमचंद अधूरी मुस्कान के माध्यम से किन लोगों पर व्यंग्य करते हैं?
(क) जो अपनी कमजोरियों को छुपाते हैं
(ख) जो मुस्कुराना नहीं जानते
(ग) जो राजनीति करते हैं
(घ) जो अपनी जीवनी लिखते हैं
उत्तर – (क) जो अपनी कमजोरियों को छुपाते हैं
प्रश्न 8 – पाठ में टोपी किसका प्रतीक हैं?
(क) संघर्ष
(ख) दिखावे
(ग) इज्जत
(घ) मुस्कान
उत्तर – (ग) इज्जत
प्रश्न 9 – पाठ में जूते किसका प्रतीक हैं?
(क) संघर्ष
(ख) दिखावे
(ग) इज्जत
(घ) मुस्कान
उत्तर – (ख) दिखावे
प्रश्न 10 – समाज में किसको अधिक मान सम्मान दिया जाता है?
(क) गुणी को
(ख) ज्ञानी को
(ग) गरीब को
(घ) धनवान को
उत्तर – (घ) धनवान को
प्रश्न 11 – लेखक का जूता कहां से फटा हुआ था?
(क) तले के ऊपर से
(ख) अंगूठे के नीचे से
(ग) अंगूठे के ऊपर से
(घ) पँजे के नीचे से
उत्तर – (ख) अंगूठे के नीचे से
प्रश्न 12 – लेखक के अनुसार, प्रेमचंद किस चीज का महत्व नहीं जानते थे?
(क) कपड़ों का
(ख) मुस्कान का
(ग) संघर्ष का
(घ) पर्दे का
उत्तर – (घ) पर्दे का
प्रश्न 13 – गोदान उपन्यास का मुख्य पात्र कौन है?
(क) होरी
(ख) हीरा
(ग) प्रेमचंद
(घ) कुंभन दास
उत्तर – (क) होरी
प्रश्न 14 – फतेहपुर सीकरी आने-जाने में किसका जूता घिस गया था?
(क) कुंभन दास का
(ख) प्रेमचंद का
(ग) लेखक का
(घ) अकबर का
उत्तर – (क) कुंभन दास का
प्रश्न 15 – लेखक का “सख्त चीज” से क्या आशय हैं?
(क) रूढ़िवादिता
(ख) सामाजिक कुरीतियां
(ग) अंधविश्वास
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – “‘आवत जात पन्हैया घिस गई, बिसर गयो हरि नाम। “, यह कथन किसका है?
(क) कुंभनदास का
(ख) प्रेमचंद का
(ग) लेखक का
(घ) कबीर का
उत्तर – (क) कुंभनदास का
प्रश्न 17 – लेखक के अनुसार प्रेमचंद के जीवन की सबसे बड़ी कमजोरी क्या थी?
(क) फोटो खींचने के लिए कपड़े बदलना
(ख) फोटो खींचते हुए मुस्कुराना
(ग) परिस्थितियों से समझौता न कर पाना
(घ) परिस्थितियों से समझौता कर लेना
उत्तर – (ग) परिस्थितियों से समझौता न कर पाना
प्रश्न 18 – “नेम धर्म” वाली कमजोरी किसकी है?
(क) होरी की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) लेखक की
(घ) कुंभनदास की
उत्तर – (क) होरी की
प्रश्न 19 – प्रेमचंद ने कैसा जीवन कभी नहीं जिया?
(क) दिखावटी
(ख) सुखमयी
(ग) आराम दायक
(घ) संघर्षमयी
उत्तर – (क) दिखावटी
प्रश्न 20 – लेखक के अनुसार, प्रेमचंद कैसा जीवन जीते थे?
(क) सहज
(ख) सादगी पूर्ण
(ग) सरल
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Premchand Ke Phate Joote Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – प्रेमचंद के फटे जूते पाठ में लेखक ने प्रेमचंद का कैसा चित्रण प्रस्तुत किया है?
उत्तर – प्रेमचंद अपनी पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे थे। उन्होंने सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी पहनी थी, और उन्होंने धोती-कुरता पहना था। उनके कान और आँख के बीच का स्थान चिपका हुआ था, गालों की हड्डियाँ निकला आई थी परन्तु उनकी घनी मूछों के कारण उनका चेहरा भरा-भरा लग रहा था। उन्होंने पाँव में केनवस के जूते पहने थे, जिनके फीते अव्यवस्थित तरीके से बँधे थे। बाएँ पाँव के जूते में एक बड़ा छेद हो गया था, जिसमें से उनकी अँगुली बाहर निकल आई थी।
प्रश्न 2 – लेखक की नजर प्रेमचंद के जूते पर क्यों अटक गई?
उत्तर – लेखक ने देखा कि प्रेमचंद के दाहिने पाँव का जूता तो ठीक था, परन्तु बाएँ पाँव के जूते में एक बड़ा छेद हो गया था, जिसमें से उनकी अँगुली बाहर निकल आई थी। लेखक ने जब यह देखा तो उनकी नज़र उस फटे जूते पर अटक गई।
प्रश्न 3 – फटे जूते देखकर लेखक को प्रेमचंद के कैसे व्यक्तित्व का पता चला?
उत्तर – फटे जुटे को देखकर लेखक को लगा कि प्रेमचंद के पास कोई अलग-अलग कपड़े नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें देखकर लग रहा था कि उनमें कपड़े बदलने का गुण होगा ही नहीं है। वे जैसे हैं, वैसे ही फोटो खिंचवाने आ गए होंगे। लेखक के अनुसार प्रेमचंद का जूता फट गया था और उनकी अँगुली बाहर दिख रही थी। परन्तु इन सब के बावजूद भी उनके चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास था। इससे पता चलता है कि प्रेमचंद बिलकुल भी दिखावटी नहीं थे। वे सीधे-साधे व्यक्ति थे।
प्रश्न 4 – प्रेमचंद के चेहरे पर अधूरी मुसकान क्यों थी?
उत्तर – प्रेमचंद के चेहरे पर अधूरी मुसकान थी। इसका कारण यह था कि प्रेमचंद महान साहित्यकार होकर भी कष्टप्रद जिंदगी व्यतीत कर रहे थे। अभावों के कारण उनके जीवन की खुशियाँ व् मुसकान मानो खो सी गई थी। फ़ोटोग्राफ़र के रेडी कहने पर जब वे मुस्कुराने की कोशिश कर रहे थे, तभी फ़ोटोग्राफ़र ने उनके सही से मुस्कुराने से पहले ही फोटो खिंच दिया और उनकी मुसकान अधूरी रह गई।
प्रश्न 5 – लेखक को क्यों लगता है कि प्रेमचंद फोटो का महत्व नहीं समझते? लेखक द्वारा दिए गए उदाहरणों द्वारा बताए।
उत्तर – लेखक को लगता है कि प्रेमचंद फोटो का महत्व नहीं समझते। क्योंकि अगर वे फोटो का महत्व समझते, तो वे फटे जूते न पहनते और किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते माँग लेते। उदाहरण देते हुए लेखक कहते हैं कि लोग तो कोट माँगे कर दूल्हा बन जाते हैं। और मोटर माँग कर बारात निकाल लेते हैं। यहाँ तक की फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक माँग कर ले आते है, और प्रेमचंद जी से जूते भी नहीं माँगे गए। इसी को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि प्रेमचंद जी को फोटो के महत्व का पता नहीं है। लेखक आगे और भी उदाहरण देते हैं जैसे – लोग तो इत्र लगाकर फोटो खिंचाते हैं, उनके अनुसार इससे फोटो में खुशबू आ जाती है। गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है अर्थात गंदे से गन्दा आदमी भी फोटो खिंचवाने के लिए अच्छी तरह तैयार हो कर आता है।
प्रश्न 6 – ‘जूता हमेशा कीमती रहा है’- पंक्ति का आशय क्या है?
उत्तर – जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। यहाँ लेखक बताना चाहते हैं कि जूते का महत्त्व पाँव में तथा टोपी का महत्त्व सिर पर है, पर समाज में इसका विपरीत अर्थ लिया जाता है। समाज में जिनके पास रुपया पैसा है उनका महत्त्व अधिक है। ज्ञानवान और गुणी लोगों को अमीरों के सामने कई बार झुकना पड़ता है। तभी लेखक ने कहा है कि एक जूते पर पचीसों टोपिया न्योछावर होती हैं अर्थात धनवान व्यक्ति के सामने पचीसों ज्ञानवान और गुणी लोग कम आंके जाते हैं।
प्रश्न 7 – लेखक प्रेमचंद की व्यंग्य-मुसकान को क्यों समझ नहीं पा रहे हैं? लेखक प्रेमचंद की मुस्कान की तुलना किससे करता है? उदाहरण देकर समझाए।
उत्तर – लेखक प्रेमचंद की व्यंग्य-मुसकान को समझ नहीं पा रहे हैं। लेखक के अनुसार प्रेमचंद की व्यंग्य-मुसकान लेखक के साहस को हरा देने वाली प्रतीत हो रही है। यहाँ लेखक प्रेमचंद के कठिनाई से भरे जीवन में भी मुस्कुराने की वजह से परेशान हो रहे हैं। उन्हें प्रेमचंद की कुछ महत्वपूर्ण रचनाएँ याद आ जाती हैं और वे उन्हीं रचनाओं के पात्रों के साथ प्रेमचंद की मुस्कान की तुलना करने लगते हैं। जैसे – वे कहते हैं कि गोदान होरी का हो गया, या पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई या सुजान भगत का लड़का मर गया, क्योंकि डॉक्टर क्लब छोड़कर नहीं आ सकते, क्या ये कारण हो सकते हैं कि प्रेमचंद मुस्कुरा रहे हैं। लेकिन लेखक को लगता है की इस मुस्कान के पीछे ये कारण हो सकता है कि माधो, औरत के कफ़न के चंदे की शराब पी गया।
प्रश्न 8 – चलने से जूता घिसता है, फटता नहीं। इस पंक्ति को सार्थक सिद्ध करने के लिए लेखक ने किसका उदाहरण दिया?
उत्तर – लेखक के अनुसार चक्कर लगाने से जूता फटता नहीं है, बल्कि घिस जाता है। कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर जाने-आने में घिस गया था। क्योंकि एक बार अकबर बादशाह के बुलाने पर इन्हें फतेहपुर सीकरी जाना पड़ा। जहाँ इन्हें सम्मानित किया गया। किन्तु आने-जाने में इनके जूते घिस गये और हरि नाम का स्मरण करना भूल गये। जिसके कारण उन्हें बड़ा पछतावा हुआ। इसी उदाहरण को देते हुए लेखक ने सिद्ध किया था कि चलने से जूता घिसता है, फटता नहीं।
प्रश्न 9 – ‘सख्त और सदियों से परत-पर-परत जम गई चीज़’ से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर – लेखक को लगता है कि प्रेमचंद किसी सख्त चीज़ को, जो सदियों से परत-पर-परत जम गई हो उसको ठोकर मारते रहे होंगे। जिसके कारण उन्होंने अपना जूता फाड़ लिया। ‘सख्त और सदियों से परत-पर-परत जम गई चीज़’ से लेखक का अभिप्राय सदियों से चली आ रही पुरानी परम्पराओं से है जिनकी अब कोई आवश्यकता नहीं है और प्रेमचंद उन्हीं को समाप्त करने के लिए समाज से लड़ रहे है। जिसके कारण उन्हें जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लेखक का मानना है कि कोई ऐसी चीज़ जो प्रेमचंद को सही नहीं लगी उसी का हल निकालने के लिए प्रेमचंद ने अपना जूता आज़माया। अर्थात अपना बल लगाया।
प्रश्न 10 – प्रेमचंद की व्यंग्य-मुस्कान किसके लिए थी?
उत्तर – प्रेमचंद लेखक पर और उन सभी पर हँस रहे हैं, जो अपनी अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं। अर्थात जो रूढ़िवादी परम्पराओं और समाज की कठिनाइयों को अनदेखा कर बस अपने जीवन को सुखपूर्वक बिताने में लगे हुए हैं, प्रेमचंद उन सभी पर हँस रहे हैं। वे लोग जो समाज में फैली अराजकताओं को अनदेखा कर उसके बाजू से निकल रहे हैं, प्रेमचंद उन सभी पर हँस रहे हैं। प्रेमचंद ने तो सामाजिक कुरीतियों के प्रति आवाज़ उठाई है, वे जीवन में किसी भी प्रकार के दिखावे से दूर रहे हैं और सादगी के साथ जीवन में संघर्ष किया है। जिस कारण भले ही उनके फटे जूते से उनकी उँगली बाहर निकल आई हो परन्तु उनका पैर सुरक्षित है जिसके कारण वे जीवन में और आगे बड़ सकते हैं किन्तु प्रेमचन्द को हम लोगों की चिंता हैं क्योंकि हम लोग दिखावे की वजह से कठिनाइयों को अनदेखा करते हुए जीवन में संघर्ष के स्थान पर समझौते करते हुए लक्ष्य से भटक रहे हैं।